CMO Controversy : सीएमओ पर परिषद की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया!
मनावर स्वप्निल शर्मा की रिपोर्ट
Manawar (Dhar) : नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व ठेकेदारों के साथ सीएमओ के चल रहे विवाद के बीच गुरुवार को पार्षदों के साथ अध्यक्ष ने एसडीएम को ज्ञापन दिया। उन्होंने बताया कि सीएमओ द्वारा परिषद को गुमराह कर तथा उनकी छवि को धूमिल करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखे जा रहे है।
इस संबंध में नगर पालिका अध्यक्ष संगीता शिवराम पाटीदार ने उपाध्यक्ष व पार्षदों के साथ अपना पक्ष रखते हुए एसडीएम भूपेंद्र सिंह रावत को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि नगर में जो कार्य पूर्व सीएमओ के द्वारा कराए गए थे, उसका भुगतान नहीं हो रहा था। जबकि, संयुक्त संचालक ने सीएमओ तथा उपयंत्री को निर्देश दिए थे कि जो कार्य किए गए है, उसका एस्टीमेट, मेजरमेंट आदि लेकर इंदौर भेजने को कहा था।
इस संबंध में परिषद के हाॅल में सीएमओ को ठेकेदारों के साथ बैठक करने के लिए बुलाया गया था। लेकिन, सीएमओ बैठक में न आते हुए परिषद के खिलाफ बयानबाजी करने लगे है। नगर पालिका अध्यक्ष ने ज्ञापन के साथ सीएमओ के खिलाफ हुई कार्रवाई के दस्तावेज भी सौंपे है। जिसमें सफाई कर्मचारियों के बायोमेट्रिक मशीन में फोटो न आने पर उनके वेतन काट दिए गए थे। परिषद ने सीएमओ के विरूद्ध निंदा प्रस्ताव भी पारित किया था। जिसमें सीएमओ द्वारा आम जनता के कार्यो में नामांतरण, भवन निर्माण की अनुमति, प्रधानमंत्री आवास में राशि का आवंटन न करना आदि निंदा प्रस्ताव में शामिल थे।
पार्षदों द्वारा विकास कार्यो की चर्चा के लिए सीएमओ से मिलने पर सीएमओ द्वारा आश्वासन के बाद मना कर दिया जाता था। इसलिए पार्षदों ने छः दिन तक नगर पालिका प्रांगण में धरना भी दिया था। पार्षदों ने चेतावनी दी थी कि सीएमओ प्रदीप शर्मा का स्थानांतरण अन्यत्र किया जाए, अन्यथा पार्षद अपना इस्तीफा राज्य शासन को सौंप देंगे। इस प्रकार जब से सीएमओ यहां पदस्थ हुए है, तब से उनके और परिषद के बीच विवाद की स्थिति लगातार बनी हुई है।
ज्ञापन की प्रति धार कलेक्टर, संयुक्त संचालक नगरीय परिषद इंदौर, थाना प्रभारी मनावर को भी सौंपी गई है। एसडीएम भूपेंद्र सिंह रावत ने बताया कि अध्यक्ष का कहना है कि सीएमओ परिषद की बैठक में उपस्थित नहीं हुए थे। मेरे द्वारा अध्यक्ष एवं सीएमओ की बैठक बुलाई गई है, जिसमें ठेकेदारों के पेमेंट क्यों रोके गए इसकी चर्चा की जाएगी। जबकि, सीएमओ प्रदीप शर्मा का कहना है कि अध्यक्ष सीधे भी कार्य करा सकते है। ठेकेदारों के लगभग एक करोड़ रूपए का जो भुगतान है, उसकी न तो टीएस है और न ही सही मैनेजमेंट है। यही विवाद की जड़ है।