
Collector’s Bold Step: जब महिला पार्षदों के पति बैठक में कुर्सी से उठाये गए !
अब महिलाएं सबल हैं, पत्नियों को ही काम करने दीजिए!
ग्वालियर : महिला सशक्तिकरण इस दौर में जबकि देश की राष्ट्रपति भी महिला है वहां महिला पार्षदों के पति उनकी जगह बैठक में आयें यह एक महिला कलेक्टर को महिलाओं के हित में नहीं लगा .उन्होंने एक सही वाक्य ‘चुनी हुई प्रतिनिधियों की जगह कोई और निर्णय लेगा तो लोकतंत्र का मजाक बनेगा।” के साथ नगर निगम पार्षदों की बैठक में पंहुचे पतियों को बैठक से उठाते हुए पीछे बैठने के निर्देश दिए . देवी माँ के आगमन और नवरात्री के प्रथम दिन ही हुई इस घटना की सराहना और चर्चा दोनों हो रही हैं .
ग्वालियर में एक अनोखी घटना ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी। जहां एक महिला अफसर ने पार्षद पतियों को नसीहद दे डाली। दरअसल, शहर की कलेक्टर रूचिका सिंह चौहान ने नगर निगम के कामकाज और शहर की समस्याओं पर चर्चा के लिए पार्षदों की बैठक बुलाई थी। लेकिन चार वार्डों की महिला पार्षदों की जगह उनके पति बैठक में पहुंच गए। यह देखकर कलेक्टर नाराज़गी जताई और पतियों को कुर्सी से उठाकर पीछे बैठने का निर्देश दिया। कलेक्टर साहिबा ने स्पष्ट शब्दों में कहा—“अब महिलाएं सबल हैं, पत्नियों को ही काम करने दीजिए। चुनी हुई प्रतिनिधियों की जगह कोई और निर्णय लेगा तो लोकतंत्र का मजाक बनेगा।”

बैठक कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित की गई थी, जिसमें जल आपूर्ति, स्वच्छता, सड़क मरम्मत और अन्य शहरी समस्याओं पर चर्चा होनी थी। एक पार्षद पति ने सफाई दी कि उनकी पत्नी व्यस्त थीं, लेकिन कलेक्टर ने चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ये कोई पहला मौका नहीं है इससे पहले भी कई बार महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को लेकर सवाल उठे हैं। स्थानीय नेताओं का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच पतियों का दखल आम बात है, लेकिन शहरी स्तर पर इसे रोकना ज़रूरी है। बैठक के अंत में कलेक्टर चौहान ने सभी महिला पार्षदों को अगली बार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का सख्त निर्देश दिया। सोशल मीडिया पर कलेक्टर चौहान के इस कदम की जमकर तारीफ हो रही है। लोग इसे नवरात्रि के अवसर पर महिलाओं को सशक्त बनाने वाला और प्रेरणादायक संदेश बता रहे हैं।
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