Compassionate Appointment: अविवाहित कर्मचारी की मौत के बाद भाई के पुत्र को दे दी अनुकंपा नियुक्ति, जांच के बाद निरस्त, अब रिटायर्ड CMO से होगी वसूली
भोपाल. नगरीय निकायों में प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी मनमर्जी से शासन आदेशों की व्याख्या कर चहेतों को उपकृत कर रहे है। ऐसे ही एक मामले में सिरोंज में मुख्य नगर पालिका अधिकारी के पद पर पदस्थ रहे तत्कालीन अधिकारी भैयालाल ने निकाय में सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ रहे भीकम सिंह राजपूत जो अविवाहित थे, उनकी मृत्यु के बाद नियमों को दरकिनार कर उनके भाई के पुत्र सुरेन्द्र सिंह राजपूत को अनुकंपा नियुक्ति देकर उपकृत कर दिया। अब इस मामले में तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी से शासन को हुई हानि की वसूली की जाएगी।
इस प्रकरण में नगर पालिका परिषद में सहायक राजस्व अधिकारी भीकम सिंह राजपूत का निधन हो गया था। भीकमसिंह अविवाहित थे इसलिए उनके भाई की ओर से उनके पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने के लिए हल्फनामा प्रस्तुत कर अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन दिया गया था। सिरोंज के तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी भैयालाल सिंह ने सामान्य प्रशसन विभाग के परिपत्र का उल्लेख करते हुए पीआईसी में यह प्रकरण रखा। उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों की गलत व्याख्या करते हुए अनुकंपा नियुक्ति के लिए अभिमत दिया। इस अभिमत के आधार पर पीआईसी ने मंजूरी दी और इसके आधार पर मृतक कर्मचारी के भाई के पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई। बाद में नगर परिषद शमशाबाद ने नगरीय प्रशासन और विकास संचालनालय को इसकी शिकायत की।
जांच के बाद इस मामले में तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी भैयालाल को दोषी मानते हुए निकाय को हुई आर्थिक क्षति की राशि उनसे वसूल करने का निर्णय लिया गया।
भैयालाल ने इस निर्णय के खिलाफ विभाग के समक्ष अपील की और कहा कि इसके लिए पीआईसी जिम्मेदार है। निकाय को कोई हानि नहीं हुई कर्मचारी को काम के बदले वेतन दिया गया है। अपर संचालक नगरीय प्रशासन ने अपने प्रतिवेदन में लिखा कि भीकमसिंह राजपूत के स्वर्गवास के बार सुरेन्द्र सिंह राजपूत को दी गई अनुकंपा नियुक्ति अवैध है और सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के विपरीत है। भीकम सिंह राजपूत अविवाहित थे। जीएडी के आदेशों के तहत मृत शासकीय सेवक की विधवा का कोई व्यस्क पुत्र या पुत्री उसकी देखभाल करने के लि न हो और स्वयं भी शासकीय सेवा करने के लिए सक्षम न हो तो वह अन्य नजदीकी रिश्तेदार को नियुक्ति के लिए नामांकित कर सकती है जो उसकी देखभाल कर सके। ऐसे नामांकन हलफनामे से करना होगा। लेकिन इस मामले में जिसकी मृत्यु हुई वह अविवाहित था और किसी दूसरे को इस तरह का अधिकार नहीं था।