Cardiac Arrest : नाचते हुए, जिम में, बस चलाते हुए, दूध बांटते हुए मौत का कारण क्या!  

इस तरह के अटैक का कारण कहीं कोरोना या वैक्सीन का असर तो नहीं!

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Cardiac Arrest : नाचते हुए, जिम में, बस चलाते हुए, दूध बांटते हुए मौत का कारण क्या!  

   New Delhi : कोरोना काल के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में एकदम बढ़ोतरी हुई है। एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला, पुनीत राजकुमार, कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव, गायक केके, बंगाली एक्ट्रेस आंद्रिला शर्मा और इनके जैसी सेलिब्रिटी तो महज उदाहरण हैं, पर हर जगह ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। गाजियाबाद में एक जिम ट्रेनर की हार्ट अटैक से मौत हो गई। वे कुर्सी पर बैठे थे, अचानक पीछे की तरफ लुढ़के और फिर उठ नहीं सके। इंदौर में दूध बाँटने वाले एक युवक को कार्डियक अरेस्ट आया और वो वहीं उसकी मौत हो गई। वाराणसी में भतीजे की शादी में नाचते हुए फूफा गिर पड़ा और फिर उठा नहीं! जबलपुर में बस चलाते हुए ड्राइवर की अटैक आ गया।

    अचानक ऐसे मामले बढ़ने को लोग कोरोना का आफ्टर इफेक्ट बता रहे हैं। कुछ का कहना है कि कहीं ये कोरोना वैक्सीन का साइड इफेक्ट तो नहीं है। आखिर ऐसा क्या कारण है कि हार्ट अटैक की बीमारी में अचानक बढ़ोतरी हो गई। इस साइलेंट किलर को खुलकर चर्चा भी नहीं हो रही। हार्ट अटैक से होने वाली मौतों के पीछे कई कारण होते हैं और ऐसे लोगों की मेडिकल हिस्ट्री होती है। लेकिन, पिछले डेढ़ साल में हार्ट अटैक से ऐसे लोगों की मौत हुई है, जो शारीरिक तौर पर पूरी तरह फिट थे।

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     कई सेलिब्रिटी और आम लोग हर दिन एक ऐसी बीमारी की चपेट में आकर जिंदगी से हाथ धो रहे हैं, जो आने से पहले संकेत भी नहीं दे रही। आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना महामारी के बाद अचानक हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या बढ़ गई। इसे कोरोना का असर भी कहा जा रहा है। जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उन लोगों को डॉक्टर विशेष सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। ऐसे में हार्ट अटैक के पीछे की असली वजह कोरोना को ही समझा जा रहा है। हालांकि अब तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।

    एक नई स्टडी से पता चला है कि कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों में कई जानलेवा बीमारियों का खतरा तुलनात्मक रूप से अधिक है। इस अध्ययन के आधार पर करोड़ों लोग खतरे के दायरे में आते हैं। कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती हुए लोगों में अंसक्रमित लोगों की तुलना में वीनस थ्रोम्बोम्बोलिज़्म (VTE) विकसित होने की संभावना 27 गुना अधिक होती है। जिन लोगों को इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाना पड़ा उनमें VTE विकसित होने की संभावना अंसक्रमितों की तुलना में तीन गुना ज्यादा है। VTE ऐसी स्थिति होती है, जिसमें नसों में खून का थक्का बन जाता है। अगर यह थक्का बड़ा हो जाए या इसका इलाज न किया जाए तो यह मौत का कारण भी बन सकता है।

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कोरोना संक्रमितों में आशंका ज्यादा 

     शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन लोगों को कोरोना संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, उनमें दिल की धड़कन रुकने की संभावना 21% और स्ट्रोक आने की संभावना 17% ज्यादा होती है। उनमें एट्रियल फाइब्रिलेशन (अनियमित हृदय) और पेरिकार्डिटिस (हृदय की सूजन) और हार्ट अटैक की भी संभावना अधिक होती है। निष्कर्ष बताते हैं कि हृदय रोग और मौत का सबसे बड़ा जोखिम संक्रमण के पहले 30 दिनों के भीतर होता है। लेकिन, बाद में भी कुछ समय के लिए इसका खतरा रहता है।

वैक्सीन की स्टडी होना जरुरी 

     हार्ट अटैक से मौतों के पीछे कोरोना वैक्सीन को मुख्य कारण बताया जा रहा है। लेकिन, एक्सपर्ट के मुताबिक, इसके पीछे कोई साइंटिफिक रीजन नहीं है। यह सिर्फ एक बेबुनियाद चर्चा है। भारत में मौजूद कोरोना वैक्सीन और हार्ट अटैक का कोई संबंध नहीं है। सोशल मीडिया पर इस बारे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोरोना वैक्सीन के प्रभाव से हार्ट अटैक के चांसेस बढ़ रहे हैं? लेकिन, देश में मौजूद किसी भी वैक्सीन का हार्ट अटैक या दिल से जुड़ी बीमारियों का कोई लिंक नहीं पाया गया। ये बात भी सही है कि इससे जुड़ी कोई रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई, जो यह साबित करती हो कि इसका हार्ट अटैक से कोई संबंध है! लेकिन, भारत में जितनी भी कोरोना की वैक्सीन दी जा रही हैं, उनमें से किसी की भी लॉन्ग स्टडी नहीं हुई, इसलिए इस तरह की स्टडी करने की बात भी विशेषज्ञों ने कही है।