New Delhi : कांग्रेस 9 साल बाद राजस्थान के उदयपुर में तीन दिन का चिंतन शिविर करने जा रही है। क्योंकि, पार्टी एक बार फिर चुनावी रणभूमि मजबूत करके मैदान में उतरने की तैयारी में है। 13 से 15 मई तक होने वाले इस चिंतन शिविर में कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रशांत किशोर सहित पार्टी के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहेंगे। इस चिंतन शिविर में कांग्रेस के सभी सांसदों और विधायकों को बुलाया गया है। साथ ही पार्टी के पदाधिकारियों और सक्रिय कार्यकर्ताओं को भी आमंत्रण भेजा गया है।
इस शिविर में कांग्रेस के ‘मिशन 2024’ के तहत पार्टी के एक्शन प्लान के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस पर चर्चा के लिए प्रशांत किशोर भी मौजूद रहेंगे। वहीं पांच राज्यों की हार के बाद तीन दिन तक चलने वाले इस शिविर में नेताओं व कार्यकर्ताओं से हार के कारण जानने की कोशिश की जाएगी। साथ ही कांग्रेस गुजरात, हिमाचल प्रदेश के साथ ही अगले साल होने वाले कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति बनाएगी।
कार्यक्रम के दौरान नई रणनीति बनाने के साथ ही राहुल गांधी की अध्यक्ष के तौर पर फिर ताजपोशी होने की संभावना है। 9 साल पहले हुए चिंतन शिविर में ही राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई थी। इस तरह का चिंतन शिविर साल 2013 में जयपुर हुआ था। उस समय शिविर में 2014 के लोकसभा चुनाव में जाने की तैयारियों और रणनीति को लेकर चर्चा की गई थी। तब राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था। संयोग है कि तब भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही थे।
इसलिए मेवाड़ में चिंतन करेगी कांग्रेस
जानकार मानते हैं कि दो कारणों से चिंतन शिविर के लिए मेवाड़ को चुना गया है। जिस तरह दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण है, ठीक उसी तरह राजस्थान की गद्दी पर बैठने के लिए मेवाड़ को फतह करना जरूरी है। मेवाड़ में जो पार्टी सबसे ज्यादा सीट जीतती है, उसी की सरकार जयपुर में बनती है तो ये गुजरात के साथ-साथ राजस्थान के आगामी चुनावों की रणनीति के तहत भी फिट माना जा रहा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मेवाड़ फतह करने की चाह रखते हैं। दूसरा कारण है कि यह इलाका गुजरात से लगा हुआ क्षेत्र है। दिसंबर में गुजरात में विधानसभा चुनाव है कांग्रेस पार्टी के इस चिंतन शिविर में गुजरात में 27 साल पुराने बीजेपी के किले को भेदने की रणनीति तैयार की जाएगी।
‘मेवाड़’ का राजनीतिक इतिहास
राजस्थान में कुल 7 संभाग है। कहा जाता है कि अगर कोई पार्टी उदयपुर डिवीजन में लगभग 20 सीटें जीत जाती है, तो उसके लिए बहुमत आंकड़ा 101 छूना आसान हो जाता है। 2013 में उदयपुर संभाग की 28 सीटों में से बीजेपी 25 और कांग्रेस को मात्र दो सीटों पर जीत मिली थी। जबकि, एक सीट पर निर्दलीय जीता था। 2008 में कांग्रेस ने 20 सीट जीती थी और बीजेपी 6, जबकि 2 अन्य के खाते में गई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी यहां पर सबसे अधिक सीट जीती, फिर भी सत्ता से बाहर हो गई थी। हालांकि, सीटों का अंतर 2008 और 2013 की तरह नहीं था। 2018 में बीजेपी 14 और कांग्रेस को 11 और अन्य को तीन मिली थी।
‘किसान एवं खेती’ कमेटी में अरुण यादव भी
इस चिंतन शिविर में ‘किसान एवं खेती’ के मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट बनाने के लिए कांग्रेस ने एक कमेटी गठित की है। इस कमेटी में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर नाना पटोले, पंजाब नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा आदि को शामिल किया गया है।