2 IAS अफसरों का विवाद, शासन – प्रशासन की धूमिल होती छबि , क्या CM सख्त एक्शन लेंगे!

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2 IAS अफसरों का विवाद, शासन – प्रशासन की धूमिल होती छबि , क्या CM सख्त एक्शन लेंगे!

सुरेश तिवारी की त्वरित टिप्पणी 

दो दिन से मीडिया में सामान्य प्रशासन विभाग और जेल विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी और जेल विभाग के सचिव ललित दाहिमा में विवाद की ख़बरें आम हैं। ये खबरें मीडिया की फ्रंट पेज सुर्खियां बनी है।

2 IAS अफसरों का विवाद, शासन - प्रशासन की धूमिल होती छबि , क्या CM सख्त एक्शन लेंगे!

ऐसा बहुत कम होता है कि IAS अफसरों में विवाद की ख़बरें रिसकर बाहर आए। लेकिन, अगर आप पुराना रिकॉर्ड देखेंगे तो आप पाएंगे की जिन ब्यूरोक्रेट्स के नाम विवादों में पहले भी आते रहे हैं उनमें प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी का नाम अग्रणी रहा है।

ताजा मामला भी मनीष रस्तोगी से जुड़ा है। बता दे कि मनीष भारतीय प्रशासनिक सेवा में सीधी भर्ती के 1994 बैच के अधिकारी हैं जबकि ललित दाहिमा 2008 बैच के प्रमोटी IAS अधिकारी हैं।

बाहर आने वाली ख़बरें बताती है कि इन दोनों अफसरों में पहले बहस हुई, फिर दोनों नजदीक भी आ गए। जब दोनों पास आए तो कुछ तो ऐसा हुआ ही होगा जिसकी इस स्तर के अफसरों से उम्मीद नहीं की जा सकती। निश्चित रूप से इसमें गलती वरिष्ठ अधिकारी की ही मानी जानी चाहिए।

 

बताते हैं कि इस विवाद के समय यदि जेल विभाग के उप सचिव कमल नागर मौजूद नहीं होते और बीच बचाव नहीं करते तो ऐसा कुछ घटित हो जाता जो मध्य प्रदेश के प्रशासनिक इतिहास में धब्बा बन जाता। मध्य प्रदेश शासन और प्रशासन को कमल नागर का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उन्होंने प्रदेश को उस बदनामी से बचा लिया वरना कुछ भी हो सकता था।

बाद में ललित दाहिमा ने चीफ सेक्रेटरी वीरा राणा से मुलाकात की और उन्हें अपने साथ हुए घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने अपनी शिकायत में यह भी लिखा कि वे प्रमुख सचिव रस्तोगी के साथ काम नहीं कर सकते। ऐसे में उनका यहां से तबादला कर दिया जाए। बताते हैं कि ललित दाहिमा ने मुख्यमंत्री से भी इस मामले में शिकायत की है।

मनीष रस्तोगी का 30 साल की प्रशासनिक नौकरी का इतिहास देखें तो हम पाएंगे कि वे पूर्व में भी कई अधिकारियों के साथ विवाद में चर्चित रहे हैं। उनका जून 2022 का एक विवाद विशेष रूप से प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय आज भी बना रहता है। मनीष रस्तोगी उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव थे। उनका 2011 बैच की IAS नेहा मारव्या के साथ विवाद हुआ था। बाद में नेहा मारव्या ने अपने साथ हुए व्यवहार को अफसरों के व्हाट्सएप ग्रुप में लिखकर पोस्ट कर दिया था। इस चैट मामले ने तूल पकड़ लिया था। हालांकि इसका खामियाजा नेहा को बाद में भुगतना पड़ा और उन्हें कभी भी अच्छी पोस्टिंग नहीं मिली। यहां तक की एक IAS अधिकारी के नाते उनके सम्मान, साधन और सुविधाओं से भी मोहताज किया गया।

प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी दो-ढाई महीने पहले भी चर्चा में आए थे, जब नई सरकार बनने के बाद मोहन सरकार ने सबसे पहले उन्हें न सिर्फ हटाया वरन उन्हें 2 महीने तक कोई पोस्टिंग ही नहीं दी। यह कार्रवाई सामान्यतः प्रशासनिक गलियारों में इंसल्टिंग तौर पर ली जाती है। बाद में उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग में प्रमुख सचिव बनाया गया। बाद में उन्हें जेल विभाग भी दिया गया। दो प्रभार मिलने के बाद उन्होंने फिर अपने रंग दिखाना शुरू कर दिए।

अब इस ताजा मामले की बॉल मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के कोर्ट में हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में किस अफसर पर गाज गिरती है और सरकार भविष्य में इस तरह के विवाद ना हो, इसके लिए क्या कदम उठाती है?