Colorful India : सिरसा में एक व्यक्ति का ‘रंगीन भारत-खूबसूरत भारत’ का संकल्प!  

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Colorful India : सिरसा में एक व्यक्ति का ‘रंगीन भारत-खूबसूरत भारत’ का संकल्प!

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– चंडीगढ़ से कर्मयोगी की रिपोर्ट

ऐसे वक्त पर जब दुनिया भयावह ग्लोबल वार्मिंग के संकट से जूझ रही है। इसके भयावह खतरे हमारे दरवाजे तक दस्तक देने लगे हैं। हमें खेत-खलियानों व मानव जीवन को बढ़ते तापमान से बचाने के लिए धरती को पेड़-पौधों से भर देना होगा। जो देश की खूबसूरती को चार चांद लगाएगी, वहीं हमारे वातावरण में तापमान को भी नियंत्रित करेगी। दरअसल, नई पीढ़ी ऐसी विरासत से वंचित है जिसे सदियों से हमारे पुरखों ने सजा-संवार कर रखा था। इसी उद्देश्य से हरियाणा के सिरसा में सक्रिय पर्यावरणवादी व जमींदार गुरविंद सिंह घुम्मन ‘ब्यूटीफूल इंडिया, कलरफुल इंडिया’अभियान चला रहे हैं। वे तमाम उपयोगी पौधे लगाकर और उपयोगी बीज बांटकर इस मिशन को अंजाम दे रहे हैं।

वे मानते हैं कि बीज के बेहतर इस्तेमाल से हम अपनी प्राण वायु हवा को शुद्ध करके वायु प्रदूषण के भयावह खतरों से भी बच सकते हैं। वहीं दूसरी ओर अपने परिवेश को मोहक बना सकते हैं। उनका कहना है कि जहां खेती के संस्कार मुझे सिरसा के खैरपुर में पिता गुलजार सिंह से मिले, वहीं बागवानी के अनुभव माताजी श्रीमती जोगिंद्र कौर से मिले हैं। जिंदगी में मैंने भारत के विभिन्न राज्यों और विदेशों में खूब घूमने का अवसर मिला। दक्षिण भारत व विदेशों का भ्रमण किया तो फूलों वाले वृक्षों ने मन मोह लिया। देखे तो विचार आया कि ऐसा मनमोहक वातावरण भारत के हर शहर में क्यों नहीं।

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शुरू में मेरे उनके मन में विचार आया कि इसकी शुरुआत अपने राज्य हरियाणा में अपने शहर सिरसा से क्यों न की जाए। प्रारंभ में प्रायोगिक तौर पर उन्होंने अपने मिशन का नाम ‘ब्यूटीफूल इंडिया, कलरफुल सिरसा’ रखा। इस अभियान के तहत अगस्त, 2018 में 7 किस्मों के 167 पौधे पुणे महाराष्ट्र स्थित एक नर्सरी से मंगवाकर अपने शहर सिरसा में लगवाए। इस अभियान को लोगों व सामाजिक संगठनों की तरफ से सकारात्मक प्रतिसाद मिला। शहरवासियों ने बड़े चाव से पौधे लगाए। पौधे सार्वजनिक स्थल, सामाजिक संस्थाओं व धार्मिक संस्थाओं के परिसर में लगाए गए। आज भी उनके लगाए एक-एक पौधे की अच्छी देखभाल हो रही है। गांवों में सरपंचों को जिम्मेदारी दी गई और समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से पौधों के बीज रोपित किये गए। उसके बाद वे 60 किस्म से अधिक गुणवत्ता के बीज लाये, जो कि गांव की फिरनी, धार्मिक स्थलों, पंचायत घरों, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र इत्यादि में लगाए गए।

गुरविंद सिंह घुम्मन बताते हैं यह हमारा दुर्भाग्य है कि समय के साथ-साथ कई पेड़ों व पौधों की प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं। विडंबना है कि उत्तर भारत में कीकर के पेड़ खत्म हो रहे हैं। निश्चित रूप से आज से 15-20 वर्ष बाद अगर कोई इनके बीज लेकर आएगा, तो लोग पूछेंगे कि ये पेड़ कौन सा है। दरअसल, मैं कोई नया बीज नहीं लेकर आया हूं। ये सभी बीज उत्तर भारत की जलवायु के अनुकूल हैं। सौभाग्य से प्रकृति की यह धरोहर आज भी दक्षिण भारत की कुछ नर्सरियों में उपलब्ध है। वे बताते हैं मैंने कई गांवों के भाइयों से इस बाबत बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हमें न तो इन पौधों का पता है और न ही हमें यह ज्ञात है कि यह पौधे व बीज कहां से मिलेंगे। उनका सुझाव था कि आप हमें उच्च कोटि के बीज उपलब्ध करा दीजिए, हम किसान हैं, स्वयं पौधे रोपित कर लेंगे।

दरअसल, उनके द्वारा दक्षिण भारत से लाए गए ये बीज तीन प्रकार के है। पैकेटों में जो सीरियल नंबर दिया हुआ है। दूसरे पर्चे पर सीरियल के साथ पौधों के नाम, फूलों व बगैर फूलों वाले पौधे विवरण लिखा हुआ है। किन-किन माह व समय पर पौधे रोपित होंगे। कालांतर कृषि व बागवानी के विशेषज्ञों से विचार- विमर्श के अनुसार हमारे क्षेत्र में जुलाई व अगस्त सभी बीजों को बोने के लिए अच्छा समय है। साथ ही इसका पुनः रोपण फरवरी मार्च में किया जा सकता है। गुरविंद सिंह घुम्मन बताते हैं ये बीज बड़े होकर वृक्षों का रूप लेंगे जो कि रंग बिरंगे फूलों से आपके क्षेत्र को महकाएंगे। उस महक से हमारी आने वाली पीढ़ियां आनंदित होंगी। अगर आप चाहते है कि हमारे बच्चे मुस्कुराए तो आओ चंद बीजों से इस धरा का श्रृंगार करें।

अध्ययन में पाया गया कि बहुसंख्यक भारतीय पारंपरिक पेड़ (टाली, कीकर, नीम, पीपल, सफेदा आदि) लगाते है। जो केवल हरियाली के लिए है, जबकि, घुम्मन का विचार है क्यों ना फूलों वाले हर्बल पेड़, पारंपरिक पेड़ और सुन्दर दिखने वाली झाड़ियां भी लगाई जायें। वे हैं कि वर्ष 2018 में मैंने फूलों वाले पेड़, हर्बल पेड़ और पारंपरिक पेड़ और झाड़ियां की सात किस्मों को पुणे की एक प्रसिद्ध नर्सरी से 167 पौधे खरीदे । पेड़ लगाने का यह कार्य क्षेत्र के पुजारियों, स्थानीय नेताओं, स्थानीय सरकारी प्रशासकों, पुलिस विभाग, सिरसा के उत्साही लोगों, छात्रों शिक्षकों और विभिन्न व्यवसायों से जुड़े नागरिकों की सहायता से पूरा किया गया।इन पेड़ों को सिरसा के आस-पास के अस्पतालों, सरकारी स्कूलों, पार्को, पुलिस स्टेशनों और शहर के अन्य सार्वजनिक स्थानों सहित विभिन्न जगहों पर लगाया है।

यह एक बड़ी सफलता थी परन्तु नर्सरी से ये पौधे खरीदना महंगा था, इसलिए विचार किया कि इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए बीज खरीदना एक प्रभावी तरीका है। इसलिए 2019 उन्होंने 72 किस्मों के लगभग 125000 बीज खरीदे । इन बीजों के 1200 किट बनाए और हरियाणा में 500 गांवों में, पंजाब में 300 गांवों में और शेष 400 निजी और सरकारी स्कूलों, धर्मशालाओं, गुरुद्वारों, मंदिरों, चर्चों,ब्रह्मकुमारी आश्रम , कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना व हिसार आदि के पर्यावरण संरक्षणवादियों को बांटे। सिरसा में इस पहल की शुरुआत करने के बाद, मिशन का लक्ष्य सरकारी एवं निजी स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों, पार्को, पवित्र स्थानों और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों में , देश के हर कोने, हर कस्बे, गांवों और यहां तक कि किसानों की ढाणियों तक पहुंचना रहा है। इसमें दो राय नहीं कि इसी प्रकार के बीज पूरे देश में उपलब्ध होने चाहिएं।

हम देश को संवारने तथा इस आन्दोलन का हिस्सा बनने के लिए देश के कॉरपोरेट घरानों, सामाजिक संगठनों, पर्यावरण विशेषज्ञ, संरक्षणवादियों, नागरिकों और केंद्र और राज्य सरकार के समर्थन हासिल करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। बेहतर होगा कि दुनिया के विभिन्न देशों रह रहे भारतीय एन. आर. आई. को भी अपने देश के प्रति प्रेम और लगाव का निमंत्रण दिया जा सकता है। उन्हें अपने पैतृक गांवों में बीज और पौधे दान करने के लिए प्रेरित किया जाए। इसके अलावा बीज विक्रेताओं और नर्सरी के संचालकों को भी इस आंदोलन में शामिल किया जाना चाहिए। इस अभियान के सिरे चढ़ने से इन सभी पेड़ों का उनके अतिरिक्त सौन्दर्य, रंग और छाया प्रदान करने के अलावा पर्यावरणीय लाभ भी होंगे। इस पहल में केवल सरकार द्वारा अनुमोदित पेड़ों का उपयोग किया जाएगा। इसके अतिरिक्त हमें अपने विरासत में मिले पौधों और पेड़ों को संरक्षित करना चाहिए। इस तरह के अभियान चलाकर हम उन्हें विलुप्त होने से बचा सकते हैं।

भारत पर्व, त्योहार व मेलों का देश है। राष्ट्रीय पर्वों में हजारों-लाखों लोग जुड़ते हैं। जिसके जरिये हम सामाजिक चेतना का प्रसार करके इस अभियान को सफल बना सकते हैं। साथ ही नए-नए पेड़ लगाकर अपने देश को सुन्दर बनाना चाहिए। कोशिश है कि इस मिशन के काम को आगे बढ़ाया जाए। इस महत्वपूर्ण पहल के लिए प्राथमिक तर्क यह है कि हम एक देश के रूप में एक ही पारंपरिक प्रकार के पेड़ लगाना जारी रखते हैं। लेकिन, घुम्मन का विचार यह है कि ऐसे पेड़ क्यों न लगाएं, जो पर्यावरणीय दृष्टि ही लाभकारी न हों बल्कि सौंदर्य बढ़ाने वाले भी हों। जिसका लाभ यह होगा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए परिवेश अधिक जीवंत, रंगीन और आनंददायक बन पाएगा। श्री घुम्मन का मानना है कि यह एक नेक पहल है। इस सपने को पूरे देश में महसूस किया जाना चाहिए। हमारे भारत को सुंदर,रंग बिंरगा और स्वस्थ बनाने में हर भारतीय को अपना योगदान देना चाहिए।