कुलांस को बचाने की मुहिम: प्रहलाद पटेल ने कहा- बीमार मां को बचाना पुत्र पुत्रियों का सबसे बड़ा कर्तव्य
सीहोर/भोपाल. भोपाल के बड़े तालाब की लाइफलाइन कुलांस नदी का अस्तित्व खतरे में है. लगातार हो रहे अतिक्रमण, बरसात में बहती हुई मिट्टी तथा कूड़े कचरे का नदी के तलहट में वर्षों से जमाव, पेड़ों के लगातार कटाव तथा नदी के गहरीकरण के नाम पर खानापूर्ति ने नदी के स्वरूप को लगभग समाप्त सा कर दिया है जिससे आने वाले वर्षों में भोपाल के तालाब में पानी की भारी कमी तथा उससे उत्पन्न गहरे जल संकट को अभी से महसूस किया जा सकता है.
मिशन कुलांस बचाओ को शुरू करते हुए आज मध्य प्रदेश के पंचायत, ग्रामीण विकास तथा श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने नदी के सीहोर जिले में स्थित उद्गम स्थल पर पहुंचकर नदी के गहरीकरण के कार्य की शुरुआत की तथा पौधारोपण कर स्थानीय लोगों को संकल्प दिलाया कि वे नदी को बचाने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे.
इस अवसर पर प्रदेश के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि तथा स्थानीय निवासी उपस्थित थे.
स्थानीय जनता को संबोधित करते हुए प्रहलाद पटेल ने कहा, “जब हम बच्चे होते हैं तो मां की गोद में ही हम पलते हैं. मां हमारे हर गंदगी को साफ करती है और कभी भी बुरा नहीं मानती. पर जब हम धीरे धीरे समझदार होते हैं तो जाहिर है हम वो गंदगी मां की गोद में नहीं करते हैं. यही व्यवहार हमें नदियों के साथ करना चाहिए. हमें हर तरह की गंदगी से नदियों को मां समझते हुए एक पुत्र और पुत्री की तरह बचाना चाहिए.”
अपना उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अपने आध्यात्मिक गुरु के संदेश को आत्मसात करते हुए उन्होंने हमेशा नर्मदा नदी को अपनी मां माना तथा 17 वर्षों तक नदी में अपना पैर नहीं रखा. पर जब देखा कि मां नर्मदा में प्रदूषण फैल रहा है और नदी में उतर कर सफाई की जरूरत है तो उन्होने फिर अपने गुरु से सलाह मांगा. बबाश्री ने उनसे कहा कि मां जब रुग्णावस्था में हों तो पुत्र का कर्तव्य है कि वो मां को बचाने की हरसंभव कोशिश करे. इसके बाद वो नदी में उतरे तथा सफाई कार्य को आगे बढ़ाया.
प्रहलाद पटेल जिन्होंने कई बार नर्मदा नदी की परिक्रमा की है इस बात पार गहरी चिंता व्यक्त की कि लोगों के व्यवहार से नर्मदा तथा अन्य नदियां रुग्ण हो रहीं हैं और कहा कि सभी का कर्तव्य है कि वे नदियों को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश करें.
नदियों को बचाने में पौधारोपण के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि ये कर्मकांड जैसा नहीं होना चाहिए कि आज पेड़ लगाया और कल भूल गए.
उन्होंने पूछा कि क्या कारण है कि जब सरकार हर पंचायत को पौधे उपलब्ध करवा रही है तथा पौधारोपण के लिए भी वित्तीय सहायता दे रही है तो फिर इसका परिणाम धरातल पर क्यों नहीं दिखता.
उन्होंने लोगों से कहा कि से नदियों को बचाने के लिए आगे आएं. इसे सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी ना समझें. वृक्ष हैं तो नदियां हैं. नदियां हैं तो जल है और अगर जल है तो हमारा जीवन है. यह बहुत ही सामान्य बात है पर इसे गंभीरता से हमें समझने तथा इसपर अमल करने की जरूरत है.
पंचायत तथा ग्रामीण विकास मंत्री ने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया कि वे उद्गम स्थल को रेखांकित करें जिससे वहां आगे भी पौधारोपण किया जा सके तथा ऐसा कोई निर्माण किया जा सके कि जिससे उद्गम स्थल की पहचान हो तथा इसका संरक्षण किया जा सके. पर इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी किसान की जमीन को अधिग्रहीत नहीं किया जाए तथा वृक्षों को किसानों के ही आधिपत्य में रखा जाए.