CJI Praised Judiciary : CJI संजीव खन्ना ने कहा ‘लोकतंत्र के तीनों स्तंभों में आम आदमी की सबसे आसान पहुंच न्यायपालिका में!’

SCAORA द्वारा आयोजित ‘भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न’ कार्यक्रम को संबोधित किया!

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CJI Praised Judiciary : CJI संजीव खन्ना ने कहा ‘लोकतंत्र के तीनों स्तंभों में आम आदमी की सबसे आसान पहुंच न्यायपालिका में!’

मीडियावाला’ के स्टेटहेड विक्रम सेन की रिपोर्ट

New Delhi : भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बुधवार को कहा कि न्यायपालिका, राज्य के अन्य अंगों से अलग, अद्वितीय है। क्योंकि, यह सीधे नागरिकों से जुड़ी हुई है, जिससे उन्हें राज्य और कानून के खिलाफ भी शिकायतें दर्ज कराने में आसानी होती है। सीजेआई खन्ना ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन’ (SCAORA) द्वारा आयोजित ‘भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न’ नामक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने आगे कहा कहा कि दूसरा पहलू जो मेरे दिमाग में आया, वह यह है कि न्यायपालिका को क्या विशिष्ट बनाता है। विधायकों को जनता द्वारा चुना जाता है। वे जनता के प्रतिनिधि हैं। वे मुट्ठी भर लोग हैं। कार्यपालिका, राजनीतिक कार्यपालिका संसदीय लोकतंत्र में होती है और उसकी, संसद या विधायिका के प्रति जवाबदेही होती है। सीजेआई ने आगे कहा कि न्यायपालिका को जो बात विशिष्ट बनाती है, वह है लोगों के साथ हमारा सीधा जुड़ाव। लोगों के लिए सबसे आसान पहुंच तीनों संस्थाओं में से किसी एक में है तो वह न्यायपालिका तक है।

उनका कहना था कि यह न्यायपालिका ही है, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है और स्पष्टीकरण मांग सकता है। यहां तक कि नागरिक सरकार के खिलाफ और कानून की संवैधानिक शक्तियों को चुनौती देते हुए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आप संवैधानिक अधिकारों, वैधानिक अधिकारों के प्रवर्तन की मांग कर सकते हैं, और किसी भी अदालत में जाना, वकील से संपर्क करना, व्यक्तिगत रूप से बहस करना बहुत आसान है। इसका मतलब है कि हम ही हैं जो सीधे नागरिकों के साथ जुड़ रहे हैं।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि उनके लिए न्यायपालिका का अभिप्राय केवल न्यायाधीश ही नहीं है, बल्कि इसमें बार भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मैं आज ही सोच रहा था कि जब हम न्यायपालिका के बारे में बात करते हैं, तो सबसे पहले जो बात लोगों के दिमाग में आती है, वह है न्यायाधीश। लेकिन, न्यायपालिका का अभिप्राय न्यायाधीशों से नहीं है। जब हम न्यायपालिका की बात करते हैं, तो इसका अभिप्राय न्यायाधीशों के साथ-साथ बार से भी है। बार के बिना न्यायपालिका नहीं हो सकती।

सीजेआई ने एससीएओआरए की ई-जर्नल, इसकी संशोधित वेबसाइट लॉन्च करने के लिए सराहना की और भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने जैसे महत्वपूर्ण मील के पत्थर मनाने और बार में 50 साल के योगदान के लिए अधिवक्ताओं को सम्मानित करने के लिए बार निकाय को बधाई दी। सीजेआई खन्ना ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह एससीएओआरए ई-जर्नल एक दिन ऐसा जर्नल बन जाएगा, जिसमें आप भारतीय न्यायशास्त्र, भारतीय कानूनी विचार, भारतीय निर्णयों का आलोचनात्मक विश्लेषण करेंगे और इसके लिए दुनिया भर में योगदान देंगे।

सीजेआई के अलावा, जस्टिस बीआर गवई, सूर्यकांत और अभय एस ओका ने भी सभा को संबोधित किया। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एससीएओआरए ने इस अवसर पर अपने विचार साझा किए।