Cabinet Suspense : कैबिनेट का सस्पेंस अभी ख़त्म नहीं, कुछ घंटे इंतजार कीजिए!
Bhopal : मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में कौन-कौन मंत्री बनेगा, ये सस्पेंस अभी बाकी है। साढ़े 3 बजे जब मंत्रियों के नाम पुकारे जाएंगे, तब ये सस्पेंस ख़त्म होगा। जिस तरह मुख्यमंत्री का नाम सुनकर लोग चौंके थे, वही झटका मंत्रियों के नाम सुनकर लग सकता है। ये अनुमान इसलिए कि मध्यप्रदेश से पहले छत्तीसगढ़ में भी मंत्रियों के नाम के सारे कयास गलत निकले। छत्तीसगढ़ की तरह मध्यप्रदेश के मंत्रियों की लिस्ट भी दिल्ली में में मुख्यमंत्री की हफ्तेभर में तीन यात्राओं के बाद बनी है।
भले ही 28 मंत्रियों के शपथ लेने की बात कही जा रही हों, पर सच्चाई अभी भी अधिकृत रूप से पता नही है । न नामों को लेकर और न मंत्रियों की संख्या को लेकर। क्योंकि, कितने मंत्री शपथ लेंगे और फ़ाइनल लिस्ट में किनके नाम हैं, ये सच सिर्फ मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी ही जानते हैं। इसके अलावा कोई अधिकृत जानकारी किसी के पास नहीं है। यदि पार्टी छत्तीसगढ़ जैसा फॉर्मूला लगाती है, जिसकी संभावना ज्यादा है, तो कई पुराने मंत्रियों का पत्ता साफ़ हो सकता है।
प्राप्त जानकारी अनुसार संजय पाठक और बृजेंद्र प्रताप सिंह के नाम शुरुआती चर्चा में थे और उन्हें फाइनल माना जा रहा था लेकिन पता चला है कि उनके नाम आज की सूची में नहीं है। वरिष्ठ नेता अजय विश्नोई का नाम आज की सूची में शामिल बताया जा रहा है।लखन पटेल के नाम भी आज की सूची में बताएं जा रहे है।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने यदि मुख्यमंत्री के रूप में नया चेहरा सामने लाया है, तो निश्चित ही इसके पीछे कोई रणनीति होगी और वो बदलाव मंत्रिमंडल की लिस्ट में दिखाई देगा। केंद्रीय नेतृत्व की एक मंशा तो जाहिर हो गई, कि वो पार्टी की सेकंड लाइन खड़ी करना चाहती है, तो यह सिर्फ मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने से ही नहीं होगा। इसके लिए उनके मंत्रिमंडल में नए चेहरों का समावेश जरुरी है ताकि सेकंड लाइन को भी अनुभव मिल सके।
*कितने मंत्री बनेंगे और क्यों*
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री समेत 35 मंत्रियों का कोटा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव और उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला के शपथ लेने के बाद 32 मंत्री पद बचते हैं। यदि पार्टी 28 या 30 को शपथ दिलाती है, तो फिर कोई खाली पद नहीं बचेगा। इसलिए जरुरी है कि कुछ मंत्री पदों को फ़िलहाल खाली छोड़ा जाए।
*किनके मंत्री बनने की संभावना कम*
कयास लगाने वाले भले तीन-चार बार मंत्री रहे पुराने विधायकों के नामों के दावे कर रहे हों, पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की मंशा से ये दावे मेल खाते नजर नहीं आते। जयंत मलैया, गोपाल भार्गव, विजय शाह तीन-तीन बार मंत्री रह चुके हैं। जयंत मलैया 2003 में उमा भारती सरकार में मंत्री बनाए गए थे और 2018 तक मंत्री रहे। गोपाल भार्गव भी 2003 से 2018 तक मंत्री रहे। 2019-2020 में नेता प्रतिपक्ष रहे और अभी विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर हैं।
विजय शाह वर्ष 2003 में मंत्री बने थे बीच का कुछ समय छोड़कर 2023 तक मंत्री रहे। नारायण सिंह कुशवाह जातीय आधार पर तीन बार मंत्री रहे। वे पिछला चुनाव हारकर इस बार फिर जीतकर आए हैं। अर्चना चिटनीस 2003 से 2005 तक मंत्री रहीं, 2008-2013 में मंत्री रहीं, इसके बाद 2016-18 के बीच मंत्री रहीं।