Calcutta Rape Case: बलात्कार होते क्यों हैं?

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Calcutta Rape Case: बलात्कार होते क्यों हैं?

बलात्कार होते क्यों हैं ? इसकी जो वजहे मैं समझ सका हूँ ,पहली वजह तो बिगडा लैंगिक अनुपात है ही।जिस समाज में लड़कियों का पैदा होना ही मुश्किल हो। लड़कियाँ गिनती में लगातार कम होती जा रही हों।जो समाज लड़कियों को इंसान मानने में हिचकता हो वहां तो ये सब नही होगा तो क्या होगा ?

 

बलात्कार की वजह केवल सैक्स हो ऐसा भी नहीं। हैसियत ,प्रभुत्व दिखाने की मनोवृत्ति भी है इसके पीछे।किसी का स्वाभिमान छीन कर उसका मनोबल कुचल देने की सोच भी कारक है इसकी। फिर हमारा पाखंडी चरित्र तो अपनी जगह है ही। हम जितने भले भले दिखने की कोशिश करते है वैसे है ही नही।हम वो है जो प्रवचन देते हुए बलात्कार करने की काबिलियत रखते हैं।

कभी सोचा आपने हमारे तथाकथित सभ्य सुसंस्कृत समाज में बलात्कार की घटनाओं का प्रतिशत इतना ज़्यादा क्यों है। पश्चिमी देशों मे ऐसी घटनाएँ अपवाद जैसी है। और तो और बस्तर जैसे आदिवासी क्षेत्रों में ऐसी कोई बात सालों में कभी सुनाई पड़ती है।ये इसलिए क्योंकि वे अपेक्षाकृत अधिक सहज और पारदर्शी हैं और हम नितांत पाखंडी किस्म की जमात है जो कहती कुछ है और करती कुछ है।

लड़कियों के साथ होने वाले अनाचारों का पचानवे प्रतिशत परिचितों और रिश्तेदारों के खाते मे हैं। रिश्तेदार भी कौन ? दादा ,बाप और भाई भी शामिल है इनमें।अब आप किससे उम्मीद रखेगें ? चूंकि बलात्कारी घर के ही हैं तो नब्बे फीसदी मामले कभी दर्ज ही नही होते।लड़कियाँ मारे डर के खुद ही चुप हो जाती है या चुप करा दी जाती हैं।इन बलात्कारो के ,अनाचारो के गवाह अंधे बहरे होते हैं।

खोट हमारी सोच मे ही है।लड़कियाँ अपनी योनि को सर्वस्व मान कर ,इज्जत मान कर बडी की जाती है।उन्हें यह समझाया गया है कि उसकी रक्षा नही कर पाने पर तुम्हारा मर जाना ही अच्छा है।चूंकि वह जिंदा रहना चाहती है, ऐसे मे वह अपने साथ होने वाली इस तरीके की बदतमीजी को ढाँकने की खुद भरसक कोशिश करती है।अपने साथ होने वाले अनाचार को खुद की गलती मान लेती है।और तो और हमारा कानून भी यही मानता है कि लडकी की योनि ही उसकी इज्जत है। और किसी लडकी के साथ हुआ अनाचार उसके लिये शर्मिंदा होने ,मुँह छुपाने की बडी वजह है।यदि ऐसा नही है तो क्या वजह है कि पीडिता का नाम छुपाया जाता है।

हमे खुद समझना होगा।समझाना होगा अपनी लड़कियों को कि ये किसी कुत्ते के काट लेने ,खरोंच पहुँचा देने से ज्यादा कुछ नही।कुत्ते के काट लेने मे शर्मिंदा होने ,मुँह छुपाने या मर जाने का सोचने लगने जैसा कुछ नही होता।लड़की का सम्मान लड़कों की ही तरह उसके व्यक्तित्व ,बुद्धिमानी ,व्यवहार कुशलता से ,उसकी आत्मनिर्भरता से ,उसके शिक्षित होने से जुडा होता है ,उसकी योनि से नही।बलात्कार एक दुर्घटना भर है ,उसे इससे ज्यादा कुछ मानना अपनी ही लड़कियों को जहर दे देने जैसा है।l

बलात्कारी होना दिमागी खलल से ज़्यादा कुछ है।हमारी पाखंडी सामाजिक व्यवस्था ही ऐसे मनोरोगी ही पैदा करती है। बलात्कारी के सर पर सींग नहीं होते।उसे अलग से पहचान पाना मुमकिन ही नहीं। कोई भी अच्छा भला दिखता आदमी बलात्कारी हो सकता है। और इस बात का पूरा खतरा है कि ऐसा करने के बाद वो फाँसी से बचने के लिये बलात्कार करने के बाद लडकी का गला भी घोट दे।

सही बात तो यह है कि हमारी पूरी पीढ़ी लड़कियों और महिलाओं से तमीज़ से पेश आने जैसे सबक़ सीख ही नहीं पाई।और ना ही हम अपने लड़कों को इस बाबत कुछ सिखा सके।क्या किया जा सकता है इसके लिए ? लड़कियों को पैदा होने से रोकना हमें एक बलात्कारी समाज में बदल रहा है। बेहतर तो यह होगा।कन्या भ्रूण की हत्या करने ,करवाने वाले को टाँगे फाँसी पर।ऐसे डॉक्टरो की डिग्री जप्त कर उन्हे जेल भेज दिया जाए।हम लडकियो को आत्मरक्षा करना सिखायें।वे निडर हों।जिस भी आँख मे कुटिलता देखें उसमे मिर्च का पावडर झोंक सकें।पर्स मे चाकू रखे वो और बदनियती से पेश आने वालो को दोबारा ऐसा करने लायक़ ना छोड़े।

को ऐजूकेशन कम्पलसरी हो ताकि लडके लडकियो को एलियन ना समझे। हम अपने लड़कों पर निगाह रखे और उन्हें लड़कियों के साथ इंसानों की तरह पेश आने का पाठ पढ़ायें।लड़कियों को उनके बाप की जायजाद मे से उनका वाजिब हिस्सा देना अनिवार्य हो।जो ना दे या लडकी के ना लेने का बहाना बनाये उसकी जायजाद सरकार जप्त कर ले।लड़की का पर्स भरा होगा तो उसकी तरफ टेढी नजर से देखने वाले दस बार सोचेंगे।

यही करना होगा। केवल कड़े कानून बनाने से बात बनती होती तो कभी की बन जाती।हमें तमीज़ सीखने की ज़रूरत है। ऐसा करने की आज सोचेंगे हम तब भी हमारे दिमाग़ों में लगे जाले छूटने मे बीसियों साल लग जाएँगे।पूरे कुएँ मे ही भाँग घुली हुई है।पूरा देश ही कोलकाता में तब्दील हो चुका अब।आप कितनो को फाँसी पर टाँगेगें ?

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मुकेश नेमा