Chaos in Mahakal : रणबीर- आलिया मामला- महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ अराजकता आखिर कब तक!

पुलिस के डंडों और मंदिर प्रशासक की भूमिका पर भी उंगली उठी

712

Chaos in Mahakal : रणबीर- आलिया मामला- महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ अराजकता आखिर कब तक!

उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट 

Ujjain : दो बड़े फ़िल्मी कलाकारों को महाकाल मंदिर में प्रवेश नहीं करने देने के लिए मंगलवार शाम यहां जो कुछ हुआ, वो बेहद निंदनीय है। आलिया भट्ट और रणवीर कपूर को उनकी नई फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ की सफलता और इस जोड़े की नई पौध के लिए वे बाबा महाकाल का आशीर्वाद लेने आए थे! लेकिन, अराजक हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने उनको मंदिर में नहीं जाने दिया। उनके विरोध का कोई पुख्ता आधार भी नहीं था! 10 साल पहले अपनी पसंद के मांसाहार को लेकर उनके बयान को आधार बनाया गया! ऐसी स्थिति में इस जोड़े को बिना दर्शन के लौटना पड़ा। आश्चर्य है कि मंदिर प्रशासक ऐसे हालात में कहां थे! वे सामने क्यों नहीं आए!
इस घटना को लेकर सामान्य दर्शनार्थियों और मंदिर के बाहर व्यवसाय करने वाले कई लोगों की प्रतिक्रिया नकारात्मक थी! उन्होंने कहा कि महाकाल मंदिर को लेकर जो कुछ हो रहा है, वो बेहद गलत है! यदि ऐसी अराजकता होती रही, तो आम श्रद्धालु मंदिर आना ही छोड़ देंगे। लोगों ने सवाल उठाया कि क्या खान-पान के कारण किसी व्यक्ति को मंदिर में दर्शन करने से रोका जाना ठीक है! क्या मन्दिर आने वाले हर भक्त से अब उसका डाइट चार्ट मांगा जाएगा! इन हिंदूवादी नेताओं को ये अधिकार किसने दिया कि वे तय करें कि कौन मंदिर जाएगा और कौन नहीं! मंगलवार शाम महाकाल मंदिर के बाहर जो भी हुआ, वह उज्जैन के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता।
मंगलवार को दिनभर से रणवीर व आलिया के उज्जैन आने की खबर सोशल मीडिया पर चल रही थी। पुलिस प्रशासन के पास हिंदूवादी संगठनों के कथित विरोध करने को लेकर भी जानकारी पहुंच गई थी! फिर क्या कारण था कि पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए! यदि हिंदूवादी संगठन शांतिपूर्ण तरीके से विरोध दर्ज करवा रहे थे, तो उनके विरोध को वहीं तक सीमित रहने दिया जाता! पुलिस ने मारपीट क्यों की, जिसके परिणाम स्वरूप यह विरोध प्रदर्शन उग्र हो गया। प्रतीकात्मक विरोध भी किया गया होता और आगंतुकों को दर्शन लाभ से तो वंचित नहीं होना पड़ता!
जो हुआ उसके पीछे यदि हिंदूवादी नेता जिम्मेदार हैं, तो पुलिस और प्रशासन भी उतना ही जिम्मेदार है! मंदिर में वीआईपी व्यवस्था बनाने में माहिर समझे जाने वाले मंदिर समिति प्रशासक इस पूरे घटनाक्रम में कहीं नजर क्यों नहीं आए! लगता है वे वे जानबूझकर नदारद रहे या अन्य कोई कारण रहा! इस घटना की जवाबदेही सबसे ज्यादा मंदिर प्रशासक की है, जो इस घटना से बचने की कोशिश में रहे! लेकिन, ऐसी घटनाओं पर रोक लगना चाहिए! ये मंदिर की व्यवस्था और श्रद्धालुओं के लिए भी जरूरी है!