Congress ship is in trouble:ज्योतिरादित्य सिंधिया ज्यादा परिपक्व निकले

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BJP’s Mission 2023: तब सिंधिया मददगार रहे,अब उनकी भूमिका क्या होगी ?

Congress ship is in trouble:ज्योतिरादित्य सिंधिया ज्यादा परिपक्व निकले

रमण रावल

इन दिनों जब देश भर से कांग्रेसियों के जत्थे के जत्थे भाजपा की ओर ऐसे बढ़ रहे हैं, जैसे बाबा अमरनाथ के दर्शन को बेताब भक्तों के समूह दुर्गम रास्तों के बावजूद बढ़ते हैं। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया की याद आना स्वाभाविक है। तब कांग्रेस ही नहीं भाजपा में भी हड़कंप मच गया था। जब लहरें शांत हुई तो पता चला कि सिंधिया की कश्ती सुरक्षित भाजपा के जहाज से सटकर लग चुकी है। उसके बाद से कांग्रेस के जहाज से कूदे अनेक कश्तियां के सवार भाजपा के जहाज पर सवार तो हो चुके हैं, लेकिन जैसा स्वागत सिंधिया का हुआ, वैसा अन्य भटके यात्रियों का नहीं हो पा रहा। जबकि अंदेशा तो होने लगा था कि कांग्रेस का जहाज अब डूबा कि तब डूबा।

देखा जाये तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने का तब स्वागत कम हुआ और छिछालेदार ज्यादा हुई।भाजपा ने जो स्वागत किया वो इसलिये कि उनकी वजह से हाथ से निकल चुकी मप्र की सरकार फिर से हाथ आ गई थी। सिंधिया तब बेहद आत्म संयम बरतते हुए प्रतिक्रिया से बचते रहे । वे जानते थे कि समय बलवान है और बिन बोले सबको जवाब मिल जायेगा। सब कुछ वैसा ही हो रहा है। राजनीति हो या जीवन का कोई-सा भी क्षेत्र, दूरदृष्टि जरूरी है। आप यदि आसन्न खतरे को नहीं पहचान सकें तो क्या जहाज,क्या कश्ती डूबना सुनिश्चित है।

इस मामले में सिंधिया ने न केवल भाजपा में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाई, बल्कि अपने साथ आये समर्थकों का भी खूब ख्याल रखा। कांग्रेस के पुराने साथियों ने उन्हें खूब ताने-उलाहने दिये, लेकिन सिंधिया ने उपेक्षा को हथियार बनाकर भाजपा में अपने सफर को जारी रखा। वे अपने तमाम समकक्ष,वरिष्ठ भाजपा नेताओं से मेलजोल बढ़ाते रहे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में अपनी पैठ को गहरा किया और नागपुर के फेरे भी लगाये। भाजपा ने उन्हें पर्याप्त सम्मान देते हुए राज्यसभा भेजा,केंद्र में मंत्री बनाया और अब लोकसभा चुनाव भी लड़ा रही है।जहां उन्हें साबित करना है कि अपने पारंपरिक इलाके गुना-शिवपुरी में वे अब भी प्रभावी हैं। संभव है,उनके सामने दिग्विजय सिंह मैदान संभाल लें।वे भाजपा में अपने धुर विरोधी कैलाश विजयवर्गीय से गले मिलने में भी नहीं झिझके। वे उनके घर गये,परिवार के बीच रहे,भोजन किया,बेटे को भी मिलवाया। उन्होंने भाजपा के आम कार्यकर्ताओं से भी संवाद-संपर्क बनाने से परहेज नहीं किया। इंदौर,भोपाल,ग्वालियर या जहां भी उनका प्रवास होता है, वे भाजपा कार्यालय में जाकर मेलजोल पसंद करते हैं। इन तमाम कारणों से भाजपाइयों के बीच उन्हें लेकर जो संशय,नापसंदगी थी, वह लगभग दूर हो रही है। हकीकत तो यह है कि वे मप्र भाजपा के भविष्य के नेता के रूप में देखे-माने जाने लगे हैं।

इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो 2023 के बाद से मप्र या देश में कहीं से भी भाजपा में आने वालों के प्रति आम भाजपा कार्यकर्ता ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आता। उसे इस बात से संतोष तो है कि इस तरह से कांग्रेस तेजी से खात्मे की ओर बढ़ रही है, लेकिन उसे अपने बीच सहजता से लेने में हाल-फिलहाल तो वह असुविधा महसूस कर रहा है। अब यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस के डूबते जहाज को देखकर सत्ता के साथ बने रहने का सुख भोगने के लिये लोग आ रहे हैं। तात्कालिक रूप से यह सही भी हो तो राजनीति का तकाजा तो यही कहता है कि पहले सामने वाले की शक्ति को कम किया जाये, फिर यह देखा जाये कि इससे उसकी ताकत कितनी बढ़ेगी या बढ़ेगी भी कि नहीं ?

दो माह में लोकसभा चुनाव होना है। ऐसे में घात-प्रतिघात तो खेल का हिस्सा है।भाजपा मप्र की सभी 29 लोकसभा सीट पाने के लिये पूरा जोर लगा रही है। कांग्रेस अपनी बची-खुची इज्जत बचाने में कमजोर पड़ती जा रही है। नकुलनाथ भी कब रवानगी डाल लें, कह नहीं सकते। हाल ही में दरवाजे से लौटे हैं तो क्या गारंटी है कि एक बार और उस घर की तरफ रूख नहीं करेंगे? आने वाले दिनों में मप्र की राजनीति में दिलचस्प नजारे देखने के लिये तैयार रहिये।

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रमण रावल

 

संपादक - वीकेंड पोस्ट

स्थानीय संपादक - पीपुल्स समाचार,इंदौर                               

संपादक - चौथासंसार, इंदौर

प्रधान संपादक - भास्कर टीवी(बीटीवी), इंदौर

शहर संपादक - नईदुनिया, इंदौर

समाचार संपादक - दैनिक भास्कर, इंदौर

कार्यकारी संपादक  - चौथा संसार, इंदौर

उप संपादक - नवभारत, इंदौर

साहित्य संपादक - चौथासंसार, इंदौर                                                             

समाचार संपादक - प्रभातकिरण, इंदौर      

                                                 

1979 से 1981 तक साप्ताहिक अखबार युग प्रभात,स्पूतनिक और दैनिक अखबार इंदौर समाचार में उप संपादक और नगर प्रतिनिधि के दायित्व का निर्वाह किया ।

शिक्षा - वाणिज्य स्नातक (1976), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

उल्लेखनीय-

० 1990 में  दैनिक नवभारत के लिये इंदौर के 50 से अधिक उद्योगपतियों , कारोबारियों से साक्षात्कार लेकर उनके उत्थान की दास्तान का प्रकाशन । इंदौर के इतिहास में पहली बार कॉर्पोरेट प्रोफाइल दिया गया।

० अनेक विख्यात हस्तियों का साक्षात्कार-बाबा आमटे,अटल बिहारी वाजपेयी,चंद्रशेखर,चौधरी चरणसिंह,संत लोंगोवाल,हरिवंश राय बच्चन,गुलाम अली,श्रीराम लागू,सदाशिवराव अमरापुरकर,सुनील दत्त,जगदगुरु शंकाराचार्य,दिग्विजयसिंह,कैलाश जोशी,वीरेंद्र कुमार सखलेचा,सुब्रमण्यम स्वामी, लोकमान्य टिळक के प्रपोत्र दीपक टिळक।

० 1984 के आम चुनाव का कवरेज करने उ.प्र. का दौरा,जहां अमेठी,रायबरेली,इलाहाबाद के राजनीतिक समीकरण का जायजा लिया।

० अमिताभ बच्चन से साक्षात्कार, 1985।

० 2011 से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना वाले अनेक लेखों का विभिन्न अखबारों में प्रकाशन, जिसके संकलन की किताब मोदी युग का विमोचन जुलाई 2014 में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी किताब भेंट की गयी। 2019 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के एक माह के भीतर किताब युग-युग मोदी का प्रकाशन 23 जून 2019 को।

सम्मान- मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा स्थापित राहुल बारपुते आंचलिक पत्रकारिता सम्मान-2016 से सम्मानित।

विशेष-  भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधिमंडल में बतौर सदस्य शरीक।

मनोनयन- म.प्र. शासन के जनसंपर्क विभाग की राज्य स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के दो बार सदस्य मनोनीत।

किताबें-इंदौर के सितारे(2014),इंदौर के सितारे भाग-2(2015),इंदौर के सितारे भाग 3(2018), मोदी युग(2014), अंगदान(2016) , युग-युग मोदी(2019) सहित 8 किताबें प्रकाशित ।

भाषा-हिंदी,मराठी,गुजराती,सामान्य अंग्रेजी।

रुचि-मानवीय,सामाजिक,राजनीतिक मुद्दों पर लेखन,साक्षात्कार ।

संप्रति- 2014 से बतौर स्वतंत्र पत्रकार भास्कर, नईदुनिया,प्रभातकिरण,अग्निबाण, चौथा संसार,दबंग दुनिया,पीपुल्स समाचार,आचरण , लोकमत समाचार , राज एक्सप्रेस, वेबदुनिया , मीडियावाला डॉट इन  आदि में लेखन।