Congress Mission-2026 : असम और केरल में अगले साल चुनाव, कांग्रेस ने रणनीति बनाने की तैयारी शुरू की!

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Congress Mission-2026 : असम और केरल में अगले साल चुनाव, कांग्रेस ने रणनीति बनाने की तैयारी शुरू की!

खड़गे और राहुल ने चुनाव लड़ने से लेकर प्रचार अभियान तक को धार देने के लिए मीटिंग की!

New Delhi : अगले साल देश के दो राज्यों केरल और असम में विधानसभा चुनाव होना है। इसके लिए राहुल-खरगे ने कमर कस ली। उनकी कोशिश है कि दस साल का वनवास अब खत्म होना चाहिए। नौ साल पहले असम में कांग्रेस ने सत्ता खोई थी। अब कांग्रेस अपनी वापसी के लिए बेताब है। ऐसे में उसने आम लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाने का काम शुरू किया। उधर, केरल में भी कांग्रेस 9 साल से सत्ता से बाहर है। राहुल गांधी द्वारा केरल का प्रतिनिधित्व करने के बाद भी कांग्रेस 2021 के विधानसभा चुनाव में वापसी नहीं कर सकी।

देश की सत्ता से बाहर होने के दो साल बाद कांग्रेस ने केरल और असम की सरकार भी गंवा दी। असम में बीजेपी ने सरकार बनाई तो केरल में लेफ्ट ने अपना कब्जा जमाया। इसके बाद से कांग्रेस सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। दिल्ली विधानसभा चुनाव निपटते ही कांग्रेस ने मिशन-असम और केरल की तैयारी शुरू कर दी। लोकसभा चुनाव में मिलीं 99 सीटों से कांग्रेस के हौसले जितने बुलंद हुए थे, वो हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली चुनाव में मिली हार से पस्त पड़ गए। ऐसे में केरल और असम के लिए एक साल पहले ही कांग्रेस ने अपनी कवायद शुरू कर दी है।

इन दोनों राज्यों में मई 2026 में विधानसभा चुनाव होंगे। दोनों ही राज्यों में विधान चुनाव के लिए एक साल से भी ज्यादा का समय है। लेकिन, कांग्रेस ने सियासी तैयारी शुरू कर दी। कांग्रेस ने गुरुवार को असम तो शुक्रवार को केरल नेताओं की बैठक बुलाई, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी भी शिरकत की। इस दौरान कांग्रेस ने चुनाव लड़ने से लेकर प्रचार अभियान तक को धार देने की स्ट्रैटजी बनाई। क्योंकि, ये पार्टी के लिए सत्ता में वापसी एक बड़ा चैलेंज है।

असम में नौ साल पहले सत्ता खो चुकी कांग्रेस अपनी वापसी के लिए बेताब है। ऐसे में एक ओर कांग्रेस ने आम लोगों से जुड़े मुद्दों को जमीन पर उठाने का काम शुरू किया है, तो ये भी तय किया है कि वो असम में लोगों से जुड़े मुद्दों और वहां की कानून व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर पर उठाएगी। कांग्रेस ने असम के चाय बागानों, उनके वर्कर्स के मिनिमन वेजेज का मामला, कानून व्यवस्था और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर जमीन पर लोगों के बीच जाना शुरू कर दिया है। साथ ही हिमंत सरकार को भ्रष्टाचार के कठघरे में खड़ी करने की स्ट्रैटजी है। ऐसे में असम के कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी असम की सियासी नब्ज को समझने की कवायद करेंगे।

असम में कांग्रेस अपने संगठन को जमीन स्तर पर दुरुस्त करने में जुटी है, ताकि अगले साल होने वाले चुनाव में बीजेपी से मुकाबला कर सके। कांग्रेस की स्ट्रैटजी आगामी निकाय चुनावों को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है। पार्टी का मानना है कि निकाय चुनावों में काफी हद तक साफ हो जाएगा कि वो कहां खड़ी है, उसके हिसाब से विधानसभा चुनाव की रणनीति पर नए तरीके से धार देगी। माना जा रहा है कि पार्टी भूपेन बोरा की जगह गौरव गोगोई को बैठाने की रणनीति चल रही है। गोगाई के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की स्ट्रैटजी है। क्योंकि, उनके चेहरे पर खिसके वोट बैंक को फिर से पाने की उम्मीद है।

केरल में फिर सत्ता पाने के लिए कांग्रेस ने कमर कसी

कांग्रेस का जोर इस बार चाय बागानों व राज्य के जनजातीय बहुल इलाकों में है। उसको लगता है कि सत्ता से बाहर होने के बाद इन दोनों समुदायों में उसकी पकड़ ढीली हुई। कांग्रेस का मानना है कि चाय बागान से जुड़े तबके का लगभग 40% वोट उससे दरका है। इस समुदाय का 30% वोट नहीं आता, तो उसके लिए सरकार बनाना आसान नहीं है। इसके अलावा कांग्रेस की नजर आदिवासी वोटों पर है, जिसके लिए पार्टी स्थानीय व कुछ छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रही है। कांग्रेस की रणनीति है कि छोटे क्षेत्रीय दल भले ही अपने दम पर जीत न पाएं, लेकिन वो जितने भी वोट लेंगे, वो कांग्रेस के लिए मददगार साबित हो सकते हैं।

केरल के लिए कांग्रेस की रणनीति

केरल में कांग्रेस 9 साल से सत्ता से बाहर है। राहुल गांधी द्वारा केरल का प्रतिनिधित्व करने के बाद भी कांग्रेस 2021 के विधानसभा चुनाव में वापसी नहीं कर सकी थी। अब राहुल की जगह प्रियंका गांधी वायनाड से सांसद हैं। इस तरह से केरल का चुनाव गांधी परिवार की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। केरल में 2016 से लेफ्ट की अगुवाई वाले एनडीएफ का कब्जा है। पिनरायी विजयन सीएम हैं और उन्होंने 2021 का चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया था। केरल में कोई भी सत्ताधारी पार्टी रिपीट नहीं कर सकी थी। लेकिन, विजयन ने सत्ता परिवर्तन की रिवायत को तोड़ा था।

2024 में कांग्रेस केरल में क्लीन स्वीप करने में कामयाब रही है, जिसके बाद सत्ता में वापसी का तानाबाना बुन रही है। हालांकि, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जिस तरह से सियासी तेवर दिखाए हैं, उसके बाद पार्टी की टेंशन बढ़ गई। केरल में कांग्रेस पहले ही दो गुटों में बंटी है। एक गुट रमेश चेन्निथला का है तो दूसरे की अगुवाई कांग्रेस के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल कर रहे हैं।

केसी वेणुगोपाल की गिनती राहुल गांधी और गांधी परिवार के करीबियों में होती है। साल 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद रमेश चेन्निथला गुट की पकड़ पार्टी पर कमजोर पड़ी है और केसी वेणुगोपाल का प्रभाव बढ़ा है। मौजूदा केरल कांग्रेस अध्यक्ष के. सुधाकरन और विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन भी केसी वेणुगोपाल के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में अब शशि थरूर के रूप में तीसरा धड़ा खड़ा हो रहा।

क्या पेंच है शशि थरूर का

शशि थरूर ने राहुल से मिलकर केरल में खुद को सीएम चेहरा घोषित करने की मांग उठाई थी, जिसके लिए उन्होंने अपने नाम को आगे किया था। राहुल गांधी इस पर तैयार नहीं हुए तो थरूर ने बागी तेवर अपना लिए हैं। थरूर के तेवर ने कांग्रेस की सियासी टेंशन बढ़ा दी। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे शुक्रवार को केरल नेताओं के साथ बैठक कर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति पर मंथन करेंगे। साथ ही पार्टी में बढ़ रही गुटबाजी को भी दूर करने की चुनौती होगी। इस बैठक में शशि थरूर भी शामिल हो रहे हैं।

कांग्रेस केरल को लेकर किस तरह की स्ट्रैटजी के साथ आगे बढ़ेगी और किस चेहरे को आगे कर चुनावी मैदान में उतरेगी? केसी वेणुगोपाल केरल में खुद को सीएम चेहरे को तौर पर देख रहे हैं। लेकिन, थरूर के सियासी तेवर के बाद कांग्रेस के लिए उनके चेहरे पर मुहर लगाना आसान नहीं है। ऐसे में देखना है कि कांग्रेस के मंथन से क्या निकलता है?