केंद्र का संसद में नया राज्य बनाने से इंकार के अलग मायने!

ज़ब भी संसद में इस मुद्दे पर केंद्र सरकारों ने पल्ला झाड़ा, नए राज्य बने

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केंद्र सरकार संसद में पहले भी यह बात कई बार बता चुकी है, कि सरकार अभी कोई नया राज्य बनाने पर विचार नहीं कर रही। आज मंगलवार को एक बार फिर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने संसद में यह बात कही कि केंद्र किसी नए राज्य पर अभी विचार नहीं कर रहा! इसे इस बात का इशारा समझा जा रहा है कि नए राज्य के गठन की हलचल शुरू हो गई।

भाजपा ही नहीं 2011 में तत्कालीन को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने भी यही बात की थी। इसी के बाद तेलंगाना राज्य बना और उसी सरकार ने बनाया जिसके गृह राज्यमंत्री ने संसद में राज्य न बनाने का दावा किया था। मुझे अच्छी तरह याद हैं सन 2000 में झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड राज्य बनने के पहले भी केंद्रीय गृह मंत्री शंकरराव चव्हाण ने 1996 में बुंदेलखंड और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जिसमें शिबू सोरेन और सूरज मंडल भी शामिल थे) के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल से कुछ इसी प्रकार का दावा किया था। इस दावे के बावजूद 2000 में झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड राज्य बनाए गए। इन राज्यों के गठन के बाद यह निष्कर्ष भी सामने आया कि छोटे राज्यों का विकास ज्यादा बेहतर होता है।

कहने का आशय यह कि सरकारें ज़ब भी ऐसे दावे करती हैं, कोई न कोई नए राज्य बनने की पृष्ठभूमि तैयार होती हैं। वर्तमान हालात भी ऐसे ही हैं, ज़ब केंद्र सरकार पर नए राज्यों के गठन का दबाव है। यह दबाव कहीं और से नहीं, बल्कि खुद संघ परिवार की तरफ से है, जो विदर्भ और बुंदेलखंड जैसे छोटे राज्यों के लिए सरकार को राजी कराने में लगा है।
आरआरएस लम्बे समय से विदर्भ राज्य निर्माण के लिए मन बनाए हुए है। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कई बार इसके लिए संकेत दे चुके हैं। गडकरी संघ के बेहद करीब होने के साथ विदर्भ के हृदय स्थल नागपुर से ही ताल्लुक रखते हैं। नितिन गडकरी ही क्यों, संघ मुख्यालय के सूत्र भी बताते हैं कि संघ के दत्तात्रेय होसबोले और भैया जी जोशी जैसे सूत्रधार भी बुंदेलखंड और विदर्भ राज्यों के निर्माण के लिए मन तैयार कर चुके हैं। अब महाराष्ट्र में भी भाजपा नीत सरकार है इसलिए कोई व्यवहारिक अड़चन भी नहीं आने वाली। राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी नागपुर के ही हैं।

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हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पूर्वोत्तर राज्यों में बड़ा आपरेशन किया और वहाँ चल रही बोडोलैंड, कार्वीलैंड जैसे छोटे राज्यों की मांग करने वाले संगठनों के साथ अहम समझौते कर इन संगठनों को क्षेत्रीय परिषदें देकर राजी कर चुके हैं कि अब वे छोटे राज्यों की मांगें नहीं करेंगे। ऐसा करने के पीछे एक बड़ा कारण इन क्षेत्रों का चीन सीमा से सटे होना भी है। पूर्वोत्तर में ही गोरखालैंड की मांग चल रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नहीं चाहती कि बंगाल विभाजित हो। क्योंकि, इससे ममता बनर्जी और उनकी पार्टी का अस्तित्व ही सिमट कर रह जाएगा। गोरखालैंड में भी भारतीय जनता पार्टी इस बात का लाभ लेना चाहती है।

भारतीय जनता पार्टी के अंदर एक बड़ा वर्ग है, जो उत्तर प्रदेश का विभाजन कर बुंदेलखंड राज्य का निर्माण चाहता है। बुंदेलखंड क्षेत्र से आने वाले महोबा के सांसद इसके लिए एक निजी विधेयक भी लोकसभा में रख चुके हैं और स्पीकर ने उसे चर्चा के लिए स्वीकृत भी कर लिया है। भाजपा की पूर्व केंद्रीय मंत्री और झाँसी की पूर्व सांसद उमा भारती ने तो बक़ायदा 2014 में लोकसभा निर्वाचन के वक़्त नरेन्द्र मोदी और राजनाथ सिंह की सभा में बुंदेलखंड की जनता से वादा किया था कि वे जीतने और केंद्र में सरकार बनने पर तीन साल में बुंदेलखंड राज्य बना देंगी। उमा जीतीं भी और उनकी सरकार भी बनी पर बुंदेलखंड बनने का बुंदेलखंड वासियों को अभी भी इंतजार कर रहा है।

बुंदेलखंड आंदोलन को हमेशा आवाज देने वाला मैं स्वयं भी हूँ। इस समय भाजपा की उत्तरप्रदेश सरकार में बुंदेलखंड विकास बोर्ड का उपाध्यक्ष भी हूँ। मामला ये है कि बुंदेलखंड बनने की पृष्ठभूमि भाजपा में तैयार है, बस सही वक़्त का इंतजार है। एक तथ्य यह भी है कि 2022 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले ये चर्चा खूब चली थी कि केंद्र सरकार प्रयागराज, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, कानपुर, औरैया जैसे जिलों को बुंदेलखंड के सात जिलों के साथ मिलाकर बुंदेलखंड राज्य बनाने जा रही है।

उधर, पूर्वांचल की मांग भी जोर पकड़ रही है। लेकिन, पार्टी और संघ विदर्भ और बुंदेलखंड के निर्माण के लिए मन बनाए हुए हैं। इसीलिए संसद में केंद्रीय गृहमंत्री का नए राज्यों के बारे में दिया गया बयान महत्वपूर्ण भी है और नए राज्यों की मांग करने वालों के लिए आशा की किरण भी। इतिहास गवाह है, ज़ब भी केंद्र ने संसद में नए राज्यों के निर्माण से इंकार किया है, एक नया राज्य अस्तित्व में आया है। अब संसद में आज के इंकार के बाद इंतजार है।