
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण अंतिम चरण में: 25 नवंबर को शिखर पर फहरेगा ध्वज, पीएम मोदी और मोहन भागवत करेंगे ध्वजारोहण
अयोध्या: अयोध्या की पवित्र भूमि पर अब वह क्षण निकट है, जिसका इंतज़ार करोड़ों रामभक्तों ने सदियों से किया। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण अब पूर्णता की ओर अग्रसर है। भारत की आध्यात्मिक विरासत, सांस्कृतिक पहचान और स्थापत्य कला के इस अद्भुत संगम को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है।
*25 नवंबर को इतिहास रचेगा अयोध्या*
विश्व हिन्दू समाज के लिए 25 नवंबर 2025 का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करेंगे। यह कार्यक्रम मंदिर निर्माण की पूर्णता की औपचारिक घोषणा के रूप में आयोजित होगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ही 5 अगस्त 2020 को मंदिर के भूमि पूजन का कार्य किया था, और इसी वर्ष जनवरी में उन्होंने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भी संपन्न करवाई थी। अब मंदिर की पूर्णता के इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनना उनके सार्वजनिक जीवन की तीसरी और सबसे गौरवशाली भूमिका मानी जा रही है।
*भारतीय स्थापत्य का जीवंत प्रतीक*
अयोध्या का राम मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय नागर शैली के स्थापत्य का सर्वोत्तम उदाहरण बनकर उभरा है।
मंदिर के तीन तलों में 392 स्तंभ, 44 दरवाज़े और भव्य शिखर हैं, जिन पर बारीक नक्काशी की गई है।
गुजरात के प्रसिद्ध शिल्पकार चंद्रकांत भाई सोमपुरा और उनकी टीम ने इस भव्य मंदिर की संकल्पना को मूर्त रूप दिया है।
हर पत्थर, हर स्तंभ भारतीय शिल्पकला की परंपरा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
दीवारों पर उकेरी गईं कथाएं न केवल रामायण के प्रसंगों को जीवंत करती हैं, बल्कि भारत की विविध कलात्मक परंपराओं को भी जोड़ती हैं।
*राम दरबार की स्थापना- मंदिर का हृदय पूर्ण हुआ*
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने हाल ही में मंदिर के प्रथम तल पर ‘राम दरबार’ की स्थापना पूरी कर ली है।
यहां भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और भक्त हनुमान जी की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की गई हैं।
मंदिर के गर्भगृह में अब सतत राम नाम संकीर्तन और दीप प्रज्ज्वलन चल रहा है।
भक्तों का उत्साह चरम पर है- हर कोई इस भव्य स्थल के दर्शन का भाग्य पाना चाहता है।
*निर्माण यात्रा: संघर्ष से संकल्प तक*
श्रीराम जन्मभूमि का संघर्ष भारत के सामाजिक-धार्मिक इतिहास का एक लंबा अध्याय रहा है।
1949 में पहली बार रामलला की मूर्ति प्रकट होने से लेकर 1992 में विवादित ढांचे के ध्वंस और 2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय तक, यह यात्रा एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की कथा रही है।
9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ।
इसके बाद तेज़ी से निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ, और अब यह परियोजना अपने पूर्ण रूप में सामने आने जा रही है।
*विश्वस्तरीय धार्मिक पर्यटन केंद्र बन रहा अयोध्या*
राम मंदिर के निर्माण के साथ ही अयोध्या को आध्यात्मिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में भी अभूतपूर्व कार्य हुआ है।
शहर में अत्याधुनिक रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा, चार लेन सड़कें और भव्य सरयू घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है।
सरकार का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में हर वर्ष 5 से 7 करोड़ श्रद्धालु यहां दर्शन हेतु पहुंचेंगे, जिससे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को हज़ारों करोड़ का लाभ होगा।
*आस्था, कला और एकता का प्रतीक*
अयोध्या का यह मंदिर भारतीय संस्कृति की मूल आत्मा को पुनर्स्थापित करता है।
देश के हर राज्य से आए शिल्पकारों, इंजीनियरों और कार्यकर्ताओं ने मिलकर इसे बनाया है- यह श्रम, समर्पण और श्रद्धा की अनूठी मिसाल है।
मंदिर परिसर में प्रयोग किए गए बिना लोहे के पत्थर और पारंपरिक वास्तु सिद्धांतों पर आधारित निर्माण तकनीक इसे युगों तक स्थायित्व प्रदान करेगी।
*25 नवंबर- नई चेतना का आरंभ*
25 नवंबर को जब राम मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज लहराएगा, तब यह केवल एक धार्मिक घटना नहीं होगी,
बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना, राष्ट्रीय एकता और आत्मगौरव का प्रतीक क्षण होगा।
यह उस युग का आरंभ होगा, जिसमें अयोध्या फिर से विश्व को अपने प्रकाश से आलोकित करेगी।
*एक नजर में*
तिथि: 25 नवंबर 2025
कार्यक्रम: राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण
मुख्य अतिथि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सरसंघचालक मोहन भागवत
निर्माण शैली: नागर स्थापत्य शैली
मुख्य शिल्पकार: चंद्रकांत भाई सोमपुरा
विशेषता: लोहे का प्रयोग नहीं, लाल बलुआ पत्थर से संपूर्ण निर्माण
स्थापना: प्रथम तल पर राम दरबार पूर्ण
महत्त्व: भारतीय आस्था, कला, और सांस्कृतिक एकता का संगम
अयोध्या आज केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का जीवंत प्रतीक है, जहां हर पत्थर राम है, हर दिशा ‘जय श्रीराम’ कहती है।





