Coal Levi Scam: IAS समीर बिश्नोई, सौम्या चौरसिया सहित 10 को हाई कोर्ट से राहत, ED द्वारा अटैच संपत्ति का कर सकेंगे इस्तेमाल

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Coal Levi Scam: IAS समीर बिश्नोई, सौम्या चौरसिया सहित 10 को हाई कोर्ट से राहत, ED द्वारा अटैच संपत्ति का कर सकेंगे इस्तेमाल

विनोद काशिव की रिपोर्ट

बिलासपुर। Coal Levi Scam: IAS समीर बिश्नोई, सौम्या चौरसिया सहित 10 याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट से राहत मिली है। अब ये लोग ED द्वारा अटैच संपत्ति का इस्तेमाल कर सकेंगे।

कोयला लेवी घोटाले में ED द्वारा कुर्क की गई संपत्तियों को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने आदेश दिया है कि याचिका के अंतिम निर्णय तक आरोपीगण अटैच संपत्तियों का उपयोग कर सकेंगे। साथ ही कोर्ट ने ईडी द्वारा कुर्क की गई संपत्तियों पर उसके नियंत्रण के अधिकार को भी अस्वीकार कर दिया है।

कोर्ट ने यह फैसला सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई और अन्य आरोपियों की ओर से दायर 10 याचिकाओं की सुनवाई के बाद सुनाया। कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को संपत्ति उपयोग की स्वतंत्रता दी है।

दरअसल ED ने अवैध कोयला लेवी घोटाले की जांच के दौरान PMLA 2002 के तहत 30 जनवरी 2025 तक 49.73 करोड़ रुपये मूल्य की 100 से अधिक चल-अचल संपत्तियों को अनंतिम रूप से अटैच किया था। इसमें बैंक खाते, नगदी, वाहन, आभूषण और जमीनें शामिल हैं। ये संपत्तियां सूर्यकांत तिवारी, उनके भाई रजनीकांत तिवारी, कैलाश तिवारी, दिव्या तिवारी, सौम्या चौरसिया, उनके भाई अनुराग चौरसिया, मां शांति देवी और समीर विश्नोई सहित अन्य से जुड़ी है। कोर्ट ने यह फैसला सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई और अन्य आरोपियों की ओर से दायर 10 याचिकाओं की सुनवाई के बाद सुनाया। कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को संपत्ति उपयोग की स्वतंत्रता दी है।

ED की जांच के मुताबिक आरोपियों ने पूर्ववर्ती सरकार में प्रभावशाली पदों पर बैठे अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से कोयला कारोबारियों से अवैध वसूली की थी। इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि संपत्ति कुर्की केवल सहआरोपियों के बयान के आधार पर की गई है और ED के पास कोई ठोस दस्तावेजी प्रमाण नहीं है।याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिहा और अन्य अधिवक्ताओं ने पैरवी की। लगातार पांच दिन चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिस पर बुधवार को फैसला सुनाया गया। अदालत के इस फैसले को याचिकाकर्ताओं के लिए राहत माना जा रहा है, क्योंकि अब वे अपनी अटैच की गई संपत्ति का उपयोग कर सकेंगे।