Jabalpur : होमगार्ड के जवानों पर मनमाने तरीके से लागू ‘कॉल ऑफ प्रणाली’ (Call Off System) को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने प्रदेश शासन को 2 मार्च तक आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं। ‘कॉल ऑफ प्रणाली’ (Call Off System) के तहत होमगार्ड के जवानों को साल में दो महीने घर बैठाया जाता है! इस प्रणाली पर हाईकोर्ट में रोक लगा दी थी! इसके बावजूद इसे लागू किया गया। इस मुद्दे पर HC ने फिर सरकार को हिदायत दी है।
हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव ,डीजी होमगार्ड पवन जैन, सीनियर स्टाफ आफिसर देवेंद्र कुमार विजयवत, संगीता शाक्य और जिला सेनानी होमगार्ड (सतना) इंदल कुमार उपनाले को 2 मार्च, 2022 तक पूर्व आदेश का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। ऐसा न करने की स्थिति में अवमानना के आरोप तय कर दिए जाएंगे। अगली सुनवाई 2 मार्च को हाेगी। मामला HC के पूर्व आदेश के विपरीत होमगार्ड जवानों को साल में दो माह काम से अलग कर घर बैठाने के रवैये को चुनौती (Challenging the Attitude of Sitting at Home by Separating from Work for Two Months in a Year) से संबंधित है।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की युगलपीठ (A Bench of Chief Justice Ravi Malimath & Justice Maninder Singh Bhatti) के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अवमानना याचिकाकर्ता भोपाल निवासी राजेंद्र पटेरिया व अन्य, जबलपुर निवासी श्याम किशोर मिश्रा व अन्य और सतना निवासी राम मोहित पांडे व अन्य की और से अधिवक्ता विकास महावर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 2012 में हाई कोर्ट ने होमगार्ड जवानों के हक में राहतकारी आदेश पारित किया था। इसके तहत पूरे साल काम दिए जाने और ‘कॉल ऑफ प्रणाली’ (Call Off System) बंद किए जाने की व्यवस्था दी गई थी।
राज्य शासन के तर्क को SC ने भी नहीं माना
राज्य शासन ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जहां से हाईकोर्ट का पूर्व आदेश यथावत रखा गया। इसके बावजूद मनमानी करते हुए राज्य शासन ने 22 जनवरी 2020 को सर्कुलर जारी कर ‘कॉल ऑफ प्रणाली’ (Call Off System) लागू कर दी। इस तरह होमगार्ड जवान पूरे साल निरंतर काम की सौगात से वंचित किए जाने लगे लिहाजा, हाई कोर्ट में अवमानना याचिकाएं दायर की गईं।
इसकी प्रारंभिक सुनवाई करते हुए 22 जनवरी 2022 के आदेश को स्थगित किया गया। इसके बावजूद ‘काल ऑफ प्रणाली’ (Call Off System) जारी रखी गई है। इससे पूर्व अवमानना याचिकाएं राज्य शासन के उस अभिवचन के आधार पर निराकृत की गई थी कि मामले के लंबित रहने के दौरान काल ऑफ नहीं किया जाएगा। जिनका कॉल ऑफ किया गया, उनको बकाया वेतन दिया जाएगा। लेकिन, इस अभिवचन को तोड़ दिया गया। इसीलिए नए सिरे से अवमानना याचिकाएं दायर हुई है।