नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईए- ओम बिरला
गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट
नई दिल्ली। लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएण्डएजी) की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि देश में जवाबदेही, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
शनिवार को नई दिल्ली में चौथे ऑडिट दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में बिरला ने कहा कि स्वतंत्र भारत में सीएण्डएजी ने 161 वर्षों की अपनी समृद्ध विरासत के दौरान चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने आपको बेहतरीन ढंग से ढाला है। सीएण्डएजी ने न केवल अपनी लेखा परीक्षा प्रणालियों में बदलाव किए हैं, बल्कि नए नवाचार भी किए हैं, जिनसे इसके कार्यों में विश्वसनीयता और प्रामाणिकता आई है।
उन्होंने कहा कि संसद में सांसद लेखापरीक्षा रिपोर्ट के प्रत्येक पैरा पर चर्चा करते हैं और उसकी जांच भी करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जनता का धन विवेकपूर्ण ढंग से खर्च किया जाए।सरकार के कार्यनिष्पादन का लेखापरीक्षण कार्यपालिका को जनता के प्रति जवाबदेह बनाता है। बिरला ने यह भी कहा कि सुदृढ़ वित्तीय अनुशासन सशक्त मजबूत लोकतंत्र का आधार है और सीएण्डएजी हमारे लोकतंत्र के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
बिरला ने एएसओएसएआई महासभा के सफल आयोजन और 2024-2027 के कार्यकाल के लिए एएसओएसएआईं की अध्यक्षता का कार्यभार संभालने पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और पूरी दुनिया के सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थानों में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की उच्च विश्वसनीयता का प्रमाण है।
उन्होंने बताया कि दुनिया के कई देशों के अधिकारी भारत की लेखा परीक्षा प्रणाली का अध्ययन करने और उससे सीखने के लिए भारत आते हैं। लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) के प्रयासों से 50 से अधिक देशों के अधिकारी हमारी लेखा परीक्षा प्रणालियों के गहन अध्ययन के लिए प्राइड के कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं। बिरला ने इस बात का उल्लेख भी किया कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक तकनीक और नवाचारों के साथ दुनिया का मार्गदर्शन कर रहा है।
संसदीय समितियों, विशेषकर लोक लेखा समिति (पीएसी ) की भूमिका के बारे में चर्चा करते हुए, बिरला ने कहा कि संसद सदस्य संसदीय समितियों में लेखापरीक्षा रिपोर्टों पर बारीकी से चर्चा करते हैं और इन चर्चाओं ने वित्तीय पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने विपक्ष के वरिष्ठ सदस्य को लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में नामित करने की संसदीय परंपरा पर भी प्रकाश डाला और कहा कि ऐसी परंपराएँ भारतीय लोकतंत्र की ताकत हैं क्योंकि वे सुनिश्चित करती हैं कि हमारी लेखापरीक्षा प्रणाली निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे।ओम बिरला ने कहा कि लेखापरीक्षा को केवल आलोचना माना जाता था, अब इसके दायरे का विस्तार हुआ है। उन्होंने कहा कि जहाँ भी लेखापरीक्षा प्रणालियों को मजबूत और जवाबदेह बनाया गया है, वहाँ वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता का पालन हुआ है।
बिरला ने कहा कि बदलते समय में, हमारी प्रणालियों को और भी अधिक सशक्त और प्रभावी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों को अपनाया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में भी सी एण्ड एजी विभागों और देश के अन्य संस्थानों की दक्षता को बढ़ाने के लिए उनका मार्गदर्शन करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।
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