

Conversation Program : विश्व संवाद केंद्र मालवा प्रांत द्वारा नारद जयंती पर संंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया!
क्रांतिकारी वक्त ही परिवर्तन कर सकता है, नारद जी पहले क्रांतिकारी पत्रकार रहे!
Dhar : स्वाभिमान पाना है तो पुर्नजागरण करना होगा। नारद जी पुर्नजागरण, धर्म और संस्कृति के समवाहक है इसलिए वे देवर्षी है। देवत्व की ओर जाते है, वे सत्य से ओतप्रोत है। नारद जी सत्य वक्ता है इसलिए वे निर्भीक है। हमें भी राष्ट्र में रहकर राष्ट्रहित के लिए सोचना होगा, जो व्यक्ति राष्ट्रहित की चिंता करता है, उसकी रक्षा राष्ट्र करता है। राष्ट्र चिंतन में पत्रकारिता होना चाहिए। नारद जी सत्य के प्रतीक है।
यह बात विश्व संवाद केंद्र मालवा प्रांत द्वारा आयोजन संवाद कार्यक्रम में मुख्य वक्ता देवेंद्र पाठक (हरदा) ने कहते हुए कहा कि समाज, संस्कृति, धर्म और राष्ट्र की उन्नति व उसके उद्धाधारक हो जाना ही नारद जयंती की सफलता है। बस यहीं विकट समस्या है हमारेे सामने कि लोगों को व्यक्तत्व देना आसान है, लेकिन उसे जीवन में उतारना कठीन है। नारद जी क्रांतिकारी पत्रकार रहे है। ऐसा माना जाता है।
श्रीमद भागवत कृष्ण कथा में प्रसंंग आता है कि ब्रह्मा जी नारद जी को आज्ञा देते है कि बेटा कथा ऐसी करना कि लोगों का जीवन सुधरे। परिवर्तन क्रांतिकारी वक्ता ही कर सकता है। नारद क्रांतिकारी वक्ता तो थे ही लेकिन श्रेष्ठ श्रोता भी थे। सुनना और बोलना दोनों आवश्यक है। हमारे यहां सुनने की परंपरा चली गई है। हमें उस क्रांति के विषय में सोचना होगा। संस्कृति के समवाहकों और देश के चिंतकों को विशेष रूप से पत्रकारिता के नए आयामों को स्थापित करना होगा। आज हम पाश्चात्य संस्कृति की तरफ जा रहे है और पाश्चात्य हमारी संस्कृति की तरफ बढ़ रहे है।
नारद जी का व्यक्तित्व कम समय में समझने जैसा नहीं
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार पं छोटू शास्त्री ने कहा नारद जी का व्यक्तित्व महज बहुत कम समय में समझने जैसा नहीं है। नारद जी के व्यक्तित्व पर कोई बोले तो कहा जाता है कि उनके बारे में समझने का प्रयास किया जा रहा है। उस समय ऐसी परिस्थितियां नहीं थी कि कोई ब्रेकिंग चला दी और बाद में उसे हटाना पड़े। नारद जी ने जो कह दिया वह ब्रेकिंग होती थी। समुद्र मंथन हुआ तो विष निगलने की सबसे बड़ी खबर सबसे पहले नारद जी ने ही दी थी। लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और बाद में इसको लेकर देेव और दानव में युद्ध हुआ।
महाभारत काल में युद्ध समाप्ति की सूचना बलराम जी को नारद जी ने दी थी। ध्रुव और प्रहलाद को भी उन्होंने ईश्वरीय ज्ञान देकर महान भक्त बनाया। कहने का मतलब यह है कि नारद जी बड़े प्रासंगिक है। नारद जी जो बात कहते थे वह भय से रहित थी। उन्होंने कृष्ण के जन्म की सूचना पहले ही कंस को दे दी थी, वे निर्भीक होकर इस काम को करते थे। नारद जी का धर्म सूचना देने का था। आज हमारा भी यहीं धर्म है कि राग, द्वेष छोड़कर समाज और देशहित में काम करें।