Indore : कांग्रेस के महापौर उम्मीदवार संजय शुक्ला ने भाजपा के नगर निगम चुनाव के लिए जारी भाजपा के ‘दृष्टि और वचन पत्र’ की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इसमें कोई नया वादा नहीं किया गया। अधिकांश वादे कांग्रेस के दृष्टिपत्र से नक़ल कर लिए गए। भाजपा उम्मीदवार के वादों में वे वादे भी शामिल हैं, जो पिछले महापौर उम्मीदवार ने किए थे!
संजय शुक्ला ने कहा कि उन्हें लगता है कि भाजपा ने पुराने वादे दोहराकर इस बात को स्वीकार कर लिया कि उनके पूर्व महापौर अपने कार्यकाल में अपने ही किए वादे पूरे नहीं कर सके। भाजपा के पूरे घोषणा पत्र में एक भी ऐसा वादा नहीं है, जिसे नया कहा जाए! मकानों के नक़्शे पास करने का वादा इस बात का प्रमुख उदाहरण है। पिछली बार भी समयबद्ध ऑनलाइन नक़्शे पास करने का वादा किया गया था। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ! बल्कि, नक़्शे पास करने में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ, ये पूरा शहर जानता है। जबकि, कांग्रेस ने 500 वर्गफीट के नक़्शे मुफ्त में पास करने और इस काम को समयबद्ध पूरा करने का वादा किया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा उम्मीदवार ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं को भी अपने खाते में दर्ज करने की हास्यास्पद कोशिश की। इंदौर एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय बनाने में नगर निगम का क्या योगदान होता है, ये सब जानते हैं। इंदौर में मेट्रो ट्रेन योजना भी केंद्र सरकार की योजना है, न कि नगर निगम की। टीसीएस और इंफोसिस जैसी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियां भी नगर निगम की पहल से इंदौर नहीं आई! इंदौर महानगर के विस्तार में महू और पीथमपुर को जोड़ना राज्य सरकार की योजना है, न कि नगर निगम की।
जिस नगर निगम के कर्मचारियों ने रोज कमाने-खाने वाले गरीबों के हाथ ठेले हथौड़े से तोड़ दिए हों, उसी पार्टी के उम्मीदवार ने अपने दृष्टिपत्र में उनके लिए वेंडर मार्केट की घोषणा की। 20 साल नगर निगम पर राज करने वाली भाजपा के उम्मीदवार नर्मदा जल को घर-घर पहुंचाने का वादा किया था, उसका क्या हुआ। आज भी आधा शहर प्यासा है।
संजय शुक्ला ने कहा कि भाजपा ने भिक्षुक योजना का जो वादा किया, वो तो डेढ़ साल में निगम कमिश्नर ने काफी तक पूरा भी कर लिया, फिर भी उसे वादे में जोड़ दिया गया! नगर निगम की ‘दीनदयाल रसोई योजना’ तो शुरू होकर फ्लॉप भी हो गई, उसी फ्लॉप योजना को इस बार के वादों में जोड़ने का आशय समझ नहीं आया। शहर के अधिकांश बगीचों में ओपन जिम शुरू हुए सालभर से ज्यादा हो गया, उसे नए वादे के रूप में जोड़कर क्या सिर्फ वादों की संख्या बढ़ाई गई है!