लगातार हादसे: क्या इंदौर अब हादसों से पहचाना जायगा ?

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लगातार हादसे: क्या इंदौर अब हादसों से पहचाना जायगा ?

स्वाति तिवारी की अपने शहर पर टिप्पणी 

Swati

अगर हम पिछले एक महीने को देखे तो हम पाएंगे कि इंदौर में लगातार हादसों का दौर चल रहा है।आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इंदौर में 3 फैक्ट्री में एकसाथ लगी भीषण आग, इलाके में हड़कंप,बीच शहर रहवासी भवन का धंस जाना ,चूहों का आतंक,भरे बाजार ट्रक का बेकाबू हो जाना क्या क्या नहीं हो रहा है इस सुन्दर से शहर में ? क्या इंदौर को किसी की नजर लग गई है? जिसके लिए हम शान से कहते हैं देश का  नंबर वन हमारा इंदौर अब अपने मूल्य ,अपनी  प्रशासनिक कसावट और  नेतृत्व क्षमता में पकड खोता जा रहा है .क्या जागरूक नागरिकों का यह मानवीय संवेदना से भरा शबे मालवा का सबसे ख़ास शहर कहीं नजरा तो नहीं गया ?

कभी कभी किसी शहर , किसी संस्था,  किसी परिवार  ,किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व और कृतित्व को अचानक नजर लग जाती है ,और उस बुरी नजर के  चलते उन्नति ,यशस्वी कार्यशैली प्रभावित होकर उसके विपरीत होने लगता है तो हम कहते हैं कि अरे उसे तो नजर लग गई है – अर्थात जब किसी के सोच, स्वभाव और सम्पर्क से किसी के  ऊपर नकारात्मक असर पड़ जाता है तो इसे हम नजर लगना कहते हैं।
नजर लगने से हमारे स्वास्थ्य, सोच और प्रगति पर कुछ क्षण के लिए रुकावट आ जाती है। यह रुकावट काफी तेज होती है और एकदम से बिना कारण सब रोक देती है…ज्योतिष में नजर लगना या नजरदोष को काफी माना जाता है. नजर लगने को नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर भी देखा जाता है।
ऐसा ही कई मामले लगातार इन दिनों इंदौर में हो रहे है। तब स्वाभाविक रूप से यह सोचने में आता है कि क्या इंदौर को किसकी नजर लग गई? यह वही इंदौर है जिसने लगातार आठवें वर्ष भारत के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब बरकरार रखा है।  पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इंदौर  को स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में भी सबसे आगे रखा । इसमें देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर (Indore) ने फिर इतिहास रचते हुए नंबर वन का तमगा हासिल किया है। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में इंदौर ने 47 शहरों को पछाड़ा। उसे 200 में से 200 अंक मिले।भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक महानगर है। जनसंख्या की दृष्टि से यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है। अपनी मालवी मिठास का शहर नमकीन और मिठाइयों का शहर ,कपड़ों और ज्वेलरी का शहर .बे खौफ रात देर तक जागता शहर ,  इस शहर की एक अच्छी विकसित परिवहन प्रणाली है। । बावजूद इन सब के इंदौर जो व्यावसायिक राजधानी होने के साथ साथ मालवा की सांस्कृतिक विरासत को सहेजे हुए संस्कारित शहर माना जाता हैं, वहां एक दिन एक काले साए की तरह एक खबर फैलती है, इंदौर के राजा रघुवंशी की हनीमून पर हत्या हो जाने की खबर और इस खबर का सबसे बुरा बदनाम पक्ष आरोपी उसकी नव विवाहित पत्नी सोनम .पूरी दुनिया ने इंदौर की इस घटना को देखा सुना और कोसा। देश के नेशनल मीडिया ने इस खबर को लगातार इस तरह चलाया मानो दुनिया में और कोई खबर ही नहीं रही उन दिनों।बस नजर लगने की चर्चा यही से शुरू करूं तो इंदौर की कुण्डली में ग्रहण इसी से लगा और फिर नवजात बच्चों की उंगलियों को प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में चूहे खा गए और बाद में उनकी मौत हो गई .

 मध्यप्रदेश के इंदौर में एमवाय अस्पताल में चूहों के मासूमों को काटे जाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि अब इंदौर एयरपोर्ट पर चूहे का आतंक सामने आया है। इंदौर एयरपोर्ट पर एक पैसेंजर को चूहे ने काट लिया। चूहा पैसेंजर के पेंट में घुस गया और काट लिया। चूहे के पैसेंजर को काटे जाने की घटना से हड़कंप मच गया। हैरानी की बात ये है कि पैसेंजर को इंदौर एयरपोर्ट पर मेडिकल फैसिलिटी नहीं मिली जिसके कारण उसे बेंगलुरू पहुंचने पर रेबीज का इंजेक्शन लगवाना पड़ा।

इंदौर में सांप पकड़ने गए आरक्षक की कोबरा के काटने से मौत,पुलिस की प्रथम बटालियन में सांप पकड़ने के दौरान एक आरक्षक की कोबरा सांप के काटने से मौत हो गई। आरक्षक संतोष चौधरी पहले भी कई बार सांप पकड़ चुके थे। उस काली  रात को कुछ पुलिसकर्मियों को अस्तबल में सांप दिखाई दिया था। उन्होंने आरक्षक संतोष चौधरी को सूचना दी। वे मौके पर पहुंचे और सांप को पकड भी लिया, लेकिन इस बीच संतोष का ध्यान चूका और सांप ने उनकी उंगली पर डस लिया। यहाँ उल्लेखनीय यह है की इतने बड़े महानगर में सांप का इलाज केवल एम् वाय अस्पताल में है ,एक मात्र एक अस्पताल में .इलाज के समय पर ना मिलने से हुई ये मौते, बीच शहर में हुई है तो आसपास को दूरदराज की कालोनियों और ग्रामीण क्षेत्रों पर तो क्या ही हाल हालात हैं .यह इलाज  हर अस्पताल में सरकार को निशुल्क देना चाहिए सरकारी हो या प्रायवेट .

सड़कों को विकास और फ्लाई ओवर के नाम पर तहस नहस कर दिया गया है .बीमार को अस्पताल पंहुचाना और दुर्घटनाओं को रोक पाना इस हालात में कैसे संभव है इसकी कोई चिंता नहीं है .सड़क दुर्घटनाएँ और अनियंत्रित वाहन
​तेज़ रफ़्तार और लापरवाही: शहर में तेज़ रफ़्तार से चलने वाले वाहनों, खासकर भारी वाहनों (Heavy Vehicles) की लापरवाही से बड़ी दुर्घटनाएँ हुई हैं।​शराब पीकर ड्राइविंग (Drunk Driving): हाल ही में हुई एक बड़ी दुर्घटना में, जिसमें कई लोगों की मौत हुई, ट्रक चालक के नशे में होने की बात सामने आई थी। यह दिखाता है कि नशे में ड्राइविंग एक बड़ा खतरा बन चुकी है।

​समय-सीमा का उल्लंघन: शहर में भारी वाहनों के प्रवेश के लिए निर्धारित समय (जैसे रात 11 बजे के बाद) का उल्लंघन करना भी दुर्घटनाओं का एक कारण है, जिस पर प्रशासन को ध्यान देने की ज़रूरत है।

​हेलमेट/सुरक्षा नियमों की अनदेखी: एक अध्ययन के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले दोपहिया वाहन चालकों में से अधिकांश ने हेलमेट नहीं पहना था, जो सुरक्षा नियमों के प्रति लोगों की लापरवाही को दर्शाता है। इन पर कौन ध्यान देगा ? आज फिर एक छात्रा नेमावर रोड पर दुर्घटना का शिकार हुई है .

शहर के नेमावर रोड स्थित पालदा क्षेत्र में लगी आग से दवा की पैकेजिंग सामग्री के कारखाने और चॉकलेट के कारखाने में और खिलौना फैक्ट्री में लगी आग ने जन सामान्य के मन में यह सवाल खड़ा कर दिया है कि शहर अपना नियंत्रण खोने लगा हैं .व्यवस्थाएं अब उतनी चाक चौबंद नहीं रही जितनी होनी चाहिए .

उज्जवल छवि वाला देश का नंबरवन यह शहर हादसों से पहचाना जा रहा है .एक यात्रा के दौरान एक दूरस्थ प्रदेश में यह बताने पर  कि हम इन्दोरी है उन अपरिचित ने  व्यंजना में पूछा अच्छा हनीमून मर्डर मिस्ट्रीवाला इंदौर .लगा जैसे किसी ने कांच मंदिर शीश मंदिर वाले अन्नपूर्णा के शहर पर माँ अहिल्या के शहर पर पत्थर फैंका हो . उनके शब्द  मुझे देर तक और दिलपर टूटी कांच की किरचों से चुभते रहे ! दुखद हैं ये सब प्रसंग,बड़े होते शहर में घटनाएँ होती हैं पर इंदौर में हम इनकी कल्पना नहीं कर पाते हैं .  सच यह है कि साफ़ सुथरे,सामाजिक परिवेश वाले इस शहर को  नम्बर वन इंदौर ही रहने दिया जाय मिनी मुंबई कहते कहते वैसा ही  जो सामाजिक मूल्यों के विरुद्ध हो, जैसे चोरी, डकैती, या हत्या,अपराध की तरफ जाने से बचाना होगा.

व्यवस्थाओं पर दाग लगने के इस क्रम में शहर के व्यस्ततम मार्ग पर,प्रतिबंधित मार्ग पर एक ट्रक राक्षस बन कर जाने कितने जीवन निगले के लिए भागने लगा। इस हादसे में भी तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग गंभीर घायल हो गए। आखिर इन सब हादसों के लिए कौन है जिम्मेदार ? कौन है उन कुतरे जीवन को लीलने का जिम्मेदार ? और बीच शहर में एक जर्जर भवन सबकी  नजरों के सामने खड़ा था ,और अचानक एक दिन भरभराकर गिर गया .कौन है इसका जिम्मेदार ? मुआवजे बाँट देने से , चांज बैठा देने से या दो चार निचले स्तर के सस्पेंशन इसका जवाब नहीं हो सकते.
इंदौर के सौन्दर्य को ,इंदौर के चमकते उज्जवल चेहरे को लगातार बुरी नजर का साया घेर रहा है। समय रहते इस ग्रहण को हटाना चाहिए। ऐसे में प्रशासन की दृढ़ता और मजबूत नेतृत्व की मांग यह शहर कर रहा है। बल्कि शायद अब शहर एक नए मजबूत नेतृत्व की दिशा में सोचने को बाध्य कर रहा है .