कारपेंटर नागेश्वर विश्वकर्मा: भारत उदय का एक अनुपम उदाहरण

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कारपेंटर नागेश्वर विश्वकर्मा: भारत उदय का एक अनुपम उदाहरण

-एन के त्रिपाठी

 

यह चित्र नागेश्वर विश्वकर्मा का है जो पेशे से कारपेंटर है। ये रतलाम ज़िले की तहसील आलोट के ग्राम पीपल्या सिसोदिया के रहने वाले हैं। ये अपने गाँव में रह कर थोड़ी सी खेती करने के अतिरिक्त निकट स्थित आलोट में बढ़ई के रूप में काम करते हैं। उन्हें वहाँ पर्याप्त कार्य मिल जाता है। नागेश्वर के बड़े भाई देवीलाल पुलिस लाइन इंदौर में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ है। प्रधान आरक्षक देवीलाल को मैं अपने इंदौर में DIG की पदस्थापना के समय से जानता हूँ तथा इनकी शासकीय समस्याओं में सहायता करता रहा हूँ। कारपेंटर नागेश्वर को उसके एक असिस्टेंट रिश्तेदार ईश्वर के साथ मैंने भोपाल में अपने घर में काम के लिए अभी बुलाया था।बहुत तत्परता से सभी कार्य इन दोनों ने मिलकर पूर्ण कर दिए।

नागेश्वर के पास काम करने के उपकरण आधुनिक थे जिनको देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ। जब मैंने उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि उसके ज़िले के मुख्यालय रतलाम में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत चार दिवसीय कौशल उन्नयन ( skill development ) कार्यक्रम के अंतर्गत उसने प्रशिक्षण में भाग लिया था।उसने बताया कि लगभग 4,000 लोगों ने प्रशिक्षण में भाग लिया। इनमें बढ़ई, लोहार, नाई तथा कुछ अन्य कार्यों की विधाओं का प्रशिक्षण दिया गया। वहाँ सभी को 15,000 रुपये तक के उपकरण शासन की ओर से मुफ्त प्रदाय किए गए। इसके अतिरिक्त सभी को एक लाख रुपये का आसान किश्तों पर ऋण दिया गया।नागेश्वर से मैंने पूछा कि क्या उसे प्रशिक्षण से कुछ लाभ हुआ, तो उसने बताया कि कुछ नए कार्य करने के तरीक़े उसे बताए गए और दिए गए उपकरणों का प्रयोग समझाया गया। आलोट के संपन्न परिवारों में उसे फ़र्नीचर आदि बनाने का बहुत कार्य मिलता है।

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पिछले सात दशक से हम भारत में शासकीय कार्यक्रमों को दूर दराज़ के क्षेत्रों में असफल होते देख रहे हैं। जिन उद्देश्यों के लिए योजनाएं बनायी जाती है वे पूरे नहीं होते हैं, तथा इन योजनाओं में फ़र्ज़ी कार्य दिखाकर धन राशि हड़प ली जाती है। ज़मीनी स्तर पर प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की सफलता का विवरण सुनकर मुझे प्रसन्नता हुई। ज़मीनी स्तर पर कारीगरों को अच्छे हुनर का प्रशिक्षण देकर भारत उच्च गुणवत्ता की ओर बढ़ सकता है।

जहाँ भारत को आधुनिकतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबॉट और क्वांटम के प्रयोग में उच्च स्तरीय अनुसंधान की आवश्यकता हैं वहीं अपनी नींव को भी सजाना और सँवारना पड़ेगा। कृषि में लगी हुई भारत की विशाल जनसंख्या के एक बड़े भाग को कृषि से हटाकर अन्य उद्योग-धंधों में लगाया जाना आवश्यक है। इससे जहाँ कृषि के लिए किसानों को अधिक भूमि उपलब्ध होगी वहीं देश का चहुंमुखी विकास भी हो सकेगा।