चंदा मामा अब दूर के नही,बच्चों के टूर के…आगे सूर्य विजयी भवः …

चंदा मामा अब दूर के नही,बच्चों के टूर के…आगे सूर्य विजयी भवः …

गोपेंद्र नाथ भट्ट  का कॉलम

भारत माता ने बुधवार को रक्षा बंधन के पवित्र त्यौहार से पहले ही चंदा मामा को राखी बाँध इस कहावत को बदल दिया कि चंदा मामा अब दूर के नही,बल्कि पास के हो गए हैं। साथ ही नई कहावत भी गढ़ दी कि “चंदा मामा अब घर के और टूर के…”

 

भारतीय वैज्ञानिकों ने चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत का तिरँगा झण्डा गाढ़ कर दुनिया में वह करिश्मा कर दिखाया जो इससे पहले विश्व का कोई देश नही कर पाया था। भारत चन्द्रमा के इस भाग में पहुँचने वाला वाला दुनिया का पहला देश बन गया।यह सुनहरा अध्याय रचने पर हर भारत वासी का सीना गर्व से चोड़ा हो रहा हैं।

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चंद्रयान-3 ने बुधवार को एक इतिहास रच दिया और चांद की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग की। चाँद पर पहुँचने पर उसने सबसे पहला सन्देश भेजा कि मैं अपनी मंज़िल पर पहुँच गया हूँ। ये भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल है। दुनियाभर के लोग भारत के इस मिशन पर नजर बनाए हुए थे। दुनिया के वे देश भी नज़रें गढ़ायें थे जो पहलें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने के मिशन में सफलता हासिल नही कर पायें थे।

 

इस मौके पर दक्षिणी अफ़्रीका की यात्रा पर ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने गए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जोहानसबर्ग से कहा,कि ‘ये क्षण अभूतपूर्व है। इंडिया इज नाउ ऑन द मून।’ उन्होंने कहा कि पहले हम कहते थे कि चँदा मामा दूर के लेकिन अब बच्चे कहेंगे कि चँदा मामा टूर के.. साथ ही उन्होंने चंद्र विजय के बाद सूर्य तक पहुँचने के मिशन की घोषणा भी कर दी।राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी चन्द्रमा पर भारत के कदम रखने पर देशवासियों और भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई दी।

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इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर इसरो की अपनी टीम को हार्दिक बधाई दी है। उन्होंने कहा कि ये बहुत खुशी की बात है । ये कोई आसान काम नहीं था। हमे चंद्रयान -2 से बहुत कुछ सीखने को मिला। उन्होंने बताया कि चन्द्रमा पर अगले 14 दिन काफी रोचक होने वाले हैं।

 

चंद्रयान-3 की चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ़्ट लेंडिंग पर पूरा देश झूम उठा है और सभी और जश्न का माहौल बना हुआ है। देश विदेश से बधाइयाँ मिलने का सिलसिला भी जारी है। मोदी मंत्रिपरिषद के सभी मंत्री गणों और देश के सभी प्रदेशों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों के साथ ही सभी राजनीतिक दलों के नेताओं तथा समाज के हर वर्ग ने भी भारत की इस महान उपलब्धि पर देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी हैं।कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी भारतीय वैज्ञानिकों की सामूहिक उपलब्धि पर अपनी बधाई दी है।

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पृथ्वी से चंद्रमा तक 3.84 लाख किलोमीटर का सफर तय करने के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती पर कामयाबी के साथ उतर गया। इसी के साथ भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला रूस, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया है। दुनिया में अब तक चांद पर सिर्फ तीन देश ही सफलतापूर्वक उतर पाए हैं।यें देश हैं अमेरिका, रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) और चीन। भारत के चंद्रयान-3 की चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिलने के साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।साथ ही चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।इससे पहलें कुछ दिन पहलें ही रूस का मून मिशन लूना-25 असफल हो गया ।

 

23 अगस्त की शाम को चांद पर जैसे ही सूरज उगा, इसरो के चंद्रयान ने उसके साउथ पोल पर लैंडिंग कर इतिहास रच दिया और भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम 5 बजकर 44 मिनट पर लैंडिंग प्रोसेस शुरू की। इसके बाद अगले 20 मिनट में चंद्रमा की अंतिम कक्षा से 25 किमी का सफर पूरा किया। शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद पर पहला कदम रखा।

इसरो (आईएसआरओ)  के डायरेक्टर एस.  सोमनाथ ने बताया कि विक्रम लैंडर-रोवर के सभी सेंसर की टेस्टिंग की जा रही है और सब कुछ ठीक रहा तो कुछ घण्टों बाद इसरो हेड क्वार्टर से कमांड देकर प्रज्ञान रोवर को विक्रम से बाहर निकाला जाएगा लेकिन यदि चीज़ें तय पैमाने पर नहीं हुईं तो फिर रोवर को बाहर निकालने का फैसला 24 घंटे बाद किया जाएगा। इस तरह प्रज्ञान रोवर को बाहर आने में एक दिन का समय भी लग सकता है। उन्होंने कहा कि प्रज्ञान हमें चांद के वातावरण के बारे में जानकारी देगा। हमारे कई मिशन कतार में हैं। जल्दी ही सूर्य पर आदित्य एल 1 भेजा जाएगा। गगनयान पर भी काम जारी है।

चाँद से दीदार करने के लिए चन्द्रयान-3 ने चंद्रमा की 3.84 लाख किमी की दूरी को 40 दिनों में पार किया । पिछलें महिने की जुलाई की चौदह तारीख को यह आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से अपने गन्तव्य के लिए रवाना हुआ था।चन्द्रमा तक पहुँचने की भारत की 615 करोड़ रु की इस महत्वाकांक्षी स्पेस परियोजना के साकार होने पर हिन्दुस्तान में सभी गदगद है और अब हर कोई कह रहा है कि चंद्र विजय के बाद अब सूर्य विजयी भवः….

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गोपेंद्र नाथ भट्ट
गोपेंद्र नाथ भट्ट

गोपेंद्र नाथ भट्ट सम-सामयिक विषयों के लेखक और सूचना एवं जनसंपर्क के क्षेत्र में एक जाने पहचाने नाम और लेखनी के सशक्त हस्ताक्षर है ।

भट्ट राजस्थान के कई मुख्य मंत्रियों जिसमें पूर्व उप राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, वर्तमान मुख्य मंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्य मंत्री वसुन्धरा राजे और दिवंगत मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी सहित प्रदेश के दस-ग्यारह मुख्यमंत्रियों के पीआरओ और प्रेस अटेची रहे है ।भट्ट के देश-विदेश और प्रदेश के सभी जाने माने पत्रकारों और अन्य सभी मीडिया जनों से हमेशा अत्यन्त मधुर सम्बन्ध रहें है।अपनी कार्य कुशलता और व्यवहार से भट्ट ने एक श्रेष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में अपनी छाप छोड़ी । उन्हें पत्रकारिता और जनसम्पर्क के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए कई प्रतिष्ठित अवार्ड भी मिलें हैं।

भट्ट ने सरकारी सेवा से निवृत होने के बाद भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय के सीनियर मीडिया कसलटेंट के रूप में अपनी सेवाएं दी। साथ ही वे भारतीय उद्यमिता संस्थान,अहमदाबाद के अधिशासी अधिकारी भी रहें। वर्तमान में भट्ट कई जाने माने प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक संस्थानों के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी की कई सामाजिक-सांस्कृतिक एवं समाजसेवी और प्रवासियों से संबद्ध संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए है ।

भट्ट सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, राजस्थान के वरिष्ठतम अधिकारी रहे है तथा प्रदेश के विभिन्न जिलों और संभाग में सेवाएं देने के साथ ही एक मात्र ऐसे अधिकारी रहे है जिन्होंने लगातार 25 वर्षों तक राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में भिन्न-भिन्न दलों की सरकारों के मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया । साथ ही पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल सहित कई राज्यपालों और देश प्रदेश के अनेक लब्ध-प्रतिष्ठित प्रशासनिक अधिकारियों को भी अपनी सेवाएं दी।

दिल्ली पद स्थापन के दौरान भट्ट राजस्थान संवाद के अधिशासी निदेशक भी रहें।इसके अलावा वे दिल्ली में राज्यों के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारियों की संस्था “सिप्रा” के दो बार निर्विरोध अध्यक्ष और पब्लिक रिलेशंस सोसायटी ओफ़ इंडिया (पीआरएसआई ) के विभिन्न पदों पर भी रहे।

भट्ट का जन्म और शिक्षा दीक्षा दक्षिणी राजस्थान के ऐतिहासिक नगर डूंगरपुर में हुई । उनके पिता भट्ट कांतिनाथ शर्मा बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय से स्नातक और संस्कृत,हिन्दी और अंग्रेज़ी के प्रकाण्ड विद्वान थे। वे देश के प्रथम गवर्नर जनरल चक्रवती राजाजी राज गोपालाचारी के सहयोगी एवं भाषण अनुवादक रहने के अलावा राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डूंगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह के जीवन पर्यन्त राजनीतिक सचिव रहें । साथ ही तत्कानीन स्वतंत्र पार्टी की राजस्थान प्रदेश इकाई के महामंत्री तथा जयपुर की महारानी गायत्री देवी के राजनैतिक गुरु भी रहें । उन्हें गायत्री देवी को राजनीति में लाने का श्रेय भी मिला ।भट्ट अंतर राष्ट्रीय न्यायालय हेग के अध्यक्ष डॉ नागेन्द्र सिंह के विश्वस्त सहयोगी और भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष राजसिंह डूंगरपर और उनके सभी भाई बहनों के प्रारम्भिक शिक्षक भी रहें।उन्हें राज परिवार के सदस्य स्नेहपूर्वक मास्टर साहब पुकारते थे।