

जातिगत जनगणना…नई दिशा की ओर कदम बढ़ाता देश…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
देश अब जातिगत जनगणना के लिए तैयार है। कांग्रेस और इंडी गठबंधन को अब यह तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी कि जब वह सरकार में आएगी तो पूरे देश में जातिगत जनगणना कराएगी। और अभी जिन राज्यों में उसकी सरकारें हैं, वहां जातिगत जनगणना कराकर रहेगी। कांग्रेस के साथ यह मुद्दा जातिगत समीकरण के आधार पर वोट बैंक की दिशा में तेज गति से कदम आगे बढ़ा रहा था। हालांकि एनडीए गठबंधन और मोदी सरकार की सोच जातिगत जनगणना से मेल नहीं खा रही थी। पर जनमत को कांग्रेस और इंडी गठबंधन की तरफ झुकता देख आखिरकार मोदी सरकार ने ही जातिगत जनगणना को अंगीकार कर यह जता दिया है कि जहां जन’मत’, वहीं पर मोदी सरकार का ‘मत’। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फैसला कैबिनेट बैठक में लेकर यह भी साफ कर दिया है कि जातिगत जनगणना मूल जनगणना के साथ ही कराई जाएगी। कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रिमंडल के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने फैसला किया है कि जातिगत जनगणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।’
तो एनडीए सरकार के इस फैसले के साथ ही अब यह तय हो गया है कि देश अब नई दिशा में मुड़ गया है। अब देश को जातियों के समूह में बांटकर देखा जाएगा। जातियों का समूह ही संख्या बल के आधार पर अपने वोट बैंक की ताकत पर देश की सत्ता का फैसला करेगा। साथ ही यह भी फैसला करेगा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे पद पर किस जाति का व्यक्ति बैठेगा? जैसे एक समय बहुजन के नाम पर या समाजवाद के नाम पर उत्तर प्रदेश में दल विशेष ने राज किया है। अब जातिगत जनगणना के बाद इसी तर्ज पर देश के भाग्य का फैसला होगा। पर यह साफ हो गया है कि जातिगत जनगणना की रट लगा-लगाकर कांग्रेस और इंडी गठबंधन ने अगर देश पर राज करने का सपना देखा था, तो वह सपना मोदी सरकार ने झपट्टा मारकर चकनाचूर कर दिया है। और मोदी सरकार ने कांग्रेस और इंडी गठबंधन की फजीहत करते हुए बिहार चुनाव में जीत के साथ नया सफर शुरू करने का मन बना लिया है। जैसा कि केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, ‘यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके इंडी गठबंधन के सहयोगियों ने जाति जनगणना को केवल एक राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है। जनगणना का विषय संविधान के अनुच्छेद 246 की केंद्रीय सूची की क्रम संख्या 69 पर अंकित है। यह केंद्र का विषय है। हालांकि, कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण सुचारू रूप से किया है, जबकि राजनीतिक दृष्टिकोण से गैर-पारदर्शी तरीके से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं। ऐसे सर्वेक्षणों ने समाज में भ्रांति फैली है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा सामाजिक ताना-बाना राजनीति के दबाव में न आए। हमें जाति जनगणना के लिए एक मंच तैयार करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि समाज आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत होगा और देश का विकास भी निर्बाध रूप से चलता रहेगा।
Caste Census Decision : देश में जातीय जनगणना कराने का फैसला, अगली जनगणना में जाति पूछी जाएगी!
अब जनगणना को समझ लें। पहली जनगणना 1872 और आखिरी 2011 में हुई थी। आजादी के बाद जनगणना 1951 से प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर की जाती थी, लेकिन 2021 में कोरोना महामारी के कारण जनगणना टल गई थी। जनगणना के आंकड़े सरकार के लिए नीति बनाने और उन पर अमल करने के साथ-साथ देश के संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम होते हैं। अब भाजपा आरोप लगा रही है कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने हमेशा से ही जातिगत जनगणना का विरोध किया है। आजादी के बाद से ही जाति को जनगणना की किसी भी प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया कि जातिगत जनगणना को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। इसके बाद एक मंत्रीमंडल समूह का गठन किया गया। इसमें ज्यादातर राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना की संस्तुति की। इसके बावजूद भी कांग्रेस ने महज खानापूर्ति का ही काम किया। उसने महज सर्वे कराना ही उचित समझा।
तो कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने यह फैसला उनकी पार्टी द्वारा लगातार उठाई गई मांग के बाद किया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि संसद में हमने कहा था कि जातिगत जनगणना करवा कर रहेंगे। साथ ही 50 फीसदी का आरक्षण की सीमा भी हटाएंगे। हम इस फैसले का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि यह पहला कदम है, अब इससे आगे जाना है। सरकार तारीख बताए कि इसे कब तक करवाया जाएगा। तो अब कांग्रेस और इंडी गठबंधन मुद्दे को कितना भुना पाते हैं, यह तो आने वाला समय बताएगा। पर फिलहाल तो मोदी सरकार ने कांग्रेस को जातिगत जनगणना से दूर छिटक दिया है। और हो सकता है कि 2026 तक जनगणना के साथ जातिगत जनगणना पूरी होकर 2029 आम चुनाव को खास बनाने का काम करेगी। तब क्या-क्या नया होगा, यह समय के साथ सामने आता रहेगा और देश इसके साथ नई दिशा में कदम बढाता रहेगा…।