आत्मविश्वास से लबरेज मामा खतरनाक मूड में है…

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आत्मविश्वास से लबरेज मामा खतरनाक मूड में है…

फौज में एक कहावत है ‘मुश्किल वक्त जवान सख्त’ सियासत में भी चुनाव के दिन जैसे जैसे नजदीक आते हैं राजनीतिक दल उनकी लीडर सख्त होते जाते हैं। एमपी के सीएम मामा शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर खतरनाक मूड में हैं। उनकी जुबानी दोहराएं तो चौथी बार सीएम बनने के बाद एक दफा संगठन के कार्यक्रम सीएम ने कहा था

“मामा फारम में है… ” उसके बाद अफसरशाही के बिगड़े रवैये को कुछ कड़े निर्णय भी किए थे। लेकिन अब फिर के मिजाज सख्त हो रहे हैं। लव जिहाद से लेकर दोहन शोषण के लिए आदिवासी बेटियों से गैर आदिवासियों द्वारा की जाने वाली शादियों के खिलाफ़ मामा का मूड खतरनाक है। पिछले दिनों मंडला-बैतूल और फिर इंदौर में सीएम के तेवर खतरनाक दिखे। मंडला- बैतूल में लापरवाह अधिकारियों को मौके पर ही सस्पेंड कर नौकरशाही कोई है मैसेज दिया कि अब ऐसा चलता है यह अब चलने वाला नहीं है दूसरे दिन इंदौर में टंट्या मामा के मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में लव जिहाद और आदिवासी बेटियों से गैर आदिवासियों द्वारा शादी करने के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया उन्होंने कहा लव के नाम पर जिहाद करने वाले मध्यप्रदेश में बख्शे नहीं जाएंगे जिहाद के नाम पर 35 टुकड़े करने की मानसिकता रखने वालों को राज्य में जगह नहीं है। उनका साफ संकेत था आफताब द्वारा श्रद्धा की नृशंस हत्या करने को लेकर था।

समझा जाता है कि सीएम प्रदेश में धर्मांतरण और नफरत फैलाने वालों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई करने के लिए नए नियम बनाने के मूड में है। आने वाले दिनों गुनहगारों को फांसी तक के कानून भी बनाए जा सकते हैं।

आदिवासियों के हित में लागू किए गए पेसा एक्ट के बाद इसका लाभ लेने के लिए आदिवासी कन्याओं और महिलाओं से कुछ लोग विवाह भी कर रहे हैं उन्होंने कहा है इस तरह की साजिश को हर हाल में रोका जाएगा और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी ऐसा इसलिए भी कि लोग आदिवासियों की आड़ में अपना उल्लू सीधा ना करें पिछले कुछ दिनों से धर्मांतरण की खबरों ने भी मुख्यमंत्री को उद्वेलित कर रखा है इसलिए उनका कहना है मध्यप्रदेश की धरती पर धर्मांतरण का गोरख धंधा बंद किया जाएगा। इन सब बातों के बीच जब मुख्यमंत्री मंच पर जन हितेषी योजना को लेकर अधिकारियों से सवाल जवाब करते हैं और संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर मौके पर ही जनता के सामने निलंबन का आदेश दे देते हैं इसे लेकर जनता को मिलने वाला संतोष और उसकी तालियों से मुख्यमंत्री कठोर कार्रवाई के मामले में लगता है आने वाले चुनाव तक रोकने वाले नहीं है।

इस तरह की कार्रवाई से दो तरफा संतोष और आनंद की धाराएं दिखती है। जनता में अपने लीडर से भ्रष्ट अफसरों पर कार्यवाही का आदेश बहुत आनंदित करता है और उसे देख मुख्यमंत्री संतोष के साथ आत्मविश्वास से भी भर जाते हैं।

इंदौर में हुए एक कार्यक्रम में सीएम शिवराज मंच पर जिस अंदाज में माइक को लेकर भाषण देते हैं वह जनसंवाद की तरह नजर आता है और मंच पर चहल कदमी करते हुए बातों से उनकी छवि सरकार के सीईओ के अतिरिक्त एक मोटीवेटर और मेंटर की तरह भी बनती है। ग्राम जैत से निकालकर भोपाल के मॉडल स्कूल में छात्र राजनीति फिर विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक शिवराज सिंह की छवि युवा तुर्क की बनी थी। राजनीति में खास तौर से मुख्यमंत्री बनने के बाद कई उतार-चढ़ाव से रूबरू होकर भैया से मामा बने शिवराज अब फिर सब कुछ बदलने वाले युवा तुर्क एक रूप में एक्ट कर रहे हैं। उनके तेवर और दिन रात की सक्रियता बताती है कि वे आमजन से लेकर आदिवासी, अन्नदाता और दलित वर्ग के साथ उनके सदाबहार भांजे भांजियों के लिए चुनावी साल में बहुत कुछ करना और बदलना चाहते हैं। अपने विरोधियों प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्वियों को साम दाम दंड भेद से ज्यादा प्रेम से परास्त करने के जो तीर चलाए उससे उनके लिए मैदान में अब प्रतिस्पर्धी कम अनुसरण करने वाले सहचर ज्यादा है। इससे उनका मार्ग निश कंटक भले ही ना हो आसान जरूर दिखता है।

सामाजिक मंचों पर नौकरशाही को लेकर उनके तेवरों में जो कठोरता दिखाई देती है वह बहुत केलकुलेटिव भी लगती है। वह इसलिए भी कि कर्मचारियों वेतन- भत्ते और बोनस को लेकर उनका रवैया खासा उदार रहा है। कोरोना काल के मुश्किल दिनों में भी कर्मचारियों को वेतन बोनस भत्ते में उन्होंने कोई कमी नहीं रखी। कर्मचारी समूह इस बात को समझते हैं और वह यह भी जानते हैं कि चुनावी साल में प्रशासनिक कठोरता और कामकाज में दक्षता का दबाव सरकार की गुड गवर्नेंस का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे मौके पर सीएम की कठोर टिप्पणियां और निलंबन जैसी सजा भी उनके लिए बहुत आहत करने वाली नहीं होंगी।

सबको पता है चुनावी साल में कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के साथ मतदाता को मनाने के गणित और गुणा – भाग शुरू हो जाते हैं। यद्द्पि अभी चुनाव में एक साल बाकी है। लेकिन नगर निगम चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन से पार्टी चिंतित है। इसलिए चतुर सुजान नेता और उनकी टीम धीरे- धीरे ही सही गियर बदल रही हैं। कांग्रेस तो राहुल बाबा की भारत जोड़ो यात्रा में आई भीड़ को देख मस्त हो गई है। हालांकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कांग्रेस में दिग्विजयसिंह और कमलनाथ की जोड़ी को हल्के में नही ले रहा है। पिछले 2018 में विधानसभा चुनाव के नतीजे इस बात के गवाह हैं कि नाथ और सिंह की जोड़ी में दम है। भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस एक बार फिर पूरे जोश के साथ मैदान में होगी।