University के HOD के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत, HOD ने कहा – मेरे खिलाफ षड्यंत्र

शिकायती पत्र में, तमंचे से इंसाफ की धमकी भी

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उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट

उज्जैन । विगत दिनों विक्रम विश्वविद्यालय के एक HOD पर यौन शोषण के आरोपो से भरा शिकायत पत्र मिलने से विश्वविद्यालय परिसर में हड़कंप मच गया था। इस शिकायत के मामले में अब तक कोई खुलकर सामने नहीं आया है। वहीं कुलपति का कहना है कि प्रारंभिक जांच के आधार पर शिकायत फर्जी पाई गई है। फिर भी वास्तविकता की जांच करवाई जा रही है।

उक्त शिकायती पत्र विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, लोकपाल, कुलानुशासक, सभी कार्यपरिषद् सदस्यों सहित राजभवन को भी भेजा गया है। जिसमें शिकायतकर्ता ने अपना पूरा नाम व पता भी स्पष्ट नहीं किया है। शिकायतकर्ता ने स्वयं को बार कौंसिल उज्जैन का सदस्य बताते हुए शिकायत में लिखा है कि उनकी छोटी बहन एमएससी की छात्रा है।

शिकायत के अनुसार संबंधित विभाग के एचओडी ने पिछले दिनों अपने कक्ष में उनकी बहन का हाथ पकड़ा और शारिरिक शोषण किया। साथ ही कहा कि एमएससी के बाद पीएचडी भी मेरे अंडर में ही कर लेना, 3 साल में तुम्हारे नाम के आगे डॉक्टर लगवा देंगे और इसी विभाग में फैकल्टी रख लेंगे, कुलपति के साथ मेरे घनिष्ठ संबंध हैं। इसलिए मुझे विश्वविद्यालय में भी एक बड़े पद पर रखा है। शिकायत में एक महिला के नाम का भी उल्लेख किया गया है, जिससे मिलने के लिए एचओडी द्वारा छात्रा पर दबाव बनाने के आरोप लगाए गए हैं।

शिकायतकर्ता ने इस मामले में संबंधित एचओडी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें हटाने की मांग की है। साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं की गई तो मुझे ही तमंचा उठाना पड़ेगा । शिकायत को लेकर प्रत्यक्ष रूप से कोई भी विश्वविद्यालय के अधिकारीयों के सामने अब तक नहीं आया है। इसलिए इस शिकायत पर संदेह की स्थिति बनी हुई है। ।

*HOD ने शिकायती पत्र को बताया षडयंत्र*

जब संबंधित एचओडी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि विवि के ही कतिपय लोगों ने मिलकर उनके खिलाफ षड्यंत्र कर फर्जी शिकायत करवाई है। क्योंकि कुछ लोग मुझे बेहतर पदों पर बने नहीं रहने देना चाहते। उन पदों पर वह लोग खुद बैठना चाहते हैं। जल्द ही उनकी पूरी जानकारी सप्रमाण निकलवा कर कानूनी कार्रवाई करूंगा। एक सप्ताह में पूरी पड़ताल कर हकीकत सामने लाएंगे ।

कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि एक एचओडी के संबंध में शिकायती चिठ्ठी मिली है लेकिन अब तक कोई भी प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं आया है। प्रारंभिक पड़ताल में शिकायत फर्जी पाई गई है। विश्वविद्यालय की लेडी टीचर्स को छात्राओं से चर्चा के निर्देश दिए हैं। जल्द ही हकीकत सामने लाई जाएगी।

गौरतलब है कि 2009-10 के दौरान इसी तरह के एक फर्जी शिकायती पत्र के कारण एक युवा प्रोफेसर को जबरन अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था।

उक्त प्रोफेसर जो अब वकील है, ने शिकायत की तफ्तीश के बाद माननीय न्यायालय से गुहार लगाई और विश्विद्यालय के कई उच्च पदों पर आसीन षडयंत्र में सहायक व्यक्तियों को जेल तक भिजवाया, वह मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है ।