जी20 के लोगो को लेकर विवाद

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जी20 के लोगो को लेकर विवाद

खाद्य ऊर्जा सुरक्षा और कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य के मुद्दे पर केन्द्रित दुनिया के 20 बड़े देशों के सम्मेलन जी20 की अध्यक्षता भारत करने जा रहा है। इसी सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इंडोनेशिया के बाली शहर में हैं। 16 नवंबर 2022 को जी20 शिखर सम्मेलन के समापन पर इस संगठन की अध्यक्षता का दायित्व आधिकारिक रूप से भारत को सौंपा जाएगा। इसका मतलब यह है कि हमारे प्रधानमंत्री 20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों वाले इस शिखर सम्मेलन के प्रमुख होंगे, जो वर्तमान में दुनिया का एक बहुत महत्वपूर्ण संगठन बन चुका है। जी20 देशों में भारत के अलावा चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, कोरिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

जी20 के लोगो को लेकर विवाद

शिखर सम्मेलन के समापन पर भारत को इस संगठन की अध्यक्षता सौंपी जाएगी, इसके पहले पिछले सप्ताह भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 देशों के शिखर सम्मेलन का लोगो जारी किया। यह लोगो दुनियाभर में पसंद किया गया, लेकिन भारत में इसे लेकर कुछ विरोधी नेता सवाल खड़े कर रहे हैं।

सन 2023 में जी20 देशों का शिखर सम्मेलन भारत में होने वाला है और प्रधानमंत्री उस शिखर सम्मेलन को लेकर बेहद उत्साही भी हैं। उनके उत्साह को इसी बात से जांचा जा सकता हैं कि 14 नवंबर 2022 को जब वे बाली के लिए रवाना हुए, तब उन्होंने अपने साथियों से कहा था कि इस सम्मेलन के सभी सदस्यों और आमंत्रित लोगों को मैं व्यक्तिगत रूप से निमंत्रित करूंगा। इस सम्मेलन में दुनियाभर के नेता आर्थिक व्यवस्था के अलावा स्वास्थ्य, ऊर्जा, पर्यावरण और खेती जैसे विषयों पर भी गहन मंत्रणा करेंगे। अभी बाली में प्रधानमंत्री जिन तीन मुद्दों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, वह है – खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, डिजिटल परिवर्तन और जनस्वास्थ्य।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 के लोगो, वेबसाइट और थीम का अनावरण करते हुए कहा था कि भारत के पास जी20 की अध्यक्षता ऐसे समय में आ रही हैं, जब पूरी दुनिया में संकट हैं और कई देश अराजकता के माहौल से जूझ रहे हैं। कोविड-19 के बाद दुनियाभर के देशों में आर्थिक अनिश्चितता का दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में हमने जिस थीम और लोगो को पसंद किया है, वह है एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य।

जी20 के लोगो को लेकर दुनिया में कहीं कोई विरोध नहीं है। अगर कहीं विरोध है, तो वह भारत में ही है और वह भी कुछ विरोधी नेताओं की तरफ से। विपक्ष के नेताओं का मानना है कि यह लोगो भले ही जी20 जैसे संगठन का हो, लेकिन यहां भी हमारे प्रधानमंत्री ने अपना राजनैतिक एजेंडा चला दिया है। लोगो में 20 के शून्य की जगह पृथ्वी बनाई गई है और वह पृथ्वी कमल के फूल पर टिकी हुई है। इस कमल के फूल में सात पंखुड़ियां है। विपक्ष का कहना है कि यह लोगो भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल के निशान से काफी मिलता-जुलता है। प्रधानमंत्री को इस पर विचार करना चाहिए था, क्योंकि वे भारत के प्रधानमंत्री हैं, न कि किसी राजनैतिक पार्टी के। जी20 शिखर सम्मेलन में बीजेपी के चुनाव चिन्ह को इस तरह प्रमोट नहीं किया जाना चाहिए था।

कांग्रेस के एक दिग्गज नेता ने ट्वीट किया कि 70 साल पहले जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस के झंडे में स्वस्तिक का चिन्ह इसलिए खारिज कर दिया था कि वह एक धर्म विशेष का चिन्ह है, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री कोई भी मौका पार्टी को प्रमोट करने से नहीं चूकते।

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प्रतिरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी20 के लोगो की सराहनाह करते हैं। उनके कहना है कि कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। यह भारत की सभ्यता और संस्कृति का प्रतिनिधि है। 1857 में आजादी की पहली लड़ाई के वक्त क्रांतिकारी अपने हाथ में कमल का फूल लेकर ही संदेश दिया करते थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि यह लोगो दुनिया की आकांक्षाओं और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता हैं। जी20 के लोगो में कमल का फूल आशावाद का प्रतीक है। कमल एक ऐसा पुष्प हैं, जो विपरीत से विपरीत हालात में भी कीचड़ के ऊपर होने पर भी खिलता है। उसकी सात पंखुड़ियां दुनिया के सात महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

जी20 में शामिल देश प्रतिवर्ष शिखर सम्मेलन का आयोजन करेंगे। यह अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए बनाया गया एक मंच हैं। 1909 में पिट्सबर्ग शिखर सम्मेलन में शामिल नेताओं ने इस तरह के मंच की जरूरत महसूस की थी। इस सम्मेलन में दुनियाभर के 20 प्रमुख देश अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते हैं। जिनमें व्यापार और निवेश, विकास, जलवायु परिवर्तन, रोजगार, ऊर्जा, आतंकवाद, शरणार्थी समस्या जैसे मुद्दों पर चर्चा करके सहमति बनाते हैं। शिखर सम्मेलन की हर साल एक अर्धवार्षिक बैठक भी होती हैं। ग्रुप ऑफ 20 यानी जी20 ग्रुप के देश परस्पर सहयोग के लिए बातचीत को महत्वपूर्ण मानते हैं। बाली में चल रहे शिखर सम्मेलन में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का मुद्दा भी एक प्रमुख विषय हैं। किसी भी देश को इसकी अध्यक्षता देने के पहले आम सहमति बनाई जाती है और उसी आधार पर देश का चयन होता है। पहले जी20 ग्रुप की अध्यक्षता 6 महीने के लिए ही दी जाती थी, लेकिन 2011 के बाद यह अध्यक्षता 1 वर्ष के लिए होती है।

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वर्तमान में जी20 की अध्यक्षता इंडोनेशिया के पास है। जहां यह सम्मेलन हो रहा है। भारत की अध्यक्षता में यह सम्मेलन भारत में ही होगा, जिसमें दुनिया के 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष आएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इंडोनेशिया में हो रहे सम्मेलन में तो शामिल हो ही रहे हैं। वे वहां करीब 20 आयोजनों में उपस्थित होंगे। इनमें से एक आयोजन इंडोनेशिया में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों से मिलना भी है।

जी20 दुनिया का प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग मंच तो है ही, यह उन देशों का प्रतिनिधित्व करता है, जो दुनिया की 85 प्रतिशत जीडीपी हिस्सेदारी रखते हैं। दुनिया का 75 प्रतिशत व्यापार ये 20 देश ही करते हैं और ये इन 20 देशों में दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या निवास करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विचार हैं कि जी20 की अध्यक्षता के बहाने यह भारत की जिम्मेदारी है कि वह अपनी हजारों साल पुरानी संस्कृति और आधुनिकता से दुनिया को परिचित कराएं। हजारों वर्षों की विकास यात्रा में भारत ने कई सदियों की गुलामी देखी है। इसके बावजूद भारत आज दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण देशों में शामिल हैं। भारत चाहता है कि वह अपने ज्ञान की परंपरा को दुनिया के साथ साझा करें।

भारत में जी20 देशों के शिखर सम्मेलन का आयोजन 15 से 17 मार्च तक अमृतसर शहर में प्रस्तावित है। आशा है कि इस सम्मेलन में अमृतसर और पंजाब को शोकेज करने का पूरा अवसर मिलेगा। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अमृतसर की एक और पहचान बनेगी। केन्द्र और राज्य सरकार चाहती हैं कि पंजाब निवेश का वैश्विक केन्द्र बने। बाली से लौटकर प्रधानमंत्री अमृतसर की तैयारियों में जुटेंगे।