कैनेटी हमें हाथ का धैर्य सीखना सिखाता है …
बांग्लादेश में राजनैतिक परिदृश्य बदला और शेख हसीना सत्ता को छोड़कर भारत आकर सुरक्षित हो गईं। ठीक उसी समय पूरा बांग्लादेश भीड़तंत्र के आगोश में समा गया। यह भीड़ सड़कों, कॉलोनियों और शहरों में खौफ और खूनी खेल के रूप में पसर गई। इसका शिकार बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू, बौद्ध और ईसाई हुए। यही अल्पसंख्यक जब भीड़ के रूप में सड़कों पर निकले तो अंतरिम सरकार अब इन्हें सुरक्षा का भरोसा दिला रही है। अंतरिम सरकार के मुखिया मंदिर में जाकर हिंदुओं से बात कर उन्हें आश्वस्त कर रहे हैं। यह है भीड़ की ताकत, जो एक सामान्य सी विचारधारा को सत्ता तक पहुंचाने की ताकत रखती है, तो तख्तापलट कर सत्ता में बदलाव की ताकत रखती है।
आज हम भीड़ की बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि ‘क्राउड्स एंड पॉवर ‘ के लेखक एलियस कैनेटी की आज यानि 14 अगस्त को पुण्यतिथि है। उन्हें इसी पुस्तक के लिए साहित्य का नोबल पुरस्कार मिला था।किसी ने भी भीड़ के विरोधाभासी मनोविज्ञान को एलियस कैनेटी (25 जुलाई, 1905-14 अगस्त, 1994) से अधिक सुंदर और आयामी रूप से नहीं पकड़ा है। बुल्गारिया में पैदा हुए कैनेटी छह साल की उम्र में अपने परिवार के साथ प्रवास कर गए, उन्नीस साल की उम्र में वियना में बसने से पहले पश्चिमी यूरोप में विभिन्न स्थानों पर रहे, जहाँ उन्होंने खुद को साहित्य की दुनिया में डुबो दिया और जर्मन में लिखना शुरू किया। 1981 में, उन्हें “एक व्यापक दृष्टिकोण, विचारों की समृद्धि और कलात्मक शक्ति द्वारा चिह्नित लेखन” के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला। उनके सबसे प्रभावशाली और स्थायी विचारों में से एक, और पुरस्कार की आधारशिला, उनका 1960 का ग्रंथ क्राउड्स एंड पावर था।
क्राउड्स एंड पॉवर को अब पढ़ना यह पहचानना है कि भीड़ में एक साथ आने का आवेग सिर्फ विश्वास की एकजुटता से नहीं बल्कि दूसरे के स्पर्श के डर से बढ़ता है। यह उस अपराध की प्रतिक्रिया है जो ठीक उसी स्पर्श के माध्यम से किया गया है: गर्दन पर घुटना, चेहरे पर हाथ। लोगों और पुलिस की कवरेज देखना यह देखना है कि कैनेटी की स्क्रिप्ट कैसे चलती है। समूह आग में फट सकता है। लेकिन यह अज्ञात के स्पर्श से बचने के लिए एक साथ आता है। अधिकांश प्रदर्शनकारियों के लिए, हाथों ने अपना धैर्य सीख लिया है। सबसे शक्तिशाली चीज जो वे हाथ कर सकते हैं वह है आग लगाना या पत्थर फेंकना नहीं, बल्कि एक संकेत लिखना। बांग्लादेश में यदि संकेत में बता दिया जाए कि अल्पसंख्यकों की जिंदगी मायने नहीं रखती…तब भीड़ क्या करेगी? यह बात समझी जा सकती है।
‘क्राउड्स एंड पावर’ एक क्रांतिकारी कृति है जिसमें एलियास कैनेटी ने मानव इतिहास और मनोविज्ञान को देखने का एक नया तरीका खोजा है। अपनी सीमा और विद्वत्ता में विस्मयकारी, यह शिया त्योहारों और अंग्रेजी गृहयुद्ध, बंदरों की उंगली के व्यायाम और वेइमर जर्मनी में मुद्रास्फीति के प्रभावों की खोज करता है। भीड़ के परस्पर क्रिया के इस अध्ययन में, कैनेटी ने मानवीय स्थिति का सबसे गहरा और चौंकाने वाला चित्रण प्रस्तुत किया है। तो पुस्तक पढ़कर कैनेटी की सोच से साक्षात्कार किया जा सकता है। साहित्य का नोबल पाने वाले कैनेटी की सोच में अब भी भीड़ के प्रभावों को परखा जा सकता है। पुस्तक के बारे में किसी ने लिखा है कि कैनेटी हमें हाथ का धैर्य सीखना सिखाता है …।
कौशल किशोर चतुर्वेदी
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।
इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।