घोषणा पत्र बनाम संकल्प पत्र को लेकर भिड़ती कांग्रेस और भाजपा!

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घोषणा पत्र बनाम संकल्प पत्र को लेकर भिड़ती कांग्रेस और भाजपा!

जहां एक ओर मध्यप्रदेश में आईएनडीआईए के महागठबंधन को मध्यप्रदेश के खजुराहो लोकसभा क्षेत्र में धीरे से जोर का झटका लगा है और उसकी उम्मीदवार जो समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी थीं का नामांकन पत्र निरस्त होने के साथ मीरा यादव चुनावी मैदान से बाहर हो गयी हैं, तो वहीं दूसरी ओर पांच न्याय और पच्चीस वायदों की गारंटी पर आधारित कांग्रेस के न्याय-पत्र जिसे पार्टी का घोषणापत्र माना जा रहा है को लेकर कांग्रेस पर तीखा शाब्दिक हमला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। उन्होंने राजस्थान के चुरु की सभा में कहा कि हम घोषणा पत्र नहीं संकल्प पत्र लाते हैं और उसे पूरा करते हैं। उनका कहना था कि नीयत सही रहे तो नतीजे भी आते हैं। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र को झूठ का पुलिंदा निरुपित करते हुए कहा है कि चार पीढ़ियों के शासन के बाद कांग्रेस अब कमाल दिखाने का दावा कर रही है। इस प्रकार अब आने वाले दिनों में जैसे-जैसे चुनावी रंगत चढ़ती जायेगी वैसे-वैसे एक-दूसरे पर पूरी तरह से बढ़त लेने की हर संभव कोशिश आईएनडीआईए महागठबंधन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए गठबंधन करेंगे, और इसमें देखने वाली बात यही होगी कि शाब्दिक शिष्टाचार व मर्यादा की सीमारेखा कितनी तार-तार होती है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति में जारी घोषणापत्र जिसे न्याय -पत्र नाम दिया गया है, उसमें पांच न्याय किसान, महिला, युवा, श्रमिक और हिस्सेदारी तथा 25 गारंटियों पर जोर दिया गया है। इनमें दिहाड़ी मजदूरों को कम से कम 400 रुपये प्रतिदिन मजदूरी देने, गरीब महिलाओं को सालाना एक लाख रुपये देने, जातिगत जनगणना कराने और एमएसपी को कानून बनाने जैसे वायदे किये गये हैं। भूमिहीनों को जमीन देने, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के लिए आरक्षरण पर लगी 50 प्रतिशत की सीमा को समाप्त करने, आर्थिक रुप से पिछड़े लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण बिना भेदभाव सभी जाति-समूहों के लिए लागू करने और एसटी, एससी और ओबीसी के सभी रिक्त पद एक साल में भरने का वायदा किया गया है। कांग्रेस ने अपने न्याय -पत्र में सबसे ज्यादा वायदे युवाओं से किये हैं और ये भी वायदा किया है कि अग्निपथ योजना खत्म कर देंगे, 25 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस देंगे तथा स्टार्टअप के लिए फंड दिलायेंगे ताकि 40 वर्ष से कम उम्र के लोग अपना कारोबार चालू कर सकें। सर्वाधिक 25 वायदे युवाओं से किये गये हैं।

एक ओर जहां प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के लिए 370 और सहयोगियों को मिलाकर 400 से अधिक लोकसभा सीटें जीतने का नारा दिया है वहीं दूसरी उसके जबाब में फिलहाल कांग्रेस के चुनावी वायदे 340 पार हो गये हैं। कांग्रेस जिन पांच न्याय और 25 वायदों की गारंटियों के भरोसे लोकसभा चुनाव में बाजी मारने की कोशिश कर रही है उनमें प्रमुख वायदे इस प्रकार हैं- नौकरी, सामाजिक न्याय, युवा महिला व किसान-मजदूर बने धुरी, युवाओं को 30 लाख नौकरियां व 25 वर्ष तक के युवाओं को प्रतिवर्ष एक लाख देने का वायदा, केंद्रीय नौकरियों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण, हर गरीब परिवार की एक महिला सदस्य को सालाना एक लाख नगद देने की घोषणा, देश में सभी के लिये 25 लाख का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा देने का ऐलान, जातिगत जनगणना कराने और किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का वायदा, भाजपा-राजग के 10 वर्ष के शासन के दौरान पारित विवादित कानूनों की समीक्षा, नोटबंदी, चुनावी बांड, पेगासस, राफेल जैसे मामलों में भ्रष्टाचार की जांच का ऐलान, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की समीक्षा, वर्तमान मणिपुर सरकार को हटाया जाना, महिला आरक्षण को 2029 से नहीं 2025 से ही अमल में लाने, जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करना व दिल्ली के एलजी की शक्तियां कम करना तथा पुड्डूचेरी को नया राज्य बनाना आदि शामिल हैं।

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र को झूठ का पुलिंदा करार देते हुए कहा कि चार पीढ़ियों के शासन के बाद कांग्रेस अब सत्ता में आने के लिए कमाल दिखाने का दावा कर रही है। घोषणापत्र को न्याय-पत्र नाम देने पर त्रिवेदी ने कहा कि एक तरह से कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया है कि सीधे तौर पर देश में लगभग 60 साल तक शासन के दौरान उन्होंने न्याय नहीं किया। भाजपा ने घोषणा पत्र में न्यूयार्क और थाईलैंड की तस्वीरों को लेकर भी कांग्रेस पर निशाना साधा। जिसने कभी भी भारत के युवाओं की क्षमता, आर्थिक क्षमता व सैन्य क्षमता, औद्योगिक क्षमता एवं सुरक्षा के साथ न्याय नहीं किया वह कांग्रेस आज न्याय की बात कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी फौज न्याय के मैदान में जंग जीतकर आती थी और उसे राजनीतिक टेबल पर सरकार लुटा कर चली जाती थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कभी भी भारत की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक समरसता के साथ न्याय नहीं किया और वेष बदल कर जनता को बरगलाने की कोशिश कर रही है।

नामांकन पत्र निरस्त होने पर तकरार

खजुराहो लोकसभा क्षेत्र इन दिनों पूरे प्रदेश में ही नहीं अपितु देश में अनायास ही चर्चित हो उठा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा के लिये चुनावी लड़ाई एकतरफा और आसान उस समय हो गयी जब जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेश कुमार ने आईएनडीआईए महागठबंधन की सपा प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन पत्र निरस्त कर दिया। इसका कारण यह बताया गया है कि नामांकन पत्र में एक स्थान पर अभ्यार्थी के हस्ताक्षर नहीं है और नई मतदाता सूची की सत्यापित प्रति संलग्न नहीं की गयी है। नामांकन पत्र इसी आधार पर निरस्त कर दिया गया। चूंकि मीरा यादव खजुराहो संसदीय क्षेत्र की मतदाता नहीं है इसलिए जहां की मतदाता सूची में उनका नाम है वहां के सक्षम अधिकारी से सत्यापित कराकर नई सूची जमा करना थी। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, खजुराहो सीट उसने समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ दी थी। यहां से प्रत्याशी को लेकर लगता है समाजवादी पार्टी उहापोह में रही। पहले उसने खजुराहो से डा. मनोज यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था उसके बाद उनके स्थान पर मीरा यादव को प्रत्याशी घोषित किया गया। पांच अप्रैल यानी शुक्रवार को नामांकन पत्र की जांच हुई जिसमें सपा उम्मीदवार मीरा यादव का नामांकन पत्र अपूर्ण होने के कारण निरस्त कर दिया गया। मीरा यादव के पति दीप नारायण यादव ने कहा कि काफी समय था निर्वाचन अधिकारी हमें बता देते तो हम कमी की पूर्ति कर देते, अब हम चुनाव आयोग और अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे। मीरा यादव का नामांकन निरस्त होने को लेकर यह भी चर्चा चल रही है कि क्या मीरा ने खुद ही अपना पर्चा खारिज करने की तैयारी तो नहीं कर ली थी।

 

और यह भी …

मीरा यादव का नामांकन निरस्त होने से इंडिया गठबंधन के नेता आगबबूला हैं और वे तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन का इस मामले में कहना है कि बाकी उम्मीदवार चार से पांच सेट में नामांकन भर रहे हैं लेकिल सपा उम्मीदवार ने एक ही सेट दिया। जिला निर्वाचन अधिकारी ने एक दिन पहले ही मीरा यादव से कहा था कि एक जगह पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं, मीरा यादव यह कहकर चली गईं हैं कि बाहर मीडिया से बात करके लौटती हूं और वे वापस नहीं आईं। मीरा के पति दीप नारायण यादव कह रहे हैं कि अभी 15 उम्मीदवार और हैं और कांग्रेस से चर्चा करने के बाद किसी को समर्थन दे दिया जायेगा। उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी पर आरोप लगाया है कि अनपढ़ उम्मीदवार है तो उसके फार्म को दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी निर्वाचन अधिकारी की है लेकिन उसने कोई मदद नहीं की। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का आरोप है कि सरेआम लोकतंत्र की हत्या की गयी। हस्ताक्षर नहीं थे तो फिर देखने वाले अधिकारी ने फार्म लिया ही क्यों। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस नेता अरुण यादव को लगता है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी और भाजपा प्रत्याशी विष्णुदत्त शर्मा के दबाव में यह हुआ है और यह राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है। मध्यप्रदेश में ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है बल्कि इससे पहले 2009 में भी ऐसी ही स्थिति उस समय निर्मित हुई थी जब भाजपा नेता सुषमा स्वराज के सामने विदिशा में राजकुमार पटेल को कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया, पटेल भी बी-फार्म की मूलप्रति नहीं जमा कर पाये थे इसलिए तकनीकी कारणों से उनका नामांकन पत्र निरस्त हो गया था।