सड़क विकास निगम की सडकों का टोल वसूलने ठेकेदारों की रुचि नहीं, पांचवी बार बुलाया टेंडर
भोपाल
मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम की सड़कों पर निकलने वाले वाहनों से टोल की वसूली का ठेका लेने में ठेकेदार रुचि नहीं दिखा रहे है। निगम पांच मार्गो पर बार-बार प्रस्ताव आमंत्रित कर रहा है। अब इन मार्गो पर दो से पांचवी बार भी टेंडर जारी कर ठेकेदारों को आमंत्रित किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में शाजापुर-दुपाड़ा-कानड़-पचलाना और तिलवारा-नारगांव-गोटेगांव मार्ग पर उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह करने के लिए प्रस्ताव बुलाए गए है। यहां अगले 24 माह के लिए शुल्क वसूली होना है अैर इससे 366 लाख रुपए का शुल्क एक साल में मिलना संभावित है। इसके लिए ठेकेदारो को 3 लाख 66 हजार रुपए की धरोहर राशि जमा कर यह ठेका आबंटित किया जाएगा। सड़क विकास निगम चार बार इसके लिए प्रस्ताव बुला चुका है लेकिन अब तक एक भी कंपनी या ठेकेदार यह काम लेने आगे नहीं आया है। अब पांचवी बार इसके लिए टेंडर जारी का प्रस्ताव बुलाया गया है
इसी तरह मध्यप्रदेश में परसोना-महुआ-चरखा मार्ग पर उपभोक्त शुल्क संग्रहण के लिए 24 माह के लिए ठेका दिया जाना है। इससे ठेकेदार को एक साल में 513 लाख रुपए का शुल्क मिलना संभवित है इस ठैके को लेने के लिए धरोहर राशि के रुप में 5 लाख 13 हजार रुपए जमा कराए जाने है दो बार इसके टेंडर जारी हुए लेकिन कोई इसे लेने आगे नही आया तो अब तीसरी बार फिर टेंडर जारी किया गया है। मलहेरा-लोंडी-चांडला मार्ग पर 24 माह के लिए उपयोगकर्ता शुल्क संग्रहण का काम करने ठेका दिया जाना है। दो बार इसके टेंडर जारी होंने पर कोई नहीं आया तो अब तीसरी बार प्रस्ताव बुलाए गए है इससे ठेकेदार को 159 लाख रुपए सालाना मिलने का अनुमान है।
तिलवारा- चारगांव-गोटेगांव पर मेें 24 माह के लिए उपयोगकर्ता शुल्क संग्रहण का ठेका दिया जाना है। इससे सालाना 293 लाख रुपए प्राप्त होना संभावित है लेकिन इस मार्ग पर चार बार में एक भी प्रस्ताव नहीं आया तो अब पांचवी बार प्रस्ताव बुलाए गए है। मध्यप्रदेश के गोगापुर-महिदपुर-घोसला मार्ग पर उपभोक्ता शुल्क संग्रहण के लिए 24 माह का ठेका दिया जाना है इससे 101 लाख रुपए सालाना शुल्क वसूली होना है। लेकिन पहले टेंडर पर कोई तैयार नहीं हुआ तो अब दूसरी बार इसके लिए टेंडर जारी किया गया है।
इन सभी मार्गो पर टोल वसूली के लिए आॅनलाईन टेंडर भरा जाना है। लेकिन इन मार्गो पर वाहनों की आवाजाही कम होंने के कारण ठेकेदारों को इतना लक्ष्य पूरा करना मुश्किल दिख रहा है इसलिए इन टोल वसूली के लिए निजी कंपनियां, ठेकेदार आगे नहीं आ रहे है।