
शहडोल के अफसरों की “चौपाल पार्टी” और पेंट घोटाले का महा-मिलन: काजू-बादाम, नमकीन और रंग-रोगन में डूबा सरकारी सिस्टम!
शहडोल में इन दिनों सरकारी अफसरों की चौपालें और स्कूलों की दीवारें दोनों ही खूब सुर्खियों में हैं और वजह है “फर्जी बिलिंग” का कमाल! भदवाही ग्राम पंचायत में एक घंटे की जल चौपाल में अफसरों ने 14 किलो काजू-बादाम, 30 किलो नमकीन, 6 लीटर दूध की चाय और न जाने क्या-क्या चट कर डाला- वो भी सरकारी खर्चे पर! रसगुल्लों के बिल से लेकर काजू के रेट तक में ऐसी कलाकारी कि दुकानदार भी सोच में पड़ जाएं- कहीं हम ही तो घाटे में नहीं…?
अब जरा सोचिए, एक घंटे में 14 किलो काजू-बादाम, 30 किलो नमकीन, 20 पैकेट बिस्किट, 6 लीटर दूध और 5 किलो शक्कर की चाय—इतना तो शादी-ब्याह में भी नहीं उड़ता! ऊपर से सब्जी-पूड़ी, खिचड़ी और टेंट का 8 हजार का बिल अलग। पंचायत के बिलों में काजू कभी 1000 तो कभी 600 रुपये किलो में खरीदे गए, और रसगुल्लों का बिल देखिए—20 रुपये नग के हिसाब से 50 रसगुल्ले यानी 1000 रुपये का बिल! अफसरों की भूख और बिलिंग की भूख में कौन भारी, ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
इसी शहडोल में शिक्षा विभाग का “ऑयल पेंट घोटाला” भी कम मजेदार नहीं- 24 लीटर पेंट के नाम पर 3 लाख से ज्यादा का खर्च, 443 मजदूर और 215 मिस्त्री कागजों पर जुट गए! 4 लीटर पेंट में 168 मजदूर, 65 मिस्त्री और 1 लाख से ज्यादा का खर्चा- लगता है, दीवार नहीं, ताजमहल रंगवाया गया हो! निपानिया स्कूल में 20 लीटर पेंट के लिए 275 मजदूर, 150 मिस्त्री और 2.3 लाख का बिल- वाह री सरकारी जादूगरी!
दोनों घोटालों में एक ही कहानी- सरकारी मुहर, अफसरों की चुप्पी, और जनता की आंखों में धूल। सोशल मीडिया पर बिल वायरल हैं, अफसर जांच का भरोसा दे रहे हैं, और जनता पूछ रही है- “सरकारी सिस्टम में भूख ज्यादा है या घोटाले की भूख..?”

शहडोल के अफसरों ने तो साबित कर दिया- *सरकारी चौपाल हो या स्कूल की दीवार, यहां हर जगह “घोटाले का रंग” गाढ़ा ही चढ़ता है!*
अब देखना है, जांच में कौन रंगे हाथ पकड़ा जाता है, और किसकी थाली में सबसे ज्यादा काजू-बादाम निकलते हैं!





