टिप्पणी: इंदौर में डरा हुआ नेता और सहमा हुआ लोकतंत्र!

टिप्पणी: इंदौर में डरा हुआ नेता और सहमा हुआ लोकतंत्र!

 

वरिष्ठ पत्रकार छोटू शास्त्री की टिप्पणी 

 

सलमान खान की फिल्म ‘दबंग’ एक डायलॉग है ‘— प्यार से डर लगता है!’ आजकल इंदौर में ऐसा ही जुमला चल पड़ा है ‘कांग्रेस का टिकट मिलने से नहीं, सांसद बनने से नहीं, धारा 307 से डर लगता है!’ इंदौर के लोकसभा उम्मीदवार जो अब भाजपा में रच-बस गए, उन्होंने यह सच स्थापित किया कि आदमी नाम से नहीं, अपने काम से जाना जाता है। किसी ने अपने नाम के आगे या पीछे ‘बम, पिस्तौल, तोप या मिसाइल’ शब्द लगा लिया तो इसका यह कतई मतलब नहीं है कि आदमी बहादुर या निडर हो गया। या फिर लड़ाई के मैदान में वो ऐसा कुछ करेगा जिससे उसे भगोड़ा न कहा जा सके।

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इंदौर में कांग्रेस की हार अकाट्य सच्चाई थी। भाजपा की जीत भी पक्की थी। बस देखना यह था कि लड़ाई में कांग्रेस कहां ठहरती है। जब हार पक्की हो, तो आपके लिए पाने के लिए बहुत कुछ होता है। आप दिखाने के लिए ही सही, पर आप लोकतांत्रिक मूल्यों की बात कर सकते थे। नैतिक मूल्यों की बात कर सकते थे। भ्रष्टाचार ख़त्म करने की बात कर सकते थे। सहकारी समितियां में व्याप्त गरीब आदमी के शोषण की बात कर सकते थे। नगर निगम के कचरा साफ करते-करते 100 करोड़ के फर्जी बिल कैसे पास हो गए इसकी बात कर सकते थे। इंदौर में व्याप्त भंडारा संस्कृति के राजनीतिक दुरुपयोग की बात कर सकते थे। इंदौर को भाई-मुक्त बनाने की बात कर सकते थे। इंदौर को दादागिरी और भाई गिरी से हमेशा के लिए मुक्त करने की बात कर सकते थे।

परंतु यह सब हो न सका। क्योंकि, अक्षय का अक्षय होना निश्चित नहीं था। उसके अंदर डर और स्वार्थ के सिवाय अक्षय कुछ था ही नहीं और ‘बम’ उसी तरह से एक उपमा थी, जैसे लोग अपने नाम के आगे लगा लेते हैं ‘श्री श्री 1008’ और बाद में लगा लेते हैं अल्हड़ मुरादाबादी। कांग्रेस के कथित चुनाव उम्मीदवार के डर युक्त भय युक्त वैधानिक अपहरण चुनाव की लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक नया प्रयोग शुरू हुआ है। इसकी अगली कड़ी में पार्टी का उम्मीदवार जबरदस्त पैसा खर्च करके टिकट लाएगा। उससे भी जबरदस्त और अतिशय राशि लेकर नामांकन वापस करेगा। अर्थात बोली लगाकर टिकट प्राप्त किया जाएगा और स्वयं को मजबूत उम्मीदवार बताकर नामांकन वापस लिया जाएगा।

जब कहीं राजनीति होते हुए दिखे, तो समझिए की अर्थनीति हो रही है। जब प्रचंड राजनीति होती हुई दिखे तो यह समझिए कि प्रचंड अर्थनीति हो रही है। इस साल की दिवाली में चार तरह के बम इंदौर में बिकेंगे। नंबर एक में ‘मोदी बम’ जिसकी सबसे अधिक बिक्री होगी। इसके बाद ‘कैलाश बम’ जो दूसरे नंबर पर सर्वाधिक बिकेगा। तीसरे नंबर पर ‘रमेश बम’ या ‘दादा गुरु बम’ होगा, और वह बम जो बिल्कुल ही नहीं बिकेगा वो होगा ‘अक्षय बम।’

इंदौर में जो कुछ हुआ उससे नुकसान सिर्फ कांग्रेस का नहीं, सभी का है। इंदौर प्रबुद्ध लोगों का शहर है, पर आज वह हिंदुत्व और भाजपा की आंधी पर सवार है, यह निश्चित है। पर, 24 घंटे में वह एक घंटा यह सोचने में जरूर देता है कि चाल, चरित्र, चेहरा और नेतृत्व वाली विशेष पार्टी इंदौर में ऐसा क्यों कर गुजरी। जबकि, उसकी जीत सुनिश्चित थी। इस राजनीतिक ओछेपन के प्रयोग से क्या भारत को विश्व गुरु बनाने की चेष्टा करने वाले प्रधानमंत्री की निगाह में इंदौर के स्थानीय नेताओं की इज्जत बढ़ेगी! क्या इंदौर भाजपा के नेता और समर्थक इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि धारा 307 का भय दिखाकर 370 सीटें जीतने का सपना पूरा किया जा सकता है!

अभूतपूर्व मतों से हारने वाले कथित कांग्रेसी उम्मीदवार को भय की करेंसी से चुनाव के पहले ही मैदान से बाहर कर देने की भाजपा की इस रणनीति के सौदे में क्या बीजेपी स्वयं हारी हुई नहीं लग रही? क्या इंदौर का युवा और इंदौर में अध्ययन के लिए आए पूरे देश और प्रदेश के छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षक और इसी तरह व्यवसाय करने वाले तमाम लोग क्या इस बात से खुश होंगे कि 307 और 370 में फर्क इस बात का है कि एक में शून्य बीच में आता है, और एक में बाद में। क्या भाजपा 307 की धारा और 370 सीटों की संख्या पर तालमेल नहीं कर पाई या उसे विश्वास नहीं था।

भाजपा इंदौर की जनता और इंदौर के मतदाता दोनों के मध्य अपनी इस अतिवादी राजनीतिक चाल से अपना चेहरा अपना चरित्र और अपने आत्मविश्वास और अपनी लोकतांत्रिक इमेज को हार चुकी है। भारत में कोई भी इंदौर का नागरिक किसी भी समय क्या यह जवाब देने में सक्षम होगा कि तुम्हारे यहां राजनेता ऐसा कैसे करते हैं? अक्षय बम इंदौर स्कूल ऑफ लॉ चलाते हैं। अर्थात लोगों को कानून की शिक्षा देते हैं। इस कॉलेज में आम जनता के अलावा न्यायाधीश के भी लड़के पढ़ते हैं। अक्षय बम इंदौर में अब इस काम के लिए भी जाने जाएंगे जो उन्होंने 307 धारा की डर के कारण किया। कानून के कॉलेज का मालिक कानून की एक धारा से इतना डर गया कि उसने 24 घंटे के अंदर धर्मनिरपेक्षता से सनातन धर्म तक की यात्रा कर डाली। ऐसा परिवर्तन और कानून की धारा के प्रति ऐसा डर भारतीय इतिहास में इंदौर को हमेशा याद करता रहेगा।

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शंकर लालवानी को बिना लड़े जीतने का सुख मिलेगा। अगली बार उनकी टिकट पर भाजपा की अंदरूनी राजनीति पुनर्विचार इस बात के आधार पर ही कर सकती है कि कोई कैंडिडेट नहीं था, इसलिए जीत गए। अगर होता तो पता नहीं क्या होता। इस वजह से लालवानी का अगला टिकट रेड जोन में जा चुका है। भाजपा के नेता कैलाश विजयवर्गीय इस घटना से अमित शाह की आंख के तारे जरूर बन गए। मंत्री पद उनके लिए छोटा पड़ गया। सुना है जब कोई चीज छोटी हो जाती है, तो व्यक्ति बड़े की चेष्टा करता है। कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी योग्यता साबित करके यह बता दिया है कि वह पॉलिटिकल स्कूल ऑफ गुजरात के सबसे उत्कृष्ट विद्यार्थी है। दादा गुरु ने यह साबित कर दिया है कि कोई भी बम चाहे अक्षय हो या महाभारत का संजय हो, सब शिथिल किया जा सकते हैं। यदि एक नंबर में कैलाश जी और दो नंबर पर दादा गुरु हो।

कहा जाता है कि दिल्ली में या तो वन है या टू, बाकी सभी वन और दो के कार्यकर्ता है। चुनाव बाद मध्य प्रदेश में भी यही स्थिति होगी कि इंदौर का नंबर वन प्रदेश का नंबर वन होगा और नंबर 2 प्रदेश के नंबर 2 होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी, कुशाभाऊ ठाकरे के पथ पर चलने वाले राजनीतिक हैं। कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र मोदी और अमित शाह के राजनीतिक स्कूल के टॉपर हैं। अक्षय बम के प्रयोग से कैलाश विजयवर्गीय ने मध्य प्रदेश की राजनीति में स्वयं को मुख्यमंत्री से बड़ी मुख्यधारा मिलकर खड़ा कर दिया।

कभी-कभी इतिहास में यह भी हुआ है कि आप जिसे लड़ना सिखाते या आप जिसे गुरु मंत्र देते हैं, वह योद्धा भी आपसे बेहतर साबित होता है और साधक भी। कहीं इंदौर के गुजरात स्कूल के यह दोनों स्कॉलर, गुजरात स्कूल के कुलाधिपति और प्रिंसिपल से बेहतर न बन जाए। इस बात का डर दिल्ली से इंदौर तक घूमता रहेगा और इंदौर की राजनीति को प्रभावित करता रहेगा।

मध्य प्रदेश: पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को विधानसभा ने नोटिस जारी किया, सदन में कांग्रेस विधायकों का हंगामा न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Wed, 16 Mar 2022 01:10 PM IST सार राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार के मामले में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बुधवार को विधानसभा ने नोटिस जारी किया है। इस पर सदन में कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी और हंगामा किया। मध्य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो) मध्य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला विस्तार कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बुधवार को विधानसभा ने नोटिस जारी किया है। राज्यपाल के अभिभाषण के बहिष्कार के मामले में ये कार्रवाई की गई है। इस पर सदन में कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी और हंगामा किया। विधानसभा की तरफ से जीतू पटवारी को जारी नोटिस पर गोविंद सिंह ने विरोध दर्ज कराया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने नियम पढ़कर बताया। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कोई खेद प्रकट नहीं करेगा। इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और जमकर हंगामा किया

यदि कांग्रेस की बात करें तो जीतू पटवारी के नेतृत्व में पार्टी के अंदर ही जीत नहीं है और न उत्साह है। कांग्रेस पार्टी सीटें जीतने के बाद अपने विधायकों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए एक रिसॉर्ट में बुकिंग करती है। अब तो ऐसा लग रहा है कि टिकट बांटने के बाद भी उम्मीदवार को रिसोर्ट में रखा जाएगा। जब तक कि नामांकन वापस होने की तिथि न निकल जाए। अक्षय बम के बहाने स्वच्छ राजनीति का इंदौर में विराम लग गया। अभी तक सीबीआई और ईडी का रोना कांग्रेस रो रही थी। अब 307 की धारा राजनीतिक लोकतंत्र में नई धारा के रूप में अपना वही काम करेगी जो सियासत और प्यार में वाजिब होगा।