चुनावी सियासत में छाया महुए का सरूर, हेरिटेज शराब बनवाने और बेचने की योजना तैयार

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इंदौर से प्रदीप जोशी की रिपोर्ट

इंदौर। चुनावी दौर में वादे, आश्वासन और भरोसे के जुमले उठना आम बात है मगर इस बार टक्कर कांटे की है तो मतदाताओं की नब्ज पकड़ने की कोशिश हो रही है। अलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा सीट पर फतेह के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इस नब्ज को अच्छे से पहचान लिया।

सीएम ने जो पैतरा चला उसका अंचल से बाहर विरोध भले होने लगे मगर अंचल के जनजातीय वर्ग में इसका खासा असर रहेगा। शुक्रवार को जोबट में भाजपा के मंच से मुख्यमंत्री के भाषण का टेप सुनाया गया। इस भाषण में मुख्यमंत्री चौहान घोषणा कर रहे है कि अलीराजपुर जिले में महुआ सर्वाधिक होता है।

इस महुआ से आदिवासी बंधु दारू बनाते है। कई कानूनी दिक्कतों और परेशानियों के बाद सही दाम भी आदिवासियों को नहीं मिल पाता। सरकार ने तय किया है कि महुआ से दारू खुद बनवाएंगे। अंचल की यह दारू पूरा प्रदेश पिएंगा। हालांकि मुख्यमंत्री का यह भाषण पिछले दिनों झाबुआ में हुए जनजातीय सम्मेलन का था। भाजपा इस भाषण को चुनावी अस्त्र के रूप में गांव गांव टोले टोले प्रचारित करने में जुटी है।

क्या कहा था मुख्यमंत्री ने –
झाबुआ में 5 अक्टोबर को आयोजित जनजातीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई घोषणाएं की थी। झाबुआ से लगे अलीराजपुर जिले की जोबट सीट पर उपचुनाव के चलते आचार संहिता लगी हुई है।

लिहाजा सम्मेलन झाबुआ में हुआ जिसमे मुख्यमंत्री ने आदिवासियों को महुआ और ताड़ी की शराब बनाने और बेचने की छूट देने की घोषणा की थी। उन्होंने आदिवासियों पर किसी प्रकार के मुकदमे दर्ज ना करने और पुराने मुकदमे खत्म करने का भी वादा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं शराब का समर्थन नहीं करता पर परंपरा के लिए अगर आदिवासी शराब बनाते या पीते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है।

प्रदेश की पहली हेरिटेज शराब –
इंदौर संभाग के बड़वानी, अलीराजपुर, झाबुआ, धार जिले में बहुतायात तादाद में महुआ पैदा होता है। अंचलों में ताड़ के पेड़ो पर टंगी मटकियों में जमा होने वाली ताड़ी के अलावा महुआ की शराब खूब प्रचलित है। सुरा प्रेमियों को भी ताड़ी और महुआ की देशी शराब खासा आकर्षित करती है। हालांकि आदिवासियों को ताड़ी और महुआ के लिए शासन से छूट प्राप्त है मगर इसके बावजूद वन विभाग और आबकारी विभाग की कार्रवाई होती रहती है।

इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए शासन ने हेरिटेज शराब बनवाने और बेचने की योजना तैयार की है। बताया जाता है कि इसके लिए प्रमुख सचिव ने भी आदेश जारी कर दिया है। देशी विदेशी शराब के अलावा प्रदेश की पहली हेरिटेज वाइन को मार्केट में उतारने के लिए आबकारी अधिनियम में भी कुछ संशोधन किए जा रहे है।

पीपीपी मॉडल पर निर्माण और बिक्री –  
पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशीप (पीपीपी) मॉडल पर हेरिटेज शराब का निर्माण और बिक्री होगी। हेरिटेज शराब को महुआ से ही बनाया जाएगा। शराब निर्माण आदिवासियों की संस्था कर सरकार को बेचेगी। इसके लिए आदिवासियों की संस्था को शराब बनाने को ठेका दिया जाएगा। महाराष्ट्र की एक टीम को मार्केट सर्वे की जिम्मेदारी सौपी गई है।

अंचल में पैदा होने वाले महुआ को खरीदने और संस्थाओं को प्रदान करने फिर महुआ से शराब तैयार कर उसे आउटलेट तक सप्लाय करने तक की रूपरेखा तैयार की जा रही है। शासन की इस योजना से जंगलों में छुपकर चल रहे अवैध शराब के ठिकाने बंद होंगे। आदिवासियों को महुआ का उचित दाम मिलेगा तथा लोगों को असली टेस्टेड शराब कम दाम पर उपलब्ध होगी। सबसे अहम शासन को राजस्व के रूप में एक बड़ी राशि अतिरिक्त प्राप्त होने लगेगी।