Controversial Book Case : लाइब्रेरी में विवादित किताब मामले में प्रिसिंपल को सुप्रीम कोर्ट से राहत, FIR निरस्त!

लाइब्रेरी में किताब पहले से रखी थी, पुलिस ने बगैर जांच के सीधे केस दर्ज किया!

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Controversial Book Case : लाइब्रेरी में विवादित किताब मामले में प्रिसिंपल को सुप्रीम कोर्ट से राहत, FIR निरस्त!

 

Indore : शासकीय लॉ कॉलेज की लाइब्रेरी में एक विवादित किताब ‘सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति का लेखन’ मिली थी। इस मामले में जांच के बाद प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई की गई। पुलिस में शिकायत को लेकर कॉलेज प्रबंधन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद प्रिसिंपल ने एफआईआर रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रिसिंपल प्रो इनामुर्रहमान को राहत प्रदान की। प्रिंसिपल 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

प्रिंसिपल के अधिवक्ता अभिनव धनोतकर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करने के लिए हाईकोर्ट की जमकर खिंचाई की। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि यह मामला सिलेबस के बारे में है। सुनवाई के दौरान गवई ने टिप्पणी की, कि राज्य ऐसे मामले में उत्पीड़न करने के लिए इतना उत्सुक क्यों है। वह (प्रो.इनामुर्रहमान) पहले से ही अग्रिम जमानत पर बाहर थे। यह पुस्तक तो सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी में भी मिल सकती है।

न्यायमूर्ति गवई ने पूछा कि राज्य ऐसे मामले में एक अतिरिक्त महाधिवक्ता को पेश करने में क्यों दिलचस्पी रखता है? वह भी चेतावनी पर! जाहिर है, यह उत्पीड़न का मामला लगता है। किसी को उसे (याचिकाकर्ता को) परेशान करने में दिलचस्पी है। हम आईओ (जांच अधिकारी) के खिलाफ नोटिस जारी करेंगे।

 

राज्य को कैविएट दाखिल करने में दिलचस्पी क्यों

पिछले दिनों प्रिंसिपल ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें रिटायरमेंट की बात कहते हुए एफआईआर निरस्त करने की मांग की थी। याचिका में यह भी उल्लेख किया कि लाइब्रेरी में किताब पहले से रखी हुई थी। पुलिस ने बगैर जांच किए सीधे केस दर्ज कर लिया। रिटायरमेंट के बाद की सुविधाओं पर इस एफआईआर से असर होगा। पुलिस ने इस पर आपत्ति लेते हुए कहा था कि एफआईआर पर रोक लगने से पूरी जांच प्रभावित हो जाएगी। पुलिस इस बारे में जल्द ही चालान पेश करने वाली है।

 

क्या था यह मामला

गौरतलब है कि साल 2022 के दिसंबर में शासकीय लॉ कॉलेज के शिक्षकों पर धार्मिक कट्टरता फैलाने का आरोप लगा था। इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा। यहां के छात्रों ने भंवरकुआं थाने में आवेदन दिया, इसके साथ इससे जुड़े सबूत भी दिए। मामले में किताब के लेखक डॉ फरहत खान, शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के प्राचार्य इनामुर्रहमान, कॉलेज के प्रोफेसर डॉ मिर्जा मोईज के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की गई। पुलिस को दिए आवेदन के साथ किताब ‘सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति का लेखन’ संलग्न की गई। आरोप लगाया गया कि किताब में लेखक द्वारा जानबूझकर असत्य एवं बिना किसी साक्ष्य के आधार पर हिन्दू धर्म के विरुद्ध नितांत झूठी टिप्पणियां की है। इस विषय के अंतर्गत पुस्तक को शासकीय विधि महाविद्यालय के मुस्लिम शिक्षकों द्वारा जानबूझकर छात्रों को रेफर किया गया।