Cashless Treatment Will be Easy : हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम की मंजूरी 1 घंटे में, 3 घंटे में फ़ाइनल सेटलमेंट!

409

Cashless Treatment Will be Easy : हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम की मंजूरी 1 घंटे में, 3 घंटे में फ़ाइनल सेटलमेंट!

इंश्योरेंस सेक्टर के लिए भारतीय मानक ब्यूरो जैसे मानक लागू करने पर विचार!

New Delhi : हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम और कैशलेस मंजूरी में देरी से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों को जल्द इससे राहत मिल सकती है। केंद्र सरकार स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के लिए कैशलेस मंजूरी अनुरोध को एक घंटे के भीतर और अंतिम क्लेम सेटलमेंट को तीन घंटे के भीतर अनिवार्य करने की योजना बना रही है। यह जानकारी मामले से जुड़े अधिकारियों ने दी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इंश्योरेंस सेक्टर के लिए भारतीय मानक ब्यूरो जैसे मानकों को लागू करने पर विचार किया जा रहा है, ताकि बीमा उद्योग के संचालन को व्यवस्थित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक सभी नागरिकों को सुलभ और किफायती स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाए। किफायती बीमा की घोषणा भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने नवंबर 2022 में की थी।

कई मामलों में 100% क्लेम खारिज किए

इरडा ने पहले ही 2024 में क्लेम के तेजी से सेटलमेंट के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। लेकिन, इनकी बढ़ती संख्या के कारण बीमा कंपनियां इन नियमों का पालन करने में विफल रही हैं। अधिकारी ने कहा कि कई मामलों में बीमा कंपनियों ने 100% कैशलेस क्लेम को खारिज या रिजेक्ट किया है। अगर नियमों को सख्ती से लागू किया जाए और सेटलमेंट प्रोसेस को मानकीकृत किया जाए तो उपभोक्ताओं का भरोसा वापस आएगा।

देश के सभी अस्पतालों में एक जैसा फॉर्म

इसके अलावा, इंश्योरेंस क्लेम और आवेदन पत्रों को सरल और समझने योग्य बनाने के लिए एक पेशेवर एजेंसी की मदद से मानकीकृत प्रारूप तैयार करने की भी योजना है। इससे बीमाकर्ता समय पर और पूरी राशि का भुगतान कर सकेंगे।

इस मामले में सरकार की तैयारी

सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य दावा एक्सचेंज के जरिए इंश्योरेंस क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में काम कर रही है। इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण और इरडा के साथ मिलकर नए निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। यह एक डिजिटल मंच है, जो स्वास्थ्य बीमा दावों की प्रक्रिया को मानकीकृत करता है। जुलाई 2024 तक, 34 बीमा कंपनियां और टीपीए इस मंच पर सक्रिय थे। 300 अस्पताल इसमें शामिल होने की प्रक्रिया में हैं।

विशेषज्ञों ने सुझाव दिए

बीमा विशेषज्ञों ने जमीनी चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाया है। इंश्योरेंस ब्रोकर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईबीएआई) के महासचिव आर. बालासुब्रमण्यम ने कहा कि नियम बनाना एक बात है। लेकिन, उसे लागू करना अलग चुनौती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सर्जरी की दरें और डिस्चार्ज दस्तावेज अगर पूरे देश में एक जैसे हों, तो दावा प्रक्रिया और तेज हो सकती है और विवाद भी घटेंगे।

प्रीमियम में तेज इजाफा

आंकड़ों के अनुसार, भारत में 26 सामान्य बीमा कंपनियां, दो विशेष बीमाकर्ता और सात स्वतंत्र स्वास्थ्य बीमा कंपनियां हैं, जबकि अस्पतालों की संख्या लगभग 2,00,000 है। हेल्थ इंश्योरेंस इंडेक्स 2024 के अनुसार, 2023 में स्वास्थ्य बीमा दावों का औसत आकार 11.35% बढ़ा, जो चिकित्सा लागतों और मेडिकल मुद्रास्फीति में वृद्धि को दर्शाता है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में चिकित्सा लागत में प्रतिवर्ष 14% की वृद्धि हो रही है।