Controversy in MP DPR : खबरें बनाने वाले जब खबर बने तो सरकार ने गंभीरता समझी, रद्द हो सकता है राप्रसे के अधिकारी जायसवाल का आदेश

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Controversy in MP DPR: खबरें बनाने वाले जब खबर बने तो सरकार ने गंभीरता समझी, रद्द हो सकता है राप्रसे के अधिकारी जायसवाल का आदेश

कीर्ति राणा की विशेष रिपोर्ट

जनसंपर्क आयुक्त दीपक सक्सेना के साथ तीन सत्रों में हुई चर्चा के बाद मप्र जनसंपर्क अधिकारी संघ ने बेमुद्दत कलमबंद हड़ताल कल रात वापस ले ली है। सरकार की इमेज बनाने वाले अधिकारियों की इस हड़ताल को मप्र और छग के पत्रकार संगठनों द्वारा दिए गए समर्थन से सरकार को इस आंदोलन की गंभीरता समझ आ गई। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गणेश जायसवाल का आदेश रद्द करने के अलावा कोई अन्य विकल्प भी नहीं बचा है।
जनसंपर्क विभाग के भोपाल सहित सभी जिलों के अधिकारी गुरुवार से बेमुद्दत काम बंद हड़ताल पर चले गए थे। दो साल में दूसरी बार ये हालात बने, इससे पहले खंडवा में पीआरओ ब्रजेंद्र शर्मा को बिना किसी दोष के निलंबित करने पर जनसंपर्क विभाग के अधिकारी हड़ताल पर चले गए थे।

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स्थगित की गई यह हड़ताल सरकार की उन नीतियों के विरोध में है, जिनमें विभागीय पदों पर प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को बैठाए जाने का निर्णय शामिल है।

इस आदेश के कारण भड़की थी आग
राज्य प्रशासनिक सेवा (2012) के अधिकारी गणेश कुमार जायसवाल, जो वर्तमान में उपायुक्त राजस्व नर्मदापुरम संभाग हैं, को अपर संचालक जनसंपर्क संचालनालय भोपाल में पदस्थ किया गया है।
शिवराज सरकार और वर्तमान मोहन सरकार के दौरान भी संचालक के विभागीय पद पर IAS अधिकारी रोशन सिंह, अंशुल गुप्ता, IPS आशुतोष प्रताप सिंह को पदस्थ कर दिया था। जबकि इस विभागीय पद पर विभाग के ही वरिष्ठ अधिकारी लाजपत आहूजा, सुरेश तिवारी और अनिल माथुर पदस्थ रहे थे।
बताया गया है कि जनसंपर्क विभाग की “कैडर आधारित संरचना” लगातार कमजोर की जा रही है और विभागीय पदों पर बाहरी अधिकारियों की नियुक्तियाँ बढ़ाई जा रही हैं। सीपीआर सक्सेना से मिले आश्वासन के बाद हड़ताल स्थगित कर दी है। अधिकारी, तृतीय-चतुर्थ कर्मचारी और वाहन चालक शुक्रवार से काम पर लौट आएंगे। विरोध कर रहे कर्मचारियों ने स्पष्ट कहा है कि डायरेक्टर, जनसंपर्क का पद भी विभागीय कैडर का है, इस पद पर किसी बाहरी अधिकारी की नियुक्ति स्वीकार नहीं की जाएगी।
इसी के विरोध में आज पूरे प्रदेश में कामकाज ठप रहा। प्रेस नोट, सरकारी सूचनाएँ, मीडिया समन्वय और दैनिक मुख्यालयीय कार्य प्रभावित हुए। मुख्यालय, संभाग और जिलों की हर शाखा में फाइल मूवमेंट, प्रेस नोट, कवरेज, फोटो रिलीज सब कुछ बंद है।
उप संचालक पुष्पेंद्र वास्केल, संभागीय जनसंपर्क कार्यालय इंदौर ने बताया सुबह राज्यपाल के एक कार्यक्रम का कवरेज किया। बाद में हड़ताल के आह्वान के तहत इंदौर कार्यालय में कोई कार्यक्रम-बैठक अटैंड नहीं की है।
जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह विरोध केवल तत्कालीन पदस्थापना को लेकर नहीं है, बल्कि भविष्य की उस स्थिति को लेकर भी है जिसमें विभाग पूरी तरह प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नियंत्रण में चला जाएगा।

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