अफसरों की लापरवाही से काली सूची में डाले गए ठेकेदार दुबारा निविदाओं में ले रहे भाग, ठेके हो रहे प्रभावित

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अफसरों की लापरवाही से काली सूची में डाले गए ठेकेदार दुबारा निविदाओं में ले रहे भाग, ठेके हो रहे प्रभावित

 

 

भोपाल : प्रदेश में निविदा स्वीकृत होने के बाद भी अनुबंध नहीं करने वाले ठेकेदारों की अमानत राशि राजसात कर उन्हें काली सूची में डालने के निर्देश है लेकिन जलसंसाधन विभाग के कई कार्यपालन यंत्री ऐसे ठेकेदारों की जानकारी प्रमुख अभियंता कार्यालय को नही दे रहे है जिसके चलते काली सूची में डाले गए ऐसे ठेकेदार दुबारा विभाग के ठेकों में शामिल हो रहे है और इससे पूरी ठेका प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।

जलसंसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता शिशिर कुशवाहा ने प्रदेश के सभी मुख्य अभियंताओं को निर्देश जारी किए है कि वे प्रक्रिया का पूरा पालन करे और काली सूची में डाले गए ऐसे ठेकेदारों की जानकारी उच्च स्तर पर विभाग को दें ताकि अगली ठेका प्रक्रियाओं में ऐसे ठेकेदारों के शामिल होने से प्रक्रिया बाधित नहीं हो सके। विभाग ने इस संबंध में पहले से निर्देश जारी कर रखे है। ऐसे ठेकेदार जो निविदा स्वीकृत होने के बाद अनुबंध नहीं करते है और काम करना शुरु नहीं करते है। साथ ही ऐसे ठेकेदार जो निविदा फाइनल होंने के बाद निविदा तो कर लेते है लेकिन काम शुरु नहीं करते है। वहीं ऐसे ठेकेदार निविदा फाइनल होने के बाद अनुबंध भी कर लेते है और कार्य प्रारंभ कर देते है लेकिन बीच में बंद कर देते है या उनकी काम करने की गति काफी धीमी है। वहीं कार्य संतोषजनक गति से चल रहा हो लेकिन ठेकेदार अथवा विभाग के नियंत्रण से बाहर की स्थिति उत्पन्न हो गई हो या भूमि के अर्जन की समस्या उत्पन्न हो गई हो।

अनुबंध के अनेक वर्षो पूर्व होंने , कार्य अपूर्ण रहने या अनुबंध की मुख्य मात्रायें पूरी हो गई हो और ठेकेदार फाइनल करना चाहता हो या बचे कार्य की निविदा विभाग आमंत्रित करना चाहता हो तो ऐसे मामलों में प्रमुख अभियंता कार्यालय को जानकारी देना होगा।

निविदा स्वीकृत होने के उपरांत ठेकेदार द्वारा अनुबंध नहीं किए जाने पर कार्यपालन यंत्री द्वारा उसकी अमानत राशि राजसात करने हेतु निविदा प्रकोष्ठ को लिखा जाता है। इसके बाद अमानत राशि राजसात कर संबंधित कार्यपालन यंत्री ठेकेदार को काली सूची में डालने और निलंबन की कार्यवाही करने के लिए प्रमुख अभियंता निर्देशित करते है। लेकिन देखने में यह आ रहा है कि कार्यपालन यंत्री यह जानकारी समय पर भेज नहीं रहे है जिसके चलते काली सूची में डाले गए ठेकेदार दुबारा निविदाओं में भाग लेकर ठेके हासिल कर लेते है। बाद में काली सूची की जानकारी आने पर उन्हें बाहर करना पड़ता है और निविदा कार्य प्रभावित होता है। इसलिए इसको लेकर सख्ती से निर्देश दिए गए है कि कार्यपालन यंत्री काली सूची में डाले जाने वाले ठेकेदारों और काम नहीं करने वाले ठेकेदारों की जानकारी समय पर प्रमुख अभियंता को उपलब्ध कराए ताकि आगे उन्हें निविदाओं से बाहर रखा जा सके।