एक दशक बाद बुधवारीय श्री गणेश चतुर्थी का संयोग- आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक

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 गणेश रिद्धि एवं सिद्धि को देने वाले देवता है,,कलियुग में चंडी और विनायक शीघ्र प्रसन्न होने वाले और तत्काल फल प्रदान करने वाले है।भगवान श्री गणेश का अवतरण भाद्र मास,शुक्ल पक्ष,चतुर्थी तिथि,चित्रा नक्षत्र ,मध्यान्ह काल व कन्या राशि के चन्द्रमा में हुआ था।इस वर्ष बुधवार को ये सभी योग संयोग एकत्रित होकर श्री गणेश,वरद व विनायक चतुर्थी को कुछ खास बना रहे है। धर्मशास्त्रीय विषयों के प्रामाणिक आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा “वैदिक”,अध्यक्ष मध्यप्रदेश ज्योतिष एवं विद्वत परिषद ने बताया कि आज से एक दशक पूर्व सन 2012 में भी बुधवारीय श्री गणेश चतुर्थी का महा सहयोग निर्मित हुआ था।पंचांगों की माने तो आगे सन 2025 में अगला संयोग निर्मित होगा।

ग्रह गोचरीय दृष्टिकोण से देखे तो 31 अगस्त जिसका योग चार बनता है व अंकशास्त्र की दृष्टिकोण से यह योग शीघ्र सफलता का परिचायक है।कलियुग में शुभ व मांगलिक कार्यों में प्रथम पूज्य श्री गणेशजी की विविध पूजा उपचारों से विधि विधान से की गई पूजा सद्य फल प्रदायक मानी गयी है।

श्री गणेश चतुर्थी को बुधवार के योग ज्योतिष व अंकशास्त्र की दृष्टि से चारों पुरुषार्थों को देने वाला माना गया है। विनायक पूजा में सिंदूर, शमीपत्र, दूर्वांकुर, मोदक,यज्ञोपवीत, सुपारी,नागरवेल का पान, श्रीफल, अर्क पुष्प से गणेश जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूजा के साथ गणेशजी के बारह नाम कार्यसिद्धि में सहायक होते है।

विद्या आरम्भ,विवाह ,ग्रहप्रवेश, युद्ध (संग्राम),घोर कष्ट ,विघ्न आदि के समय गणेशजी के बारह नाम रामबाण औषधि का काम करते है।श्री गणेशजी का प्राकट्य मध्यान्ह काल मे हुआ था अतः पार्थिव गणेश (काली मिट्टी से निर्मित ) पूजन से सुख,शांति व समृद्धि वर्ष पर्यंत बनी रहती है। घरों में लगभग एक बित्ता अर्थात 9 इंच की मूर्ती,सीधी सूंड वाली के पूजन का ही विधान प्राप्त होता है।

गणेश उत्सव का पर्व 31 अगस्त से प्रारंभ होकर 9 सितंबर गणेश चतुर्दशी तक अर्थात 10 दिनों तक रहेगा। 10 दिनों तक स्थापित श्री गणेशजी की पूजा अपनी कुल परम्परा अनुसार करें।

प्रतिदिन गणेश अर्चना के साथ अथर्वशीर्ष ,संकट नाशन गणेश स्तोत्र के पाठ व श्री गणेशजी के महामन्त्र ॐ गं गणपतये नमः का 108 बार जप अवश्य करें। इस वर्ष विशेष ग्रह गोचरीय ज्योतिषीय योग संयोग भी इस चतुर्थी को खरीददारी हेतु कुछ खास बना रहे है।

आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि सूर्य ,गुरु,शनि स्वयं की राशि मे गोचर कर रहे है वंही बुध प्रधान कन्या राशि का चन्द्रमा है वंही उच्च राशि का बुध श्रीगणेश चतुर्थी को कुछ खास बना रहे है।इस महासंयोग में की गई खरीदी शुभता के साथ स्थिरता प्रदान करेगी।पौराणिक मान्यता के अनुसार चतुर्थी की रात्रि चन्द्र दर्शन का निषेध किया गया है।ऐसा माना जाता है कि चन्द्र दर्शन करने से मिथ्या कलंक लगता है।