Change the Laws on Dowry Harassment : सुप्रीम कोर्ट का संसद से आग्रह ‘दहेज प्रताड़ना के कानून में जरूरी बदलाव हो!

सुप्रीम कोर्ट को इस कानून के दुरुपयोग पर चिंता!

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Change the Laws on Dowry Harassment : सुप्रीम कोर्ट का संसद से आग्रह ‘दहेज प्रताड़ना के कानून में जरूरी बदलाव हो!

New Delhi : दहेज प्रताड़ना से संबंधित कानून के दुरूपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि दहेज प्रताड़ना से संबंधित नए कानून में जरूरी बदलाव करना चाहिए। भारतीय न्याय संहिता एक जुलाई से लागू होने जा रही है, जिसमें दहेज प्रताड़ना से संबंधित प्रावधान धारा 85 और 86 में है।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 85 और 86 एक जुलाई से प्रभाव से लागू होने वाली है। ये धाराएं IPC की धारा 498A को दोबारा लिखने की तरह है। हम कानून बनाने वालों से अनुरोध करते हैं कि इस प्रावधान के लागू होने से पहले भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 85 और 86 में जरूरी बदलाव करने पर विचार करना चाहिए ताकि इसका दुरुपयोग न हो सके।

नए कानून में दहेज प्रताड़ना से संबंधित कानून की परिभाषा में कोई बदलाव नहीं किया गया है, बस अलग से धारा 86 में दहेज प्रताड़ना से संबंधित प्रावधान के स्पष्टीकरण का जिक्र किया गया है।

दहेज प्रताड़ना मामले में अहम टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की ओर से पति के खिलाफ दर्ज कराए गए दहेज प्रताड़ना के केस को खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की। केस को खारिज करने की पति की अर्जी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने ठुकरा दी थी जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दी। साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले में जजमेंट को गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय के मंत्री को भेजे।

14 साल पहले भी की थी सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट ने 2010 के अपने फैसले का जिक्र किया जिसमें उसने दहेज प्रताड़ना से जुड़े कानून के मिसयूज को रोकने के लिए कानून में बदलाव की सिफारिश संसद से की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 498A के मामले में जब शिकायत की जाती है तो कई बार मामले को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है। ऐसे में संसद से आग्रह है कि वह व्यावहारिक सचाई के मद्देनजर कानून में बदलाव पर विचार करें। कोर्ट ने कहा था कि समय आ गया है कि विधायिका को इस मामले पर विचार करना चाहिए।

क्या बदलाव चाहता है सुप्रीम कोर्ट

2010 में भी सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के कानून के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर की थी और संसद से इसमें जरूरी बदलाव का आग्रह किया था। यही नहीं, देश के अलग-अलग हाई कोर्ट भी कई बार इस कानून के दुरुपयोग को लेकर चिंता जता चुके हैं।

दरअसल, दहेज प्रताड़ना गैर जमानती अपराध है और दोषी को तीन साल तक कैद हो सकती है। यह कानून महिलाओं को प्रोटेक्ट करने के लिए लाया गया था लेकिन इस कानून के मिसयूज के कई उदाहरण सामने आए। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सरकार को कानून पर दोबारा विचार करना चाहिए ताकि कोई दोषी छूट ना पाए, लेकिन साथ ही किसी निर्दोष को उलझाया न जा सके।