Chintaman Temple Project : चिंतामन गणेश मंदिर का प्रोजेक्ट, चार साल में भी अधूरा!

कलेक्टर नाराज, अब 30 अप्रैल तक काम पूरा करने के निर्देश!

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Chintaman Temple Project : चिंतामन गणेश मंदिर का प्रोजेक्ट, चार साल में भी अधूरा!

उज्जैन से सुधीर नागर की रिपोर्ट

Ujjain : यहां के प्रसिद्ध चिंतामन गणेश मंदिर परिसर में एक करोड़ रुपयों से विकास कार्य का प्रोजेक्ट पिछले चार साल से चल रहा है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो सका। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम इस स्थिति को देख नाराज़ हुए और ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को 30 अप्रैल तक काम पूरा करने की डेडलाइन दी।

भक्तों की चिंता और उनकी मनोकामनाएं पूरी करने वाले चिंतामन गणेश के मंदिर के विकास कार्य अधूरे देखकर प्रशासन की चिंता उस समय बढ़ गई जब कलेक्टर शुक्रवार निरीक्षण करने पहुंचे। उन्हें पता चला कि मंदिर के विकास कार्य के लिए 1 करोड़ 80 लाख रुपए का प्रोजेक्ट 2019 में स्वीकृत हो गया था। पैसा जारी होने के बाद भी काम आज तक अधूरा है। उन्होंने प्रबंधक अभिषेक शर्मा और ग्रामीण यांत्रिकी विभाग (आरईएस) के कार्यपालन यंत्री (ईई) सुनील शर्मा से दो टूक बात की। उन्होंने इस पर नाराजी भी जताई। उन्होंने 30 मार्च तक इसे हर हाल में पूरा करने को कहा। कार्यपालन यंत्री शर्मा ने कहा इस डेडलाइन में वे काम पूरा कर देंगे।

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यह भी बड़ा आश्चर्य
मंदिर में प्रोजेक्ट के लिए धर्मस्व विभाग ने 1.80 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। बाद में इसे घटाकर 1.40 करोड़ कर दिया गया। इसको लेकर तत्कालीन अपर कलेक्टर अवि प्रसाद ने जांच की थी। जांच रिपोर्ट से भी कुछ खुलासे हो सकते हैं। मामले में तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आरके श्रीवास्तव को सस्पेंड किया गया। लेकिन, वे कुछ समय बाद बहाल हो गए थे, इसको लेकर भी विवाद उठा था।

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बन रहा मैरिज डेस्टिनेशन, परिक्रमा पथ और हॉल
इस प्रोजेक्ट के तहत मंदिर परिसर में मैरिज डेस्टिनेशन, परिक्रमा पथ और सभागृह बनाया जा रहा है। ये काम पूरे करने के लिए ठेकेदार कंपनी को 12 माह का टाइम दिया गया था। लेकिन, चार साल बाद भी यह पूरा नहीं हो सका। यह सभी भक्तों और प्रशासन के अधिकारियों के लिए आश्चर्य का विषय माना जा रहा है।

असल कहानी यह
* वर्ष 2019 में 1.80 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ और पीजी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बिलो रेट पर ठेका लिया।
* वर्ष 2020 में कोरोना के कारण करीब 6 माह काम बंद रहा।
* 2020 में ही ठेकेदार और मंदिर प्रशासन के बीच विवाद से करीब 3 माह काम ठप पड़ा।
* 2021 व 22 में प्रोजेक्ट में बदलाव हुआ। टीन शेड की जगह कंक्रीट से काम कराने का निर्णय हुआ और डीपीआर चेंज की गई।
* 2023 में इसका काम आगे बढ़ सका।

मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं भक्त!
* उज्जैन में महाकाल मंदिर से करीब 6 किमी दूर है चिंतामन गणेश मंदिर।
* यह मंदिर परमारकालीन है और 9वीं से 13 वीं शताब्दी का बताया जाता है।
* मंदिर के शिखर पर सिंह विराजमान है और इसका जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में कराया गया था।
* यहां पार्वती नंदन चिंतामन, इच्छामन और सिद्धिविनायक तीन रूपों में विराजमान हैं।
* पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चिंतामण गणेश सीता द्वारा स्थापित षट् विनायकों में से एक हैं।
* भगवान श्रीराम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अवंतिका खंड के महाकाल वन में प्रवेश किया था तब अपनी यात्रा की निर्विघ्नता के लिए षट् विनायकों की स्थापना की थी।
* यह भी मान्यता है कि लंका से लौटते समय भगवान राम, सीता एवं लक्ष्मण यहां रुके थे।
* परिसर में मंदिर के सामने एक बावड़ी है, जिसे लक्ष्मण बावड़ी कहा जाता है, जो करीब 80 फीट गहरी है।
* इस अदभुत प्राचीन मंदिर की मूर्तियां स्वयंभू बताई जाती हैं।
* चैत्र मास के हर बुधवार को यहां मेला भी लगता है, जिसे जत्रा भी कहते हैं।
* मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु दूर दराज से पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचते हैं।
* मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रद्धालु यहां मन्नत का धागा बांधते हैं और उल्टा स्वस्तिक भी बनाते हैं।
* नवविवाहित जोड़ों के साथ ही नए वाहन खरीदने वाले लोग यहां विशेष रूप से गणेश जी का आशीर्वाद लेने आते हैं।