मप्र में कमल ही रहेंगे Congress के नाथ…
आम चुनाव के पहले जबतक कुछ आसमानी सुल्तानी न हो मध्यप्रदेश को लेकर कांग्रेस हाईकमान ज्यादा फिक्रमंद नही है। हालांकि कांग्रेस रविवार को अपने बड़वाह विधायक सचिन बिरला को भाजपा में जाने से नही रोक पाई है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान की एक चुनावी सभा मे वे भाजपा में शामिल हो गए। यद्द्पि दमोह उपचुनाव में कांग्रेस की तगड़ी जीत के बाद यह अनुमान और भी पुख्ता हो गए हैं कि कमल ही रहेंगे प्रदेश कांग्रेस के नाथ।
पीसीसी चीफ के साथ विधानसभा में नेताप्रतिपक्ष का दायित्व भी नाथ के पास ही रहने वाला है।
दरअसल के नेता सूबे के संगठन में किसी किसिम की कलह नही चाहते है। पार्टी के दिग्गज नेताओं में समन्वय को दमोह जीत की बड़ी वजह माना जा रहा है।
कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के साथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का साथ रहना उन्हें सूबे के सियासी बबालों से मेहफूज रखे हुए है। कांग्रेस के आला नेताओं का मानना है कि जब तक भाजपा में नए और पुराने कार्यकर्ताओं में टकराव रहेगा जीत का रास्ता आसान होगा।
कांग्रेस का धीर – गम्भीर, घाघ और घुटा हुआ नेतृत्व उसका लाभ लेने की जुगत में है। जब तक बुजुर्ग नेता कमलनाथ और दिग्विजय की जोड़ी में समन्वय है कांग्रेस कलह से दूर नजर आएगी। थोड़ा बहुत सज्जन वर्मा के बयानों और अजय सिंह राहुल जैसे वरिष्ठ नेताओं की गतिविधियां अलबत्ता हलचल पैदा करती हैं। लेकिन बुजुर्ग नेताओं की समझाइश से मामले शांत हो जाते हैं।
युवा नेताओं के साथ अजय सिंह राहुल ज़रूर पीसीसी चीफ बनने की दौड़ में हैं। नेतृत्व की लड़ाई में कमलनाथ कैम्प से सज्जन वर्मा का नाम भी जोड़ दिया जाता है। लेकिन लीडरशिप के लिए निर्विवाद होने के साथ सर्वस्वीकार्यता भी ज़रूरी है।
पार्टी खासकर इन्ही दो मुद्दों पर नए नेता के चुनाव पर ज़ोर दे रही है। पार्टी में विवाद न हो इसलिए पीसीसी चीफ के साथ नेता प्रतिपक्ष के रूप में कमलनाथ ही दोनों पदों पर बने रहेंगे। इसे पार्टी में कमलनाथ की इच्छा से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
सचिन के रूप में कांग्रेस का एक और विकेट गिरा…
भाजपा ने कांग्रेस के एक और विधायक को उपचुनाव के चलते अपने पाले में लेकर एक विकेट गिरा दिया है। रविवार को एक सभा मे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मौजूदगी में बड़वाह विधायक सचिन बिरला ने कांग्रेस छोड़ने का एलान कर सबको चकित कर दिया है।
इसे मुख्यमंत्री की कांग्रेस तोड़क रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सभा मे बिरला ने कहा कि सीएम शिवराज सिंह ने उनके क्षेत्र विकास संबंधी योजनाओं को स्वीकार किया है।
ऐसे में तीन विधानसभा सीट में से दो कांग्रेस और एक भाजपा के पास थी। अगर कांग्रेस तीनो सीट जीत जाती है तो सीटों के गणित में कांग्रेस खाते में एक सीट फिर कम हो जाएगी।
भाजपा के चुनाव प्रबंधन पर नज़र…
प्रदेश भाजपा तीन विधानसभा जोबट, पृथ्वीपुर, रैगांव के साथ खंडवा लोकसभा उपचुनाव के प्रबंधन पर भरपूर ध्यान दे रही है। हमेशा की तरह पन्ना प्रभारी से लेकर क्षेत्रवार चुनाव प्रभारियों पर नज़र रख रही है। लेकिन अभी तक का जो फीडबैक है उसमे नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल का अभाव नज़र आ रहा है।
बड़ी संख्या में बूथ प्रभारी मैदान पर नही हैं। इसी तरह उन्हें चुनावी सभाओं की भी जानकारी नही मिलने के कारण बड़े नेताओं को सुनने वालों की संख्या में कमी भी आ रही है। नाराज़ नेताओं की मान मनौव्वल भी ठीक से नही हो रही है।
हो सकता है इस सबके बाद भी ज़्यादातर नतीजे भी भाजपा के पक्ष में आ जाएं, ऐसा हुआ तो परिणाम के बाद इस तरह की कमियों पर कोई चर्चा नही होगी। दरअसल दमोह चुनाव की भांति जोबट में भी कांग्रेस से आईं नेता सुलोचना रावत को उम्मीदवार बनाए जाने के कारण भाजपा की मैदानी टीम में पहले की तरह सक्रियता नही दिखाई दे रही है।
पृथ्वीपुर में भी हालात भाजपा उम्मीदवार शिशुपाल यादव के लिए जोबट से अलग नही दिख रहे हैं। रैगांव में भी बागरी परिवार की फूट और कार्यकर्ताओं का असंतोष फिलहाल भारी पड़ रहा है।
तीन विधानसभाओं में से रैगांव और खण्डवा लोकसभा को छोड़ पृथ्वीपुर और जोबट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। भाजपा को नुकसान होने की स्थिति में कार्यकर्ताओं के असंतोष जैसे मुद्दे मंडल, जिले और भोपाल कार्यालय से दिल्ली तक चर्चा का विषय रहेंगे।
कांग्रेस उम्मीदवार प्रचार में हर दिन खर्च कर रहे एक लाख रुपए, कमलनाथ की सभा पर 60 हजार का आया व्यय
भाजपा में मोदी की मिमिक्री…
मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार हैं और संगठन का नेतृत्व भी युवा है। ऐसे में जोश खरोश के साथ सपने भी हैं और उन्हें जमीन पर उतारने का समय भी है। ऐसे में वक्त भी उपचुनाव का आ पड़ा है।
लिहाजा चुनाव के मैदान में जब मेहनत की दरकार है तब संघर्ष के इस दौर में प्रदेश भाजपा कार्यालय का मंच मोदी और मिमिक्री का केंद्र भी बन गया। उपचुनाव जीतने के लिए- एक बूथ बीस यूथ की योजना के बीच एक कार्यकर्ता ने मंच पर अपनी प्रस्तुति में पीएम नरेंद्र मोदी की मिमिक्री कर डाली। इस पर फौरी तौर पर ठहाके लग गए लेकिन बाद में हास परिहास का यह विषय थोड़ा गम्भीर हो गया।
असल मोदी की भाषण शैली को लेकर जो मजाक कांग्रेसी करते रहे हैं वही लड़कपन में भाजपा के मंच से हो गया। इसका वीडियो कांग्रेस के हाथ लग गया। सोशल मीडिया पर खूब वाइरल हो गया।
बात निकली तो दूर तक गई और दिल्ली में भी इसकी चर्चा हुई। कार्यक्रम में मौजूद नेता अब डेमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। खास बात यह है कि मिमिक्री के दौरान मंच पर भाजपा के दिग्गज नेता उपस्थित थे।