Jabalpur : हाईकोर्ट ने एक शासकीय कर्मचारी को उसके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की जानकारी RTI के तहत नहीं देने पर मुख्य सूचना आयुक्त (Chief information commissioner) पर 2 हजार रुपए का जुर्माना किया। HC ने अपने फैसले में कहा कि सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगे जाने पर कोताही बरती जाना अनुचित है। मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। इस तल्ख टिप्पणी के साथ उन पर जुर्माना लगाया गया। साथ ही भविष्य में ऐसी गलती न करने की हिदायत भी दी गई।
जानकारी के मुताबिक, स्टेट GST जबलपुर में पदस्थ कर्मचारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने HC में याचिका दायर करके बताया था, कि उस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। वर्तमान में याचिकाकर्ता निलंबित है और नरसिंहपुर में कार्यरत है। भोपाल की विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त भोपाल ने 2018 में याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध किया था। श्रीवास्तव ने RTI के तहत अभियोजन स्वीकृति की कापी मांगी थी।
अधिकारी ने यह दलील दी कि प्रकरण कोर्ट में लंबित है, इसलिए कॉपी नहीं दी जा सकती। वहीं शासन की तरफ से बताया गया कि 20 जून, 2020 में ही उक्त प्रकरण में चार्जशीट पेश हो चुकी है। सूचना आयोग ने 28 जुलाई को जानकारी देने से इनकार किया है।
प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति अरुण कुमार शर्मा की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि आवेदक को RTI आवेदन को प्रथम व द्वितीय अपील पर भी जानकारी नहीं मिली। इससे परेशान होकर आवेदक को अदालत का दरवाजा खटखटना पड़ा। कोर्ट ने कहा कि लोक सूचना अधिकारियों ने इस बात की जांच नहीं की, कि प्रकरण में जांच पूरी हो गई है और कोर्ट में चालान भी पेश हो चुका है।
इसके बाद प्रथम व द्वितीय अपीलीय अधिकारी ने भी इस तथ्य को जांचे बिना अपील खारिज कर दी। इसलिए उच्च अधिकारी को ही इसका दंड भुगतना होगा। कोर्ट ने CIC को 60 दिन के भीतर जुर्माने की राशि आवेदक को अदा करने के निर्देश दिए। ऐसा नहीं होने पर याचिका स्वत: जीवित हो जाएगी।