Central Minister Wrote Letter to CM : केन्द्रीय मंत्री ने रतलाम के धार्मिक स्थल की अचल संपत्ति मामले में तथ्यात्मक जांच को लेकर CM डॉ यादव को लिखा पत्र!

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Central Minister Wrote Letter to CM : केन्द्रीय मंत्री ने रतलाम के धार्मिक स्थल की अचल संपत्ति मामले में तथ्यात्मक जांच को लेकर CM डॉ यादव को लिखा पत्र!

संत ध्यानदास रामस्नेही ने करोड़ों रुपए की धार्मिक सम्पत्ति को बेचने और अवैधानिक नामांतरण करवाने में निगम अधिकारियों की साठगांठ का लगाया था आरोप!

रमेश सोनी की खास खबर

Ratlam : केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सीएम डॉ मोहन यादव को रतलाम में धार्मिक स्थल बड़ा रामद्वारा की अचल संपत्ति मामले की तथ्यात्मक जांच और कानूनी कार्यवाही करने को लेकर पत्र लिखा है।

बता दें कि शहर के कालिका माता मंदिर क्षेत्र स्थित पुरोहित जी का वास में बड़ा रामद्वारा के महंत ध्यानदास रामस्नेही ने ट्रस्ट के ही तत्कालीन महंत और अन्य लोगों पर आरोप लगाया है कि सन 2011 से 2014 के मध्य तत्कालीन महंत स्वर्गीय गोपालदास (ट्रस्ट अध्यक्ष) व सचिव घनश्याम दास, प्रह्लाद दास लश्करी, (सीनियर वकील) द्वारा 58 करोड़ 25 लाख रुपए की धार्मिक अचल संपत्ति को अवैधानिक तरीके से बेच डाली और जाली, फर्जी दस्तावेज तैयार कर विश्वनीयता के नाते धार्मिक संप्रदाय की भूमि में हेर-फेर करते हुए विश्वास का गला घोंट दिया।

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महंत ध्यानदास ने गत दिनों पत्रकार वार्ता आयोजित करते हुए जमीन का हेरफेर करने वालों पर यह आरोप लगाए।

उन्होंने कहा कि रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य पीठ खेड़ापा, राजस्थान के जोधपुर की मध्यप्रदेश के रतलाम में स्थित 227 साल पुरानी शाखा बड़ा रामद्वारा शहर के पुरोहित जी का वास में स्थित हैं जो की लगभग 58 करोड़ 25 लाख की सम्पत्ति के फर्जी जाली दस्तावेज तैयार कर सन 2011 से 2013 के मध्य तत्कालीन रामद्वारा महंत (ट्रस्ट अध्यक्ष) स्वर्गीय गोपालदास, गुरु आत्माराम व उनके विश्वसनीय सीनियर वकील तत्कालीन ट्रस्ट सचिव घनश्याम प्रह्लाद दास लश्करी निवासी-हाथीखाना (रतलाम) द्वारा बेचान कर दिया गया था।

हमारे द्वारा जानकारी जुटाने पर पता चला की रामद्वारा की सम्पत्ति का 3 हिस्सों बेचान किया गया था। जिसमें रामद्वारा की व्यवस्था संचालन हेतु शहर के दोबत्ती क्षेत्र में स्टेशन रोड़ का मकान नंबर 108 जो रामद्वारा के सप्तम स्वर्गीय राजवैद्य रामविलास महाराज ने स्वयं की निजी भूमि का पब्लिक चेरीटेबल ट्रस्ट श्री आत्म कल्याण रामविलास ट्रस्ट (रतलाम) जो पारमार्थिक सेवा, शिक्षा, चिकित्सा, आध्यात्मिक उद्देश्य एवं बड़ा रामद्वारा की व्यवस्था सुचारू चलती रहे इस हेतु ट्रस्ट का गठन किया था। और यह भूमि सन 1965 में दान कर दी गई थी।

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रामद्वारा ट्रस्ट की सम्पत्ति की 11 हजार 100 वर्ग फिट की खुली भूमि जिसका वर्तमान मूल्य 30 करोड़ रुपए हैं।
इसका ट्रस्ट के तात्कालिक सचिव घनश्याम, प्रह्लाद दास लश्करी जो ट्रस्ट में लगभग 20 वर्ष रहें। 2010 में भंवरलाल भाटी के स्थान पर इन्हें वकील व जानकार व्यक्तित्व होने एवं गोपालदास महाराज के विश्वसनीय और करिबी होने के नाते तथा ट्रस्ट का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहें, इसलिए सचिव नियुक्त किया गया था।

जिसके बाद सन 2013 में नगर पालिका निगम में सचिव होने की हेसियत से शपथ-पत्र पेश कर ट्रस्ट अध्यक्ष गोपालदास महाराज के निजी नाम पर नामांतरण करवाया व 11,100 वर्ग फिट के 10 पंजीयन विक्रय पत्र पृथक-पृथक नाम से 1118 वर्ग फिट भूमि के हिसाब से व्यक्तियों नाम से संपादित हुए।

अनुविभागीय अधिकारी एवं रजिस्टार लोक न्यास (रतलाम) की जांच में पाया गया था कि ट्रस्ट की सम्पत्ति का स्वर्गीय गोपालदास के निजी नामान्तरण हेतु विधिसम्मत नहीं हुआ। पब्लिक चेरीटेबल ट्रस्ट की सम्पत्ति के नामांतरण से पूर्व रजिस्टार लोक न्यास से अनुमति लेना जरूरी होती हैं, मध्यप्रदेश न्यास अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत जाकर नगर पालिका निगम में साठगांठ से अवैधानिक नामांतरण करवा लिया गया।

जिस नामांतरण को अनुविभागीय अधिकारी की जांच के बाद पुन: निरस्त करवाया गया था व नगर पालिका निगम की असेसमेंट नकल के आधार पर 10 पंजीयन विक्रय पत्र रूप में बेचान कर दिया गया। जिसके निरस्तीकरण के लिए भी रजिस्टार लोक न्यास (रतलाम) द्वारा पंजीयन विक्रय पत्र निरस्त शून्य घोषित करवाने के लिए न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया गया हैं।

रामद्वारा की पूर्व महंतो की ग्राम डेलनपुर की 27 करोड़ की भूमि का भी फर्जी तरीके से कर दिया बेचाननामा!
संत ध्यानदास राम स्नेही ने पत्रकारों को बताया कि बड़ा रामद्वारा के सप्तम महंत स्वर्गीय राजवैद्य रामविलास महाराज की शिष्या गंगा बाई की 19 बीघा कृषि भूमि खसरा नंबर 270/1, 281/1,355 की भूमि साध्वी गंगा बाई के निधन के बाद महंत गोपालदास के नाम नामांतरण करवाया गया था और उसके पश्चात घनश्याम लश्करी ने गोपालदास जी को विश्वास में लेकर 19 बीघा जमीन की रजिस्ट्री बिना कोई राशि प्राप्त किए चिंगीपुरा निवासी हनीफ पटेल के नाम करवा दी थी। इसके बाद सामाजिक दबाव के चलते 9 बीघा जमीन की रजिस्ट्री पुनः गोपालदास जी के नाम करवा दी गई थी। शेष भूमि के लिए गोपालदास जी ने न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया था लेकिन तब तक हनीफ पटेल गायब हो चुका था। बाद में पता चला कि हनीफ पटेल बनकर किसी अकरम नामक व्यक्ति ने उक्त भूमि की रजिस्ट्री मदन सोनी के नाम करवा दी थी बाद में स्टेशन रोड थाने पर आरोपियों के विरुद्ध धोखाधड़ी का प्रकरण भी दर्ज हुआ हैं।

इस संदर्भ में 16 अगस्त 24 को संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सीएम डॉ मोहन यादव को एक पत्र लिखकर अवगत कराया गया था कि यह रामद्वारा जो देवस्थान/धार्मिक (कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अधीन होकर शासकीय मंदिर हैं जिसकी अवैधानिक रजिस्ट्री करवाने वाले क्रेता विक्रेता की तथ्यात्मक जांच और कार्यवाही ।

इस भूमि का खसरा नंबर 270/1, 281/1, 355 हैं जो के नाम थी। साध्वी गंगा बाई का देहांत 2006 बाद 2011 गोपालदास के नाम नामांतरण करवाया था व बाद में गोपालदास के विश्वसनीय वकील घनश्याम प्रह्लाददास लश्करी ने बुजुर्ग 85 वर्षीय महंत गोपालदास को विश्वास में लेकर झांसा देकर 19 बीघा ज़मीन को बिना रुपए दिए संयुक्त रजिस्ट्री करवाई गई जो स्वयं घनश्याम प्रह्लाददास लश्करी व मोहम्मद हनीफ पटेल, चिंगीपुरा के नाम मार्च 2011 में करवाई गई।

इसके बाद 3 वर्ष तक वकील घनश्याम प्रह्लाददास लश्करी लोभ प्रलोभन दिखाता रहा व धीरे धीरे रामद्वारा से दूरी बनाता चला गया बाद में सामाजिक दबाव के कारण मार्च 2014 में पुन: 9 बीघा की रजिस्ट्री गोपालदास के नाम करवाई गई व मोहम्मद हनीफ पटेल 9 बीघा जमीन का हेरफेर कर फरार हो गया तो न्यायालय में गोपालदास ने दीवानी वाद प्रस्तुत किया। और समाचार पत्र में इस प्रकरण के संबंध में आम सूचना भी प्रकाशित करवाई गई। उसके बाद भी 9 बीघा जमीन की मोहम्मद अकरम नामक व्यक्ति ने फर्जी मोहम्मद हनीफ बनकर मदन सोनी के नाम फर्जी रजिस्ट्री करवा दी गई। मदन सोनी को जब पता चला की यह मोहम्मद हनीफ पटेल नहीं अकरम है तो मदन सोनी द्वारा भी शहर के स्टेशन रोड़ थाने पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया।

22 अप्रैल 2024 को संत निवास भवन पर कब्जा करने की नीयत से परिवार सदस्यों के साथ हमला किया व षड्यंत्र पूर्वक ढंग से रामद्वारा के संतों पर स्टेशन रोड़ थाने में आपराधिक मुक़दमा दर्ज करवा कर गलत तथ्यों के साथ संगीन धारा 326 व 147 जोड़ कर दर्ज करवाया। व 2 साधुओं को गिरफ्तार करवाकर उन्हें फसाने की साजिश रची गई। 3 माह बाद 2 अगस्त को आपराधिक प्रकरण सुनवाई में संगीन धारा 326 व 147 हटाई गई।

रामद्वारा के वर्तमान बुजुर्ग महंत पुष्पराज महाराज की पद प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए उनके ऊपर भी झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई।

22 अप्रैल को महंत अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए अहमदाबाद गए हुए थे रतलाम में नहीं होने के बाद भी षड्यंत्रकारी नीति के तहत उन्हें फंसाना व गिरफ्तार करवाने दबाव बनाया गया। महंत द्वारा 482 के तरह हाईकोर्ट में याचिका लगाई जिसमें सीसीटीवी फ़ुटेज वीडियो पेश किए तो न्यायालय के आदेश से गिरफ्तारी पर रोक लगी व पुलिस को अहमदाबाद से भौतिक रिपोर्ट लेकर FIR से नाम हटाने का आदेश दिया।

कलेक्टर ने न्यायालय में लगाया रामद्वारा संत निवास भवन का रजिस्ट्री शून्यवाद!

रामद्वारा संत निवास भवन की स्व. महंत गोपालदास से नगर पालिका निगम असेसमेंट नकल के आधार पर ट्रस्ट सचिव वकील घनश्याम प्रह्लाददास लश्करी ने अपने व अपनी पत्नी दुर्गा लश्करी के नाम से भवन विक्रय पत्र संपादित करवा लिया जो विधि नियमानुसार गलत हैं देवस्थान रामद्वारा जिसका व्यवस्थापक कलेक्टर हो उसका सम्पत्ति विक्रय नहीं होता हैं उसके बावजूद वकील लश्करी ने नगरपालिका असेसमेंट नकल के आधार पर चतुराई से अपनी पत्नी के साथ संयुक्त विक्रय पत्र संपादित करवा लिया। कलेक्टर रतलाम को प्रकरण जानकारी में आने के बाद रामद्वारा संत निवास भवन के संपादित विक्रय पत्र को शून्य घोषित करवाने के लिए न्यायालय में वाद दाखिल किया !

मामले में बड़ा रामद्वारा महंत पुष्पराज रामस्नेही ने बताया कि मैं बाल्यावस्था से रामद्वारा निवास करता हुं, मेरे गुरु गोपालदास का घनश्याम प्रह्लाददास लश्करी विश्वसनीय था। 2 दशक तक रामद्वारा ट्रस्ट, कृषि भूमि का काम देखता था मेरे को आरती पूजा सेवा तक सीमित रखता था जैसा लश्करी वकील सुझाव देता गोपालदास मानते थे मेरे व गुरु जी के बीच प्रतिदिन आपसी कलह लश्करी के कारण बनी रहती थी। उन्होंने कहा कि कलेक्टर को मामले में शीघ्र कठोर कार्यवाही करना चाहिए।

बता दें कि ध्यानदास रामस्नेही (महंत) नही हैं उन्हें अब उत्तराधिकारी घोषित किया गया है।