Cattle Missing : सड़कों से हटाए 15 हज़ार मवेशियों कहां गए, रिकॉर्ड में दर्ज नहीं!

आरटीआई से राज खुला, हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई!

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Cattle Missing : सड़कों से हटाए 15 हज़ार मवेशियों कहां गए, रिकॉर्ड में दर्ज नहीं!

Indore : नगर निगम के अफसरों द्वारा शहर से मवेशी गायब करने और उन्हें करोड़ों में बेचने का मामला आरटीआई के माध्यम से उजागर हुआ। 2015 से लेकर फरवरी 2022 तक इंदौर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के गोपालकों और से निगम ने करीब 15000 से अधिक गाय-बैल बछड़े छुड़वाए थे। लेकिन, इनका रिकॉर्ड दस्तावेजों में उपलब्ध नहीं है।

आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार इंदौर नगर निगम द्वारा शहरी क्षेत्र में घूमने वाले आवारा पशुओं को पकड़कर इंदौर शहर से 20 किलोमीटर दूर हातोद स्थित रेशम केंद्र खजूरिया गौशाला में रखा जाता है। आरटीआई में निकाली गई जानकारी से पता चला कि जनवरी 2020 से लेकर फरवरी 2022 तक इंदौर शहरी क्षेत्र से पकड़े गए आवारा पशुओं की संख्या 4222 थी। इसमें गाय, बैल, बछड़े और सांड सभी शामिल थे। इन सभी को पकड़कर उक्त गोशाला में छोड़ा गया था, लेकिन हकीकत कुछ और है।

गौशाला के जब आंकड़े जांचे गए तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। गौशाला प्रभारी डॉ अखिलेश उपाध्याय के अनुसार गौशाला में मात्र 650 पशुओं को रखने की व्यवस्था है। बाकी 3572 आवारा पशुओं के संबंध में कोई रिकॉर्ड गौशाला में नहीं मिला। इस पूरे गौ-तस्करी के घोटाले को लेकर इंदौर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका समाजसेवी दिग्विजय द्वारा अधिवक्ता डॉ मनोहर दलाल के माध्यम से दायर की गई है। साथ ही इस पूरे मामले में ईओडब्ल्यू में भी शिकायत की गई है जिसकी जांच भी की जा रही है।

 

निगम आयुक्त, गौशाला प्रभारी आरोपी

याचिकाकर्ता के वकील मनोहर दलाल के मुताबिक, यह मामला गौ-तस्करी का लग रहा है। निगम के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से गौ-तस्करों को इंदौर क्षेत्र से पकड़े गए आवारा पशु जिसमें बैल, बछड़े, गाय और सांड हजारों की संख्या में गौ-तस्करों को बेचकर करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम दिया गया। इस गौ-तस्करी और घोटाले को लेकर उच्च न्यायालय इंदौर में निगम के जिम्मेदार अधिकारियों को आरोपी बनाते हुए याचिका दायर की गई है।

इंदौर हाई कोर्ट में इंदौर नगर निगम की वर्तमान निगम आयुक्त प्रतिभा पाल, तत्कालीन उपायुक्त रहे संदीप सोनी और खजूरिया रेशम केंद्र स्थित गौशाला के प्रभारी डॉ अखिलेश उपाध्याय एवं एक वरिष्ठ अधिकारी को भी मामले में आरोपी बनाया है। यह मामला आरटीआई कानून के तहत निकाली गई जानकारी के आधार पर लगाया गया है।

 

जांच में सहयोग नहीं

याचिकाकर्ता के वकील डॉ मनोहर दलाल ने बताया कि उक्त मामले को लेकर ईओडब्ल्यू में भी शिकायत की गई है। ईओडब्ल्यू द्वारा भी निगम के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से उक्त प्रकरण में दस्तावेजों की मांग की गई। लेकिन, आईएएस अधिकारी द्वारा अभी तक ईओडब्लू को जांच के लिए कोई दस्तावेज उपलब्ध कर नहीं कराए गए। जिस पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि उक्त मामले की जांच कर रहे ईओडब्ल्यू के जांच प्रतिवेदन को इंदौर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए। जिस पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के आग्रह को मानते हुए ईओडब्ल्यू के उक्त जांच प्रतिवेदन को हाईकोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश दिए। इस घोटाले को लेकर गोपालक भी जनहित याचिका दायर करने की तैयारी में है कि प्रति गाय 50 हज़ार रुपए मुआवजा गोपालकों को दिया जाए।