मीडियावाला.इन। ममता कालिया साहित्य की दुनिया का सुप्रसिद्ध नाम ।ममता कालिया एक प्रमुख भारतीय लेखिका हैं। वे कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध, कविता और पत्रकारिता अर्थात साहित्य की लगभग सभी विधाओं में हस्तक्षेप रखती हैं। हिन्दी कहानी के...
मीडियावाला.इन। ममता कालिया साहित्य की दुनिया का सुप्रसिद्ध नाम ।ममता कालिया एक प्रमुख भारतीय लेखिका हैं। वे कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध, कविता और पत्रकारिता अर्थात साहित्य की लगभग सभी विधाओं में हस्तक्षेप रखती हैं। हिन्दी कहानी के...
मीडियावाला.इन। पति के नाम इक खत ----------------------------- भूल जाऊँ दाल में नमक या बनाना चावल जैसे रखकर भूल जाती हूँ चाबी ख्वाबों की तरह भूल जाती हूँ किराने का हिसाब रखकर दिन रात के शेल्फ पर बेटे की उम्र...
मीडियावाला.इन। देशभर में आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है। यह तीसरा हथकरघा दिवस है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य हथकरघा उद्योग के महत्व एवं आमतौर पर देश के सामाजिक आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में...
मीडियावाला.इन। 1- बहुत मुश्किल है सफर, न जाने मंज़िल कहां। रात हुई इतनी घनी, न जाने सवेरा कहां। हैवानियत सिर चढ़ी है, न जाने इंसान...
मीडियावाला.इन। मेरी कविता समर्पित है ख़ाकी के अमर शहीद अनिल कोहली, देवेंद्र चन्द्रवंशी, यशवंत पाल, चन्द्रकांत एवं संदीप सुर्वे जैसे मातृभूमि पर प्राण न्योछावर करने वाले कर्मवीरों, अप्रतिम साहस के साथ रक्त रंजित होने वाले सरदार हरजीत सिंह जैसे शूरवीरों...
मीडियावाला.इन। बहुत देर कर दी है आज सुब्ह की किरणों की दस्तक ने। पंछी की कलरव ने यूं तो आहट दी है घर चौखट पे। लेकिन पुष्प तभी बोलेगे पल्लव की सुगंध खोलेगें जब किरणों की गरमी पाकर...
मीडियावाला.इन। आज की परिस्थिति में इन कविताओं में जीवन सन्देश बहुत प्रासंगिक है ----------- गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर बंग साहित्य के ही नहीं, विश्व साहित्य की महान विभूति है उनकी जीवन दृष्टि अद्भुत थी. 26 मई, 1921 को स्टाकहोम में दिए...
मीडियावाला.इन। हे मेरे प्रभु.... तेरा जादू चल गया। इस जहान की सड़कें खाली हो गईं हैं। सारे आलम में शुद्ध हवा का झोंका चल रहा है। सारे पेड़ पोधे हवा में झूम रहे हैं। समुंदर में चलने वाली बड़े...
मीडियावाला.इन। कपड़े के मीटर से तय होती मर्यादा आधा मीटर खिड़की पर लगाया जाता लड़की झांकती थी जहां से डेढ मीटर फ्राक में लगता ढाई मीटर दुपट्टे का जिसमें हर दिन लगाई जाती बाप की इज्जत घर के मान...
मीडियावाला.इन। किसी नदी के निर्जन किनारे पर चाहती हूँ किसी नदी के निर्जन किनारे पर बैठी रही हूँ देर तक पानी में पैर डाले तट के सौन्दर्य को निहारती मैं चाहती हूँ किसी पत्थर पर टिक कर...
मीडियावाला.इन। मुझमें नहीं इतना धैर्य कि पी जाऊं अस्मिता और परोसूं वजूद ! मैं ऐसी ही हूँ अब तक बताया नहीं था तुम्हें बस इतना है दोष. यह सच भी क्या सच ! कि ऐसा सौंदर्य मुझमें जो बनाये...
मीडियावाला.इन। मुझे तुम्हारी गालियों से डर नहीं लगता तुम्हारे तमगे पहनकर निकलने से भी डरना बंद दिया है मैंने कुल्टा ,कलंकिनी , कुलछिनी या रंडी कोई फर्क नहीं पड़ता तुम्हारी गढ़ी ये गालियां अब अर्थ नहीं पैदा करतीं कोई...
मीडियावाला.इन। कवि ,समाज सेवी अनुपमा तिवाडी की फेसबुक वाल से एक कविता ,जिसका अन्य भाषाओँ में अनुवाद हो रहा है -यहाँ जस की तस कविता मराठी और नेपाली अनुवाद के साथ दे रहे है अनुपमा की वाल से ---------...
मीडियावाला.इन।हिंदी दिवस:१४ सितंबर पर युवा कवि शिफाली (टीवी पत्रकार और लेखिका) की कुछ चुनिन्दा कवितायें लाल साड़ी और मांग भर सिंदूर में, उसे भी खिंचानी थी तुम्हारे बांई तरफ के कंधे पर हाथ रखे तस्वीर उसने कोशिश भी की...
मीडियावाला.इन। भारती पंडित शेष रह गया कह दूँगी फिर कभी सब कुछ तुमसे सोचते- सोचते कितना सब रह गया कहने- सुनने को रह गया बताना कि तुम्हारा यूँ गहरी नज़र से देखना ...
मीडियावाला.इन। हैप्पी फादर्स डे पूज्य 'पिता दिन' आपका, करता तुम्हें प्रणाम l पहचान बनी मेरी तुमसे, तुम्ही से पाया नाम ll पिता हमारें सहें कष्ट, अनभिज्ञ सारा संसार l झोली में डालीं खुशियाँ, झेल वक्ष पर वार ll दसरथ...
मीडियावाला.इन। रसोई में चूल्हे पर रोटियां सेंकती मेरी माँ का लाल लाल दमकता चेहरा मुझे साहस मेहनत विश्वास देता है अंधेरों में टिमटिमाती ढिबरियों में मेरी माँ की चमकती दो आंखे टपरियो...
मीडियावाला.इन। "मातृ दिवस"शुभकामनाएँ मां तारों की छइयां बन लोरी गा शिशु को सुलाती हो शीतल छांह बन दुलराती हो जीवन पथ के संग्राम से जूझना सिखाती हो...
मीडियावाला.इन। आदिवासी अधिकारों के लिए काम करने वाली साहित्यकार और नारीवादी रमणिका गुप्ता का नई दिल्ली में निधन हो गया, वे 89 साल की थींउनकी कविता स्त्री विमर्श विषयक कृतियां हैं,रमणिका गुप्ता देश की वामपंथी प्रगतिशील...
मीडियावाला.इन। रातों रात दुबेजी बन गये छब्बेजी पल मे धुल गये उनके सारे धब्बेजी महा सियासी साबुन का यह चमत्कार है चमत्कार को नमस्कार है। कलमघसीटे चप्पल चटकाते फिरते हैं और जुगाड़ू पाँव न धरती पर धरते हैं पढ़े क़सीदे...