Cabinet Reshuffle: गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की पूरी कैबिनेट ने दिया इस्तीफा, कल नई टीम लेगी शपथ

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Cabinet Reshuffle: गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की पूरी कैबिनेट ने दिया इस्तीफा, कल नई टीम लेगी शपथ

विक्रम सेन की रिपोर्ट 

अहमदाबाद । गुजरात की राजनीति में गुरुवार को बड़ा उलटफेर हुआ। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की पूरी कैबिनेट ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल आचार्य देवव्रत को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने रात तक नए मंत्रिमंडल की सूची सौंपने का संकेत दिया है।

नई कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह शुक्रवार, 17 अक्टूबर को सुबह 11:30 बजे गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में आयोजित होगा।

सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व ने आगामी 2027 विधानसभा चुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह बड़ा फेरबदल किया है। संगठन और सरकार दोनों स्तरों पर ‘नई ऊर्जा’ और ‘नए चेहरे’ की रणनीति पर काम किया जा रहा है।

10 से अधिक नए चेहरे संभावित, आधे से अधिक मंत्रियों की छुट्टी संभव

भाजपा के शीर्ष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार मंत्रिमंडल में लगभग 10 नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है, जबकि आधे से अधिक मौजूदा मंत्रियों को बदला जा सकता है। वर्तमान में मुख्यमंत्री सहित 17 मंत्री हैं — जिनमें 8 कैबिनेट और 8 राज्य मंत्री शामिल हैं।

संविधान के अनुसार, 182 सदस्यीय विधानसभा में अधिकतम 27 मंत्री बनाए जा सकते हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव सुनील बंसल गांधीनगर पहुंच चुके हैं और लगातार बैठकें जारी हैं। प्रदेश महासचिव रत्नाकर के साथ उनकी अहम बैठक में नए मंत्रिमंडल के स्वरूप पर गहन चर्चा हुई है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी गुरुवार शाम तक गांधीनगर पहुंचने वाले हैं और अंतिम मुहर उन्हीं के हस्ताक्षर से लगेगी।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा की नियुक्ति के बाद संगठनात्मक संकेत

भाजपा ने हाल ही में जगदीश विश्वकर्मा को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था, जो पहले भूपेंद्र पटेल सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं। माना जा रहा है कि यह फेरबदल उसी रणनीतिक श्रृंखला का हिस्सा है जिसमें संगठन और सरकार दोनों में नए समीकरण तैयार किए जा रहे हैं।

नई टीम में पार्टी संभवतः जातीय और भौगोलिक संतुलन को साधते हुए पटेल, ओबीसी, अनुसूचित जाति और आदिवासी वर्ग के प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दे सकती है, ताकि विपक्ष के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके।

भूपेंद्र पटेल के आवास पर देर रात बैठक, मंत्रियों को बुलाया गया

राज्य के सभी मौजूदा मंत्रियों को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के गांधीनगर स्थित आवास पर आज रात एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं। संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी और दिल्ली से आए पर्यवेक्षक भी मौजूद रहेंगे।

सूत्रों के अनुसार, नई कैबिनेट में भाजपा के अपने विधायकों के साथ-साथ कांग्रेस से आए दो से तीन विधायकों को भी मंत्री बनाया जा सकता है, जिससे संगठनात्मक मजबूती के साथ राजनीतिक संदेश भी दिया जा सके।

2027 चुनावी परिदृश्य और संगठनात्मक समीकरण: पाटीदार, कच्छ व आदिवासी बेल्ट में संतुलन साधने की रणनीति

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह फेरबदल केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं बल्कि 2027 विधानसभा चुनावों की ठोस तैयारी है।

भाजपा की रणनीति तीन प्रमुख आधारों पर केंद्रित है —

1. पाटीदार प्रभाव क्षेत्र (उत्तरी और मध्य गुजरात):
पार्टी यहां भूपेंद्र पटेल और नए युवा पाटीदार चेहरों के माध्यम से पाटीदार समुदाय को सशक्त रूप से जोड़े रखना चाहती है।

2. कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्र:
2022 के चुनावों में यहां भाजपा को अपेक्षित लाभ नहीं मिला था। अब नए मंत्रियों के चयन में इस क्षेत्र से मजबूत प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है ताकि औद्योगिक व कृषि वर्ग दोनों को साधा जा सके।

3. आदिवासी और अनुसूचित जाति बेल्ट (दक्षिणी गुजरात):
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सक्रियता के जवाब में भाजपा संगठन अब बूथ-स्तर तक जनसंपर्क अभियान चला रही है। संभव है कि इस बार दो या तीन आदिवासी नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया जाए, ताकि आदिवासी सशक्तिकरण का सीधा संदेश दिया जा सके।

यह स्पष्ट है कि भाजपा गुजरात में “चिर-स्थायी शासन + नए चेहरों की ऊर्जा” के मॉडल पर चल रही है, जो उसे भविष्य के चुनावों में एक कदम आगे रख सकता है।

राजनीतिक विश्लेषण : भाजपा का ‘मिड-टर्म रिफ्रेश’ मॉडल

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, भाजपा ने गुजरात में पिछले दो चुनावों में जिस तरह संगठनात्मक पुनर्गठन किया था, यह उसी पैटर्न का पुनरावृत्ति है।

2016 में आनंदीबेन पटेल के स्थान पर विजय रूपाणी, और 2021 में विजय रूपाणी के स्थान पर भूपेंद्र पटेल को लाकर पार्टी ने ‘नो एंटी-इन्कम्बेंसी’ फॉर्मूला अपनाया था।

अब 2025 में यह तीसरा बड़ा ‘मिड-टर्म रिफ्रेश’ है, जो 2027 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी के गवर्नेंस और ग्राउंड मैनेजमेंट को पुनर्जीवित करने की रणनीति प्रतीत होता है।