सीएम की नाराजगी, तीन आईपीएस बेकाम

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सीएम की नाराजगी, तीन आईपीएस बेकाम

मप्र के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि मुख्यमंत्री की नाराजगी के चलते तीन वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को बिना काम के बिठा रखा है। इनमें दो स्पेशल डीजी और एक आईजी स्तर के अफसर शामिल हैं। स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा का पत्नी से मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने उन्हें निलम्बित कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें बहाल तो कर दिया, लेकिन कोई काम नहीं सौंपा गया है। इसी तरह स्पेशल डीजी मुकेश जैन से भी सीएम नाराज बताए जा रहे हैं। उन्हें 5 महीने पहले परिवहन आयुक्त की कुर्सी से हटाया गया।

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तब से अभी तक उनकी कहीं पोस्टिंग नहीं की गई है। आईजी अनिल शर्मा को भी ग्वालियर से हटाने के बाद बेकाम कर दिया गया है। शर्मा ने सीएम की इच्छा के विरुद्ध ज्योतिरादित्य सिंधिया से बीटो पावर लगवाकर ग्वालियर में आईजी के रूप में पोस्टिंग करा ली थी। बाद में एक घटना के बहाने सीएम ने उन्हें ग्वालियर से हटाकर पीएचक्यू में बिना काम बिठा रखा है। इन अफसरों को वेतन लाखों का मिल रहा है, लेकिन इनके पास काम धेले का नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग की महिला अफसर पर भ्रष्टाचार के छीटे!

मप्र स्वास्थ्य विभाग के अधीन आयुष्मान योजना में पदस्थ रही एक महिला अफसर के रिश्वतकांड का वीडियो वायरल होने का मामला अभी ठण्डा भी नहीं पड़ा था कि स्वास्थ्य विभाग की ही एक अन्य महिला अफसर पर भ्रष्टाचार के छीटे पड़ने लगे हैं। ताजा मामला विभाग के लिए नये साफ्टवेयर से संबंधित है। टेंडर में 5 कंपनियों ने भाग लिया। पांचों कंपनियों को प्रजेंटेशन के लिए बुला लिया गया। लेकिन एक महिला अफसर पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने निजी आर्थिक लाभ के लिए लगभग 5 करोड़ का काम मनमानी कंपनी को लगभग 18 करोड़ में देने की तैयारी कर ली है। इसके लिए तीन कंपनियों को बाहर करने की साजिश रची गई है। बताते हैं कि एक कंपनी ने महिला अफसर को कानूनी नोटिस भेज दिया है। यह मामला जल्दी ही लोकायुक्त की तहलीज तक पहुंच सकता है।

नेता प्रतिपक्ष की समधिन का कमाल

मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह की समधिन ने कमाल कर दिया है। उन्होंने भाजपा की कद्दावर नेत्री उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को पहले वोट से हराया और अब कोर्ट से भी हरा दिया है। बहुत कम लोग जानते हैं कि खरगापुर की पूर्व विधायक चन्दा गौर रिश्ते में डॉ. गोविन्द सिंह की सगी समधिन हैं। चन्दा गौर की बेटी का विवाह डॉ. गोविन्द सिंह के एकलौते बेटे डॉ. अमित सिंह के साथ हुआ है। 2013 में चन्दा गौर ने खरगापुर विधानसभा चुनाव में राहुल लोधी को 5677 वोटों से हरा दिया था। लेकिन 2018 में वे राहुल लोधी से 11665 वोट से चुनाव हार गई थीं। चुनाव हारने के बाद चन्दा गौर चुप होकर घर नहीं बैठी। उन्होंने राहुल लोधी के चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस सप्ताह हाईकोर्ट ने राहुल लोधी के चुनाव को शून्य घोषित करते हुए उन्हें विधायक के रूप में कोई भी सुविधा देने से रोक लगा दी है। यानि कांग्रेस से चन्दा गौर का अगला टिकट पक्का हो गया है।

सिंधिया परिवार के क्लब पर पुलिस का छापा

ग्वालियर में सिंधिया परिवार द्वारा स्थापित जीवाजी क्लब में सवा सौ साल के इतिहास में पहली बार पुलिस का छापा पड़ा। क्लब के एक कमरे में जुआ का अड्डा पकड़ा गया। इस क्लब की स्थापना 1898 में सिंधिया परिवार ने की थी। मप्र के आईएएस, आईपीएस अफसर रामलाल वर्मा, बीबीएस चौहान, प्रमोद शर्मा, ओपी राठौर, एसपी सिंह, प्रशांत मेहता, रामनिवास यादव, एनके त्रिपाठी व पीड़ी मीना इस क्लब के अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस क्लब के संरक्षक हैं। इस क्लब को दुनिया के 100 बेहतरीन क्लब में गिना जाता है। इस क्लब पर पुलिस कभी छापा मारेगी, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन इस सप्ताह ग्वालियर एसएसपी अमित सांघी के निर्देश पर क्राइम ब्रांच ने क्लब में घुसकर 11 लोगों को जुआ खेलते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। पुलिस की इस कार्रवाई से इस प्रतिष्ठित क्लब की छवि तार तार हो गई है।

राजा पटेरिया को कांग्रेस से निकालने की तैयारी!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या की बात कहने वाले मप्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष व पूर्व मंत्री राजा पटेरिया को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित करने की तैयारी हो गई है। उनके विवादित बयान से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सहित कांग्रेस के सभी बड़े नेता बेहद नाराज बताये जा रहे हैं। मूलत: स्वयं को समाजवादी बताने वाले राजा पटेरिया को दिग्विजय सिंह कांग्रेस में लाये थे। राजा पटेरिया पहली बार 1998 में हटा से विधानसभा चुनाव जीत कर आए तो दिग्विजय सिंह ने उन्हें मंत्री बनाया था।

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अपने उल जुलूल बयानों से कांग्रेस पार्टी को कटघरे में खड़ा करने वाले राजा पटेरिया के लिए अब कांग्रेस के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं। पन्ना में उन्होंने प्रधानमंत्री की हत्या करने की बात कहकर भाजपा को मुद्दा थमा दिया है। इसके पहले भी उन्होंने एक पत्रकार वार्ता में राहुल गांधी की शादी के सवाल पर पत्रकारों से कह दिया था कि आपकी बहन बेटी हो तो ले आओ, शादी करा देंगे।

हे भगवान, मप्र के विधायकों पर रहम कर

पिछले कुछ दिनों से मप्र के विधायक परेशानी में फंसते नजर आ रहे हैं। सबसे पहले कांग्रेस के दो विधायकों सिद्धार्थ कुशवाह और सुनील सर्राफ पर एक महिला ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया। कुछ दिन बाद कांग्रेस के ही विधायक उमंग सिंगार पर उनकी ही पत्नी ने बलात्कार का आरोप लगा दिया। जबलपुर हाईकोर्ट ने भाजपा विधायक राहुल लोधी की सदस्यता शून्य कर दी। ग्वालियर कोर्ट ने कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह को दो वर्ष की सजा सुनाई तो विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता समाप्त कर दी। ग्वालियर हाईकोर्ट ने भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी की सदस्यता खतरे में डालते हुए उनके खिलाफ एफआईआर के आदेश दे दिए। हाईकोर्ट ने उनका जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाया है। उनकी सदस्यता जाना भी तय है। इसी बीच जबलपुर हाईकोर्ट ने कांग्रेस के सचिन बिरला को दलबदल कानून के तहत सदस्यता रद्द करने का नोटिस जारी कर दिया है। अब खबर आ रही है कि दलबदल कानून के तहत बसपा विधायक संजीव कुशवाह, सपा विधायक राजेश शुक्ला और निर्दलीय विधायक राणा विक्रम सिंह पर भी दलबदल कानून की तलवार लटकी है। हे भगवान, मप्र के विधायकों पर रहम कर।

और अंत में…!

आजकल मप्र भाजपा में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की माफी सबसे अधिक चर्चा में है। अंदरखाने से खबर आ रही है कि कैलाश विजयवर्गीय ने दमोह में हजारों लोगों की मौजूदगी में पूर्व मंत्री जयंत मलैया से माफी मांगकर मप्र भाजपा संगठन के कामकाज पर सीधे सवाल खड़े कर दिए हैं। मप्र भाजपा ने दमोह उप चुनाव में पराजय के लिए जयंत मलैया को दोषी मानते हुए उन्हें नोटिस थमाया था। विजयवर्गीय ने इसके लिए हाथजोड़ कर माफी मांगकर एक झटके में पूरे प्रदेश में संदेश दे दिया है कि मप्र भाजपा संगठन का पुराने और समर्पित नेताओं के प्रति व्यवहार ठीक नहीं है। इधर यह भी खबर आ रही है कि मलैया को नोटिस प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की इच्छा से नहीं दिया गया था, यह नोटिस देने के लिए संगठन पर बुंदेलखंड के एक दिग्गज नेता का दबाव था। बहरहाल विजयवर्गीय की माफी ने भाजपा में हलचल पैदा कर दी है।