भोपाल: मध्यप्रदेश भाजपा के पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री और पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने पेंशनर्स की उपेक्षा पर ट्वीट के जरिये असंतोष व्यक्त किया है। बुधवार को किए गए ट्वीट में सोलंकी ने कहा है कि बुढ़ापे में माता-पिता की चिन्ता जिस तरह सन्तान को करना चाहिए, उसी तरह सेवानिवृत कर्मचारियों की चिन्ता समय पर पेंशन देकर सरकार को करनी चाहिए पर प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
बुढ़ापे में माता पिता की चिन्ता जिस तरह सन्तान ने करना चाहिये,उसी तरह सेवानिवृत कर्मचारियों की चिन्ता समय पर पेंशन देकर सरकार ने करनी चाहिये,पर प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है।ध्यान देने की ज़रूरत है।
— Kaptan Singh Solanki (@kaptansinghso12) October 20, 2021
पेंशनर्स एसोसिएशन की ओर से पेंशनरों की सालों से पेंडिंग समस्याओं को संज्ञान में लाने पर सोलंकी के इस ट्वीट के बाद भाजपा के राजनीतिक गलियारे में हलचल है और माना जा रहा है कि सरकार की ओर से भी इस मामले में जल्द ही कोई फैसला किया जा सकता है।
पेंशन नहीं देने के ऐसे-ऐसे मामले
बरकत उल्ला विश्वविद्यालय में कुल सचिव पद पर पदस्थ पीएन जोशी की शुरुआती पदस्थापना हिन्दी ग्रंथ अकादमी में थी। जब से वे रिटायर हुए तो उन्हें पेंशन नहीं मिली है।
पेंशनर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी बताते हैं कि हिन्दी ग्रंथ अकादमी ने उनकी सर्विस बुक गुमा दी है और इस कारण उनको पेंशन नहीं मिल पा रही है। इसी तरह मुरैना में संयुक्त संचालक कृषि की लापरवाही के चलते श्योपुर में वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी रहे ओमप्रकाश शर्मा को पेंशन नहीं मिल पा रही है। रिटायरमेंट के पहले उनकी विभागीय जांच शुरू होने के कारण दस साल से पेंशन से वंचित हैं जबकि जांच खत्म हो गई है और वे निर्दोष पाए गए हैं। ऐसे कई मामले हैं। इसके साथ ही सरकार पेंशन नियमों में संशोधन कर केंद्र के समान लाभ देने के मामले में गंभीर नहीं है।