Congress Manifesto: योजना आयोग को फिर से बहाल करने का किया वादा

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Congress Manifesto: योजना आयोग को फिर से बहाल करने का किया वादा

 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

 

कांग्रेस ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव, 2024 के लिए नई दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष पी. चिदंबरम और कांग्रेस महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल आदि नेताओं की उपस्थिति में अपना घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषणा पत्र को ‘न्याय पत्र’ का नाम दिया गया है। यह न्याय पत्र पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा तैयार किया गया है। पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि केंद्र की सत्ता में आने पर योजना आयोग को फिर से बहाल किया जाएगा। मोदी सरकार ने इसका स्वरूप बदल इसका नाम नीति आयोग कर दिया है।न्याय पत्र में कहा गया है कि दल बदल करने वाले विधायक या सांसद को विधानसभा अथवा संसद की सदस्यता से स्वतः अयोग्य घोषित किया जाएगा। शनिवार को जयपुर और हैदराबाद में आयोजित बड़ी रैलियो में भी न्याय पत्र को सार्वजनिक मंच पर जनता के मध्य पेश किया जाएगा।जयपुर में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, और प्रियंका गांधी तथा हैदराबाद में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद रहेंगे।

 

इधर शुक्रवार को राजस्थान की धुआधार यात्रा कर रहें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हम घोषणा पत्र जारी करने की औपचारिकताएं नही करते वरन जनता के सामने संकल्प पत्र रख उसे बहुत ही शीद्दत के साथ लागू भी करते है। दरअसल कुछ दशकों पहले तक चुनाव से ऐन वक्त पहले विभिन्न राजनीतिक दल अपने अपने घोषणा पत्र जारी कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते थे। केंद्र में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में शासनारूढ होने के बाद चुनाव से पूर्व और चुनाव के दौरान किए वादों को शत प्रतिशत लागू करने पर कड़ाई से ध्यान केंद्रित किया और अपने जन प्रतिनिधियों को भी पाबंद किया कि वे जनता से किए वायदों को पूरा करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देवें। वैसे देखा जाए तो देश में चुनावी घोषणा पत्र की विश्वसनियता को कायम कराने की शुरुआत राजस्थान से ही हुई है और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सबसे पहले उसके लिए पहल की थी। 1998 में गहलोत जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने अपनी सरकार की पहली केबिनेट मीटिंग में मुख्यसचिव को पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र सौंप कर उसे सरकारी दस्तावेज के रूप के स्वीकार कराने का प्रस्ताव पारित किया था और सरकारी स्तर पर उसकी पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद चुनाव घोषणा पत्र को सत्ताधारी दलों द्वारा सरकारी कार्यक्रम के तौर पर क्रियान्वित करने की परिपाटी चल पड़ी हैं और आम जनता भी इसे कसौटी पर लेने को गंभीर हुई हैं।

 

कांग्रेस द्वारा शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए गए अपने घोषणा पत्र न्याय पत्र में देश में 30 लाख नई सरकारी नौकरियां, आरक्षण में इजाफा और परीक्षा में जीरो आवेदन शुल्क, राष्ट्रव्यापी आर्थिक-सामाजिक, जाति जनगणना कराने आदि वायदे भी किए गए है। साथ ही समाज के तमाम वर्गों के लिए न्याय पर जोर दिया है। इसमें विशेष कर महिलाओ, युवाओ, किसानो, गरीबो, महिलाओं आदि सभी वर्गों को शामिल किया गया हैं।

 

कांग्रेस के न्याय पत्र में यह भी वादा किया गया है कि देश की पुलिस, जांच और खुफिया एजेंसियां सख्ती से कानून के अनुसार काम करेंगी। जिन बेलगाम शक्तियों का अभी वो प्रयोग करते हैं, उन्हें कम कर दिया आएगा। जैसा भी मामला हो, उन्हें संसद या राज्य विधानमंडलों की निगरानी में लाया जाएगा। इसी प्रकार न्याय पत्र में कानून को शस्त्र बनाकर उपयोग करने, मनमानी तलाशी, जब्ती और कुर्की, मनमानी और अंधाधुंध गिरफ्तारियां,थर्ड डिग्री तरीकों, लंबी हिरासत, हिरासत में मौतों और बुलडोजर न्याय को समाप्त करने का वादा भी किया गया है।

 

कांग्रेस ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा-पत्र जारी करने के नई दिल्ली के अकबर रोड स्थित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में एक प्रेस वार्ता की। 48 पृष्ठों के इस न्याय पत्र में कांग्रेस ने समाज के तमाम वर्गों और क्षेत्रों के लिए न्याय के 10 स्तंभों जोर दिया है। इस मौके पर कहा गया कि 18 वीं लोकसभा का चुनाव देश में लोकतंत्र और संविधान तथा संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा करने के लिए हो रहा । आज देश में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। भाजपानीत एनडीए सरकार का ध्यान केवल अमीरों की ओर ही है।

 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस अवसर पर बताया कि 19 मार्च को कांग्रेस कार्य समिति ने अपने घोषणा पत्र न्याय पत्र को मंजूरी दी थी। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान न्याय के पांच स्तंभों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। इनमें युवा न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और हिस्सेदारी न्याय की घोषणा की गईं थीं। इनमें से 25 गारंटियां निकलती हैं। इन सभी को भी घोषणा पत्र में शामिल किया गया है। न्याय पत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं गरीब सामान्य वर्ग को मिलने वाले आरक्षण पर 50 प्रतिशत का कैप हटाने जा वादा किया गया है। साथ ही कहा गया है कि शिक्षा एवं नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण को बिना किसी भेदभाव के सभी जाति और समुदाय के लोगों के लिए लागू किया जाएगा। उसके अलावा अनुसुचित जाति, अनुसुचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सभी रिक्त पदों को एक साल के अंदर भरा जाएगा। सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में संविदा भर्तियों की जगह नियमित भर्तियां और अभी जो संविदा कर्मी हैं उनका नियमतीकरण किया जाएगा।

 

 

साथ ही पहली नौकरी पक्की गारंटी देने के लिए शिक्षु (अप्रेंटिस) एक्ट, 1961 को हटाकर प्रशिक्षुता (अप्रेंटिसशिप) अधिकार अधिनियम लाया जाएगा। यह कानून 25 वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक डिप्लोमा धारक या कॉलेज स्नातक के लिए, निजी एवं सरकारी क्षेत्र की कंपनी में एक साल का प्रशिक्षुता कार्यक्रम प्रदान करेगा। इस कानून के तहत, हर प्रशिक्षु को एक लाख रुपए प्रति वर्ष का मानदेय दिया जाएगा। साथनौकरी परीक्षाओं के लिए पेपर लीक (प्रश्न पत्र लीक) होने के मामलों का निपटारा करने के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों का गठन और पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा।

केंद्र सरकार में विभिन्न स्तरों पर स्वीकृत लगभग 30 लाख रिक्त पदों को भरा जाएगा।

स्टार्ट-अप के लिए फंड ऑफ फंड्स योजना का पुनर्गठन किया जाएगा और उपलब्ध फंड का 50 प्रतिशत, 5,000 करोड़ रुपए देश के सभी जिलों में समान रूप से आवंटित किया जाएगा।उन आवेदकों को एक बार कि राहत मिलेगी, जो महामारी के समय 1 अप्रैल 2020 से 30 जून 2021 के दौरान सरकारी परीक्षा नहीं दे सके। सरकारी परीक्षाओं और सरकारी पदों के लिए आवेदन शुल्क समाप्त किया जाएगा। सभी छात्र शैक्षिक ऋणों के संबंध में 15 मार्च 2024 तक ब्याज सहित ऋण की देय राशि को माफ किया जाएगा और बैंकों को सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाएगी। 21 वर्ष से कम आयु के प्रतिभाशाली और उभरते खिलाड़ियों को प्रति माह 10,000 रुपये की खेल छात्रवृत्ति प्रदान किया जाएगा।

 

न्याय पत्र में प्रत्येक गरीब भारतीय परिवार को बिना शर्त नकद हस्तांतरण के रूप में एक लाख रुपए प्रति वर्ष प्रदान करने के लिए एक महालक्ष्मी योजना शुरू करने की घोषणा की गई है। साथ ही भूमिहीनों को जमीन देने का वादा किया गया है।

कांग्रेस ने कहा कि संविधान का (106वां) संशोधन अधिनियम महिलाओं के प्रति भाजपा के विश्वासघात का प्रतीक है। संशोधन अधिनियम में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण को 2029 के बाद लागू करने की अनुमति जैसे जो कुटिल प्रावधान है, कांग्रेस इनको हटा देगी और संशोधन अधिनियम को तुरंत लागू किया जाएगा। महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण उन राज्य विधानसभाओं में लागू हो जाएगा, जो 2025 के विधानसभा चुनावों में चुनी जाएंगी। साथ ही महिलाओं के लिए केंद्र सरकार की आधी (50 प्रतिशत) नौकरियां आरक्षित की जाएंगी। महिलाओं के वेतन में भेदभाव को रोकने के लिए ‘समान काम, समान वेतन’ का सिद्धांत लागू किया जाएगा। विवाह, उत्तराधिकार, विरासत, गौद-लेना, संरक्षकता आदि के मामलों में महिलाओं और पुरुषों का समान अधिकार देने के लिए सभी कानूनों की समीक्षा की जाएगी।

 

किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी दी जाएगी। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को एक वैधानिक निकाय बनाया जाएगा।

सभी खरीद केंद्रों और एपीएमसी पर किसान-विक्रेता को देय न्यूनतन समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) सीधे किसान के बैंक खाते में डिजिटल रूप से जमा किया जाएगा। फसल बीमा को खेत और किसान के अनुरूप बनाया जाएगा। किसान से बीमा राशि के अनुसार प्रीमियम लिया जाएगा और सभी विवादों का निपटान 30 दिनों के भीतर किया जाएगा। बड़े गांवों और छोटे शहरों में किसानों के लिए खुदरा बाजार स्थापित होंगे, ताकि किसान अपनी उपज ला सकें और उपभोक्ताओं को बेच सकें।

 

शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल करते हुए सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से कक्षा 12 तक की शिक्षा को निःशुल्क एवं अनिवार्य बनाने के लिए शिक्षा का अधिकार देने आर.टी.ई अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। सरकारी स्कूलों में विभिन्न प्रयोजनों के लिए विशेष शुल्क लेने की प्रथा को समाप्त किया जाएगा। राज्य सरकारों के परामर्श से केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की संख्या को बढ़ाया जाएगा।

 

न्याय पत्र में देश के संविधान की रक्षा का वादा करते हुए कहा गया है कि कांग्रेस एक राष्ट्र एक चुनाव के विचार को अस्वीकार करती है। साथ ही ईवीएम की दक्षता और मतपत्र की पारदर्शिता को संयोजित करने के लिए चुनाव कानूनों में संशोधन करेंगी। मतदान ईवीएम के माध्यम से होगा, लेकिन मतदाता मशीन से उत्पन्न मतदान पर्ची को वीवीपैट इकाई में रख और जमा कर सकेंगे। इलेक्ट्रॉनिक वोट मिलान का मिलान वीवीपैट पर्ची मिलान से किया जाएगा।

 

न्याय पत्र में कांग्रेस ने यह वादा भी किया है कि संविधान की दसवीं अनुसूची में संशोधन किया जाएगा और दल बदल करने वाले विधायक या सांसद को विधानसभा अथवा संसद की सदस्यता से स्वतः अयोग्य घोषित किया जाएगा।

इसी प्रकार भोजन और पहनावे, प्यार और शादी एवं भारत के किसी भी हिस्से में यात्रा और निवास की व्यक्तिगत पसंद में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। सभी कानून और नियम जो अनुचित रूप से हस्तक्षेप करते हैं उन्हें रद्द किया जाएगा।

न्याय पत्र में घोषणा की गई है कि संसद के दोनों सदन साल में 100 दिनों के लिए चलेंगे। सप्ताह में एक दिन प्रत्येक सदन में विपक्षी बेंच द्वारा सुझाए गए एजेंडे पर चर्चा के लिए समर्पित किया जाएगा। दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को किसी भी राजनीतिक दल से अपना संबंध तोड़ तटस्थ रहना होगा।

 

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2019 में अपने घोषणा-पत्र का नाम जन-आवाज दिया था। तब घोषणा-पत्र में किसान और रोजगार सबसे बड़े मुद्दे रखे गए थे लेकिन इस बार घोषणा-पत्र का आधार राहुल गांधी की पूरे देश में की गई भारत जोडों और भारत जोडों न्याय यात्रा में पार्टी कार्यकर्ताओं और आम अवाम से मिले फीड बेक के आधार पर न्याय पत्र नाम देकर तैयार किया गया है।

 

अब यह देखना दिलचस्प होंगा कि भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के न्याय पत्र के जवाब में एनडीए का कैसा लोक लुभावना संकल्प पत्र लाकर वोटरों को लुभाने का काम करती है?